एक कोविड योद्धा की कहानी—-

रामानंद मिश्र

कोविड -19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने के बाद आज 12 वाँ दिन है।अब मैं पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ।इस बीच मेरे 02 कोविड टेस्ट भी निगेटिव रहे हैं।कोविड के संबंध में मेरा अनुभव यह है कि इसके संक्रमण की जानकारी प्राप्त होने के बाद मैं स्वयं नकारात्मक मनोदशा में जाने लगा था।मैं सबसे बात कर रहा था,लेकिन अन्दर से मैं अपने को हर परिस्थिति के लिए तैयार कर रहा था।यहाँ तक कि हॉस्पिटल में पहुँचने के बाद सबसे पहले मैंने अपने मित्र के माध्यम से अपने बीमा की किश्त जमा कराई।अपने परिवार की चिंता हो रही थी,उनके भविष्य की चिंता हो रही थी।मुझे सबसे ज़्यादा परेशान किया व्हाट्सएप के उन मैसेज ने,जो कोरोना से होने वाली मृत्यु से संबंधित होते थे।एक मिनट के लिए तो जैसे हृदय कांप उठता था,लगता था कि अब थोड़ी देर में सीने में जकड़न होगी,गले मे तेजी से दर्द होगा,जैसे कोई कसके पकड़ रखा हो ,और फिर ..फिर क्या बैग में पैक होकर जाना होगा।भयावह उथल पुथल,बुरे से बुरे खयालात ,जीवन भर का अच्छा बुरा सब एक साथ सामने आ गया।सबके फ़ोन आ रहे थे,सब समझा रहे थे,कुछ नहीं है सब ठीक हो जाएगा,देखो मेरे रिश्तेदार ठीक हो गए हैं,तुम भी ठीक हो जाओगे।मैं जानबूझकर कर आवाज सख्त करके बात करता कि कोई मुझे कमजोर न समझे।घर में माता पिता जी से सामान्य तरीके से बात की,किसी को कुछ नहीं बताया।लेकिन अखबार की खबर से आखिर सबको पता चल ही गया।सच तो यह है कि मैं अकेले में रोया भी,मुझे लगा शायद रोने से दिल का कुछ भार हल्का हो जाए,लेकिन ये दिल की बीमारी नहीं थी।इससे केवल हौसले से ही लड़ा जा सकता था,जो समाप्त हो रहा था।जैसे तैसे 02 दिन अपने आपको और सबको समझाता रहा कि अभी एंटीजन किट की रिपोर्ट है,RTPCR की रिपोर्ट अभी बांकी है।
RTPCR की रिपोर्ट भी आ ही गयी,पॉजिटिव ही आयी वो भी।अधीक्षक महोदय ने बताया ,लेकिन उनके बताने का तरीका इतना गन्दा था कि मुझे गस्त आते आते बचा।भइया मुझे भी रिपोर्ट पॉजिटिव आने की उम्मीद ही ज्यादा थी,थोड़ा ढंग से बताये होते,थोड़ा साहस बंधाये होते,तो क्या बिगड़ जाता आपका।ठीक आदमी हैं, इमोशनल इंटेलिजेंस कमजोर होगा शायद थोड़ा।खैर ,कोई बात नहीं,हिम्मत तो बाँकी लोग भी बंधा ही रहे थे,उससे कौन कुछ उखड़ जा रहा था।
लेकिन एक उम्मीद थी,कि पहले भी कई बुरे दौर आये हैं, ईश्वर ने रास्ता दिखाया है,इस बार भी कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा।तब तक दवाएं काढ़ा,प्राणायाम आदि मैं शुरू कर चुका था,बच्चों और पत्नी की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आ गयी,अब कुछ राहत की सांस मिली। मित्र चतुर्भुज पाण्डेय जो वर्तमान में सब रजिस्ट्रार हैं, अलीगढ़ में,की सलाह पर आर्ट ऑफ लिविंग का ऑनलाइन शिविर ज्वाईन किया।सुबह 06 से 09 योग ,प्राणायाम, साधना फिर तुलसी-गोलमिर्च,काढ़ा दिन में 03 बार,गरम पानी पीना ,च्यवनप्राश खाना 02 बार,और सायंकालीन बेला में देर तक ताली बजाकर भजन में मस्त हो जाना,मेरी दिनचर्या हो गयी।
पता नहीं बीते कितने वर्षों से अपने से बात नहीं हो पाई थी मेरी,अब होने लगी ,अपने आपको जानने का प्रयास किया,कुछ चीजें छोड़ने का वादा भी किया मैंने अपने आप से।अच्छा लगने लगा,अपने मे मस्त रहने का प्रयास करने लगा।अपने बारे में सोचा, जाना ,सीखा, फिल्में देखी,फोन पर गपशप की।देखते ही देखते सब अच्छा होने लगा।
मेरे उपजिलाधिकारी महोदय और तहसीलदार महोदय ने मेरा विशेष ख्याल रखा। जनपद के सभी तहसीलदार महोदयों का स्नेह मिला। ,राजस्व निरीक्षक और लेखपाल सहबानों ने बहुत मदद की जिससे मैं शीघ्र ठीक हो सका।मित्र तो मित्र ही होते हैं,हँसते हँसाते रहे सब।परिजनों,रिश्तेदारों ने साहस दिया।डॉक्टरों व उनके स्टाफ ने मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया।श्री मती जी ने कठिन परिस्थितियों में बहुत हिम्मत से काम लिया,दोनों बच्चों की अच्छे से देखभाल की।इस सबके कारण मैं अपने सबसे बुरे दिनों को सबसे अच्छे दिनों के रूप में जी पाया।
इतनी कहानी का लब्बोलुआब यह है कि अच्छी और बुरी दोनों ताकतें हमारे ही अंदर हैं, और दोनों की सीमाएं नहीं हैं।दवाओं से रोग ठीक होता है ,शरीर नहीं।शरीर ठीक होता मनोदशा से।मनोदशा ठीक रहे,इसके लिए चाहिए होता है,साथ ,दुत्कार नहीं।साथ और आत्मबल के आगे बहुत बौना है कोरोना।इसलिए जो भी संक्रमित व्यक्ति से जुड़े हैं, उनका हौसला बढ़ाएं, नकारात्मक खबर उन तक पहुँचने से रोकें, अखबार बीमार होने से ज्यादा ठीक होने वालों की खबरें निकालें।सोशल मीडिया वाले डरवाने और जागरूक करने में अंतर समझें।उनके साथ अच्छा व्यवहार करें, प्रचार को रोग से ज्यादा खतरनाक न होने दें इसलिए रोगी को स्नेह दें,वह जल्द ही ठीक होकर घर पर होंगे।आप सभी को पुनः धन्यवाद।

(लेखक जनपद चित्रकूट की कर्वी तहसील में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं) 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

two × 2 =

Related Articles

Back to top button