सनस्क्रीन के प्रयोग से नुकसान तो नहीं हो रहा!

सनस्क्रीन लोशन का दुष्प्रभाव

सनस्क्रीन के प्रयोग से नुकसान : सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए अक्सर हम चेहरे, गर्दन और शरीर के उन हिस्सों पर सनस्क्रीन का प्रयोग करते हैं, जो खुला रहता है. खुद त्वचा विशेषज्ञ भी यही कहते हैं. लेकिन एक नए असूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने के लिए अक्सर हम चेहरे, गर्दन और शरीर के उन हिस्सों पर सनस्क्रीन का प्रयोग करते हैं, जो खुला रहता है. त्वचा विशेषज्ञ भी ऐसा ही करने की सलाह देते हैं. लेकिन एक नए अध्ययन से जो खुलासा हुआ है कि सनस्क्रीन के प्रयोग से नुकसान हो रहा है, उसके बाद सनस्क्रीन का प्रयोग करने से पहले बेहतर होगा कि आप सतर्क हो जाएं. अन्यथा आप त्वचा संबंधी कई खतरनाक बीमारियों से ​भी घिर सकते हैं.

सुषमाश्री

सूरज की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के लिए त्वचा विशेषज्ञ अक्सर आपको सलाह देते हैं कि आप अपनी त्वचा पर सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग करें. हालाँकि, एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कुछ खास कॉम्बिनेशन से तैयार सनस्क्रीन आपकी त्वचा के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकते हैं.

स्वास्थ्य : Photochemical और Photobiological Sciences पत्रिकाओं में प्रकाशित एक अध्ययन से साफ हो जाता है कि एक अध्ययन से साफ हो जाता है कि जिंक ऑक्साइड युक्त सनस्क्रीन का प्रभाव धूप में दो घंटे बिताने के बाद खत्म हो जाता है. वहीं, कुछ अन्य रासायनिक तत्वों के साथ मिलकर यही सनस्क्रीन आपकी त्वचा के लिए खतरनाक भी हो सकता है.

शोधकर्ताओं के अनुसार, जब जिंक ऑक्साइड को अन्य कार्बनिक सनस्क्रीन से पहले या बाद में चेहरे व शरीर के ​अन्य खुले हिस्सों पर प्रयोग किया जाता है, तो पहले की तुलना में वह अब अपना काम बेहतर ढंग से नहीं कर पाता. दरअसल, जब चेहरे या बॉडी के खुले हिस्सों पर सनस्क्रीन का प्रयोग किया जाए तो बेहतर होगा कि उससे पहले या उसके बाद किसी दूसरे क्रीम का प्रयोग न करें. ऐसा करने पर सनस्क्रीन सूरज की यूवी किरणों को फिल्टर नहीं कर पाता.

इतना ही नहीं, जब हम सनस्क्रीन के साथ कोई दूसरी क्रीम भी अपनी बॉडी पर इस्तेमाल करते हैं ​तो इसका मिश्रण कार्बनिक यूवी फिल्टर का स्तर कम कर देता है, जिससे न केवल इसकी दक्षता में कमी आती है बल्कि आपस में मिलकर ये ऐसा बायप्रोडक्ट तैयार कर लेते हैं, ​जो तुलनात्मक रूप में शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है.

इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने सनस्क्रीन में प्रयोग किए गए यौगिकों और जिंक ऑक्साइड युक्त अन्य लोशन सहित पांच कॉम्बिनेशंस तैयार किए. इसके बाद फोटोस्टेबिलिटी और फोटोटॉक्सिसिटी में दो महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए. केवल दो घंटे धूप में रहने के बाद यह केमिकल खतरनाक साबित हुआ. इसके इस खतरनाक रूप ने यह भी साबित कर दिया कि जब सनस्क्रीन, त्वचा के लिए हानिकारक हो जाता है, तो इसकी वजह से एक और विकिरण सामने आता है. यह विकिरण सनबर्न, छाले या सूरज की विषाक्तता के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है.

अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए बेंगलुरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित मणिपाल अस्पताल के dermatology विभाग के सलाहकार Dr. Sachith Abraham ने बताया कि, “अध्ययन के अनुसार, शरीर पर एक साथ कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स का उपयोग करने की वजह से आपकी त्वचा के लिए यह ज्यादा नुकसानदायक साबित होता है. हो सकता है कि एक दूसरे के संपर्क में आने के बाद ही ये प्रोडक्ट्स आपकी त्वचा पर छाले, सनबर्न और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से होने वाले नुकसान जैसी समस्याएं पैदा कर रहे हों. सनस्क्रीन लोशन को तैयार करने के क्रम में अगर केवल जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड या अन्य सनस्क्रीन एजेंट्स के सीमित कॉम्बिनेशन जैसे एक घटक का उपयोग किया जाए, तो इसके साइड इफेक्ट का खतरा कम हो सकता है.”

उन्होंने कहा, “निष्कर्षों की पुष्टि के लिए जरूरी है कि रैंडमाइज्ड तौर पर नियंत्रित अध्ययन किए जाएं. इस अध्ययन को देखने के बाद हमें सउन्होंने कहा, “निष्कर्षों की पुष्टि के लिए जरूरी है कि रैंडमाइज्ड तौर पर नियंत्रित अध्ययन किए जाएं. हालांकि, फिलहाल इस अध्ययन को देखने के बाद भी हमें सतर्क होने की जरूरत है. हालांकि इससे आगे अब इस अध्ययन को इंसानों पर करने की भी आवश्यकता को कमतर नहीं कहा जा सकता.

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