स्ट्रॉबेरी का उत्पादन: नकदी फसलें बदलेंगी किसानों की किस्मत…

विषम वातावरण व विपरीत परिस्थितियों में लिख दी सफलता की इबारत।

कुछ कर गुजरने की चाह इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता की राह खोल देती है। कठिन समय और विषम परिस्थितयों में सफलता की एक ऐसी ही इबारत केसली (सागर) में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर एडवोकेट अनिरूध्द सिंह दांगी लिखने का प्रयास कर रहे हैं। अपने पहले ही प्रयास में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन लेकर क्षेत्र को प्रेरणापात्र बने एडवोकेट दांगी गेंहू, चना जैसी पारंपरिक फसलें लेने वाले बुन्देलखंड के किसानों को नये कृषि प्रयोगों के लिए तैयार करना चाहते हैं।

=स्ट्राबेरी उत्पादक किसान एड. अनिरुद्ध दांगी अपने खेत से स्ट्राबेरी ले जाते हुए।
स्ट्राबेरी उत्पादक किसान एड. अनिरुद्ध दांगी अपने खेत से स्ट्राबेरी ले जाते हुए।

कृषि कार्यों में कभी रूची न लेने वाले अनिरूध्द स्ट्रॉबेरी के उत्पादन से लगाई गई पूंजी का करीबन एक तिहाई वसूल चुके हैं। वे कहते हैं कि पहले मेरे मन में कभी भी इस तरह का कुछ करने का विचार नहीं था। जिस समय पूरा समाज कोरोना महामारी की चपेट में आकर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था, उसी समय उन्हें अपने शहर केसली आकर किसानों की दयनीय स्थिति का अंदाजा हुआ। और पारंपरिक फसलों से नये कृषि प्रयोग करने का मन बना लिया। इसके पहले तो वे इंदौर में बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने में मशगूल थे।
विगत कुछ वर्षों से आमतौर पर बुन्देलखंड के किसानों को प्रकृति की बेरूखी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कोरोना ने भी आर्थिक रूप से लोगों की कमर तोड़ दी है।

क्या ऐसे में किसान नये कृषि प्रयोगों को अपनाने के लिए तैयार होंगे? प्रकृतिक प्रकोप के सवाल पर अनिरूध्द कहते हैं कि यह समस्या सभी फसलों के साथ पेश आना स्वाभाविक है। हालांकि कुछ तकनीकी उपाय कर हम काफी हद तक नेचर के कोप से बचने में सफल हो सकते हैं। आज के हालात में पारंपरिक फसल लेने वाले अधिकतर किसान शायद ही उस फसल की लागत वसूल पाने में सफल हो पाते होेंगे। ऐसे में दिन व दिन कमजोर हो रही आर्थिक स्थिति को संभालने व रोजाना बढ रहे खर्चों और जरूरतों को पूरा करने के लिए भी किसानों को नगदी फसलों का सहारा जरूरी है।

स्ट्रॉबेरी का उत्पादन: सोच सकारात्मक रखें...

सकारात्मकता और धैर्य को सफलता का मूल मंत्र मानने वाले एडवोकेट दांगी कहते हैं कि शुरुआत में स्ट्रॉबेरी के करीब सभी पौधे मारे गए थे। किसी भी नये काम को शुरू करते वक्त इस तरह की परेशानी आना आम है। चूंकी तकनीकी रूप से मैंने पौधे लेने से पहले ही उनका बीमा करवा लिया था, तो मुझे कोई आर्थिक हानि नहीं हुई। ठीक इसी तरह सकारात्मक सोच और धैर्य के साथ तकनीकी जानकारी किसानों को नुकसान से बचा सकती है।

=सागर जिले के उद्यानिकी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सोमनाथ राय स्ट्राबेरी का निरीक्षण करते हुए।
सागर जिले के उद्यानिकी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सोमनाथ राय स्ट्राबेरी का निरीक्षण करते हुए।

पाॅजिटिव हैं किसान

क्षेत्र भर से अब तक स्ट्रॉबेरी की फसल देखने के लिए करीबन 1500 लोग आ चुके हैं। इनमें से 60 से 70 लोग रेग्यूलर अनिरुध्द के संपर्क में हैं. इसके आगे ब्रोकली, तरबूज, खरबूज, चंदन, थाईलैंड अमरूद, कटहल, सेब और चीकू उत्पादन की तैयारी उन्होंने की है।

सरकार से मिलेगी मदद…


सरकारी योजनाओं व मदद को लेकर एडवोकेट दांगी कहते हैं कि सरकार तमाम योजनाएं बनाती है, पर उनका लाभ सभी को नहीं मिल पाता। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, पर उनमें से अशिक्षा सबसे बड़ा है। हालांकि अब तक उनके खेत पर विकासखंड स्तर से लेकर जिले व संभाग के कई विभागों के आला अधिकारी विजिट कर उनकी पीठ थपथपा चुके हैं। साथ ही हर संभव मदद और सरकारी योजनाओं व तकनीकी सहयोग का आश्वासन भी दिया है। एडवोकेट दांगी ने बताया कि सरकार के सहयोग से किसानों को नये कृषि प्रयोगों के लिए सेमिनार, बैठक, ग्रुप डिस्कशन, कार्यशाला जैसी एक्टिविटी शुरू की जाएंगी।

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प्रोडक्ट है तो मार्केट है…

पारंपरिक फसलों को छोड़कर जब भी किसी नकदी फसल का उत्पादन किसान शुरू करते हैं तो सबसे बडी समस्या होती है उत्पाद के लिए मार्केट तलाशने की। इस समस्या को हल करने के लिए एडवोकेट अनिरूध्द ने सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाया है। स्ट्रॉबेरी के उत्पादन की जानकारी लगते ही आसपास से डिमांड शुरू हो गई और रोजाना लोकल में ही करीब तीन से चार हजार रुपए की स्ट्रॉबेरी बिक रही है। इसके अलावा जबलपुर, भोपाल, सागर, मंडला, नरसिंहपुर के साथ ही छतरपुर और टीकमगढ़ जिलों से भी डिमांड आ रही है.

क्या हैं स्ट्रॉबेरी के दाम…

=खेत से तोड़कर लाई गई स्ट्राबेरी की एक खेप।
खेत से तोड़कर लाई गई स्ट्राबेरी की एक खेप।

स्ट्रॉबेरी की पैकिंग का काम अनिरूध्द अपने फार्म हाउस पर ही कर रहे हैं। दो सौ ग्राम के एक डिब्बे में 10 पीस निकलते हैं, जिसकी कीमत 60 रुपये है। किलो के हिसाब से स्ट्रॉबेरी का दाम 350 से लेकर 400 रुपये किलो चल रहा है।

दीपेन्द्र तिवारी

दीपेन्द्र तिवारी, स्वतंत्र पत्रकार

पूर्व में मैं लोकमत समाचार के विभिन्न संस्करणों और network 18 के लिए हैदराबाद में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. । वर्तमान में संपादन, ग्राउंड रिपोर्टिंग, समसामयिक विषयों पर लेखन, ट्रांसलेशन सहित वेब व प्रिंट माध्यमों के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता।


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