गुजरात दंगा : मोदी को क्लीन चिट के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

गुजरात दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

बहुचर्चित गुजरात दंगा मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट मिलने के खिलाफ याचिका पर SC में सुनवाई के दौरान बुधवार को जाने माने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्‍बल जाकिया की ओर से कोर्ट में पेश हुए. सिब्बल ने कहा कि गुजरात दंगों के मामले में जांच एजेंसियों ने आरोपियों की मदद की थी. जांच एजेंसियों का आरोपियों की मदद का यह ट्रेंड अब कई राज्यों में हो रहा है.

मीडिया स्वराज डेस्क

साल 2002 का गुजरात दंगा शायद ही आज भी कोई भूल पाया हो. कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2002 के गुजरात दंगों के पीछे नौकरशाही की निष्क्रियता और पुलिस की मिलीभगत की साजिश थी. उसके बाद आज बुधवार को भी इस मामले में सुनवाई होती रही.

छठी लोकसभा के सदस्य रहे एहसान जाफरी की पत्नी ज़ाकिया जाफ़री के अनुसार, एहसान जाफ़री की मृत्यु के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरदायी हैं. इस बाबत मोदी पर मुकदमा भी चला, लेकिन जब हाईकोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दे दी, तो जाकिया जाफरी ने तत्कालीन सीएम मोदी को क्लीन चिट देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रही.

जाकिया जाफरी, दिवंगत कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं, जिनकी अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में हत्या कर दी गई थी. जाकिया की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जांच एजेंसियों ने गुजरात दंगों के मामले में आरोपियों की मदद की थी. जांच एजेंसियों का आरोपियों की मदद का यह ट्रेंड अब कई राज्यों में हो रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आरोप पर आपत्ति जाहिर की और कहा, ‘फिर हम हस्तक्षेप करते हैं, इस मामले में उस विचारधारा को मत लाइए.’

सिब्बल ने कहा, ‘मैं किसी राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहता, केवल कानून के शासन को कायम रखना चाहता हूं.’ मामले की जांच करने वाली SIT की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘सिब्बल गुजरात के तत्कालीन सीएम (नरेंद्र मोदी) के खिलाफ आरोपों को क्यों नहीं पढ़ रहे हैं, खासकर जब जाकिया जाफरी की शिकायत के सभी आरोप गुजरात के तत्कालीन सीएम के खिलाफ हैं.

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पूरी विरोध याचिका तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ है. आरोप लगाया गया था कि गुजरात के सीएम ने ट्रेन जलने के बाद 72 घंटे तक कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया. हर आरोप गुजरात के तत्कालीन सीएम के खिलाफ है. वे इसे क्यों नहीं पढ़ना चाहते? अगर ये आरोप नहीं है तो और कुछ नहीं है.

जाकिया की याचिका पर बहस कर रहे सिब्बल ने तब कहा, मैं नहीं चाहता कि किसी का नाम लिया जाए. यह कानून और व्यवस्था का मुद्दा है. ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए. मैं केवल जांच चाहता हूं. मैं इस चरण पर कोई दोषसिद्धि नहीं चाहता. 

सिब्बल ने कहा, ‘मुझे लोगों के साथ व्यवहार करने में दिलचस्पी नहीं है. बल्कि जिस तरह से राज्य ने प्रतिक्रिया दी है, उस पर है. मैं उस स्थिति में नहीं रहना चाहता, जहां मुझे किसी ऐसी बात पर बहस करने के लिए कहा जाए, जो मैं नहीं चाहता. मेरे काबिल दोस्त मुझे कीचड़ भरे पानी में भेजना चाहते हैं. मैं उनके कहने के बाद भी वहां नहीं जाऊंगा.’ बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी.

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