गांधी आश्रम के पास मौजूद झुग्गीवालों को सता रहा आशियाना छिनने का डर
सरकार साबरमती गांधी आश्रम का पुर्नस्थापन करना चाहती है और इस ओर उन्होंने अपना पहला कदम बढ़ा भी लिया है.
लंबे समय से अहमदाबाद के साबरमती गांधी आश्रम के रीडेवलमेंट को लेकर लोग विरोध कर रहे हैं. बीते दिनों इसे लेकर सरकार और आश्रम से जुड़े कुछ ट्रस्टियों के बीच भी नोंकझोंक की खबरें सुर्खियों में छायी रहीं. इसके बावजूद अब तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है. अब यहां बीते 30-35 वर्षों से रह रहे लोगों को अपना आशियाना छिनने का डर सता रहा है. देखें यह रिपोर्ट…
मीडिया स्वराज डेस्क
अहमदाबाद का गांधी आश्रम रोड, रोड के बगल में मौजूद है एक स्लम एरिया, जहां पिछले 25-30 वर्षों से लोग कच्चे-पक्के मकान या झुग्गियां बनाकर यहां रह रहे हैं, हालांकि कुछ लोग बीते 10 साल से यहां हैं, ये सभी लोग अब दहशत में हैं. इन्हें डर है कि अगर इन पर बुलडोजर चला दिया गया, तो ये अब सड़कों पर आ जायेंगे.
बता दें कि सरकार साबरमती गांधी आश्रम का पुर्नस्थापन करना चाहती है और इस ओर उन्होंने अपना पहला कदम बढ़ा भी लिया है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के कुछ नुमांइदे चार पुलिसवालों के साथ 20 नवंबर को यहां पहुंचे और यहां के लोगों को तीन दिनों के भीतर जगह खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया.
एक 28 वर्षीय युवक ने बताया कि यहां गांधी आश्रम डेवलपमेंट का काम होना है, जिसके लिये हमें जगह खाली करने को कहा गया है. बीते दिनों जिनके पास पुराने डाक्यूमेंट्स थे, उन्हें तकरीबन 60 लाख रुपये दिये गये हैं, लेकिन जिनके पास ये पेपर्स नहीं थे, उन्हें बगैर नोटिस जगह सीधे खाली करने के लिये कहा गया है. उनका कहना है कि यहां तकरीबन 50 मकान हैं, और बीते 35 सालों से हम यहां रह रहे हैं, ऐसे में आपके अचानक कहने से हम यह जगह कैसे खाली कर दें?
तीन दिन पूरे होने के बाद वे आज यहां आये और कुछ जगहों पर बुलडोजर भी चलाया. इसके बाद उन्होंने हमें आठ दिनों की और मोहलत दी है ताकि हम यह जगह खाली कर दें.
बीते 20 साल से यहां एक चाली में रहने वाली गंगा बेन कहती हैं कि जब वे यहां खाली करने के लिए कहने को आये थे, तब बाहर की तरफ के दो चार मकानों में ही बोलकर चले गये थे कि सबको बोल देना कि खाली करना है, हमें तो बताया तक नहीं. हमें लिखित नोटिस भी नहीं दिया गया है. न ही हमें कोई मुआवजा दे रहे हैं न ये बता रहे हैं कि हम यहां से कहां जायें. उनका कहना है कि हम जहां से आये थे, वहीं चले जायें.
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इस इलाके के लोगों के बचाव के लिये तत्पर रहने वाले मंगल भाई ने बताया कि यहां कुल 55 परिवार रहते हैं, जिनमें तकरीबन 215 लोग हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. इन्हें यह बस्ती खाली करने के लिए मौखिक तौर पर बोला गया है. इन्हें तीन दिनों का समय दिया गया है ताकि ये इस जगह को खाली कर दें. जब हमने उन्हें यही बात लिखित में देने के लिये कहा तो उन्होंने साफ कहा कि यह जमीन सरकारी है और इसे खाली करवाने के लिये हमें किसी भी तरह का नोटिस देने की जरूरत नहीं है. आज जब वे बस्ती तोड़ने के लिये यहां पहुंचे तो डिप्टी कलक्टर से बहुत अनुनय विनय करने के बाद उन्होंने हमें अतिरिक्त सात दिनों का समय दिया है ताकि हम यह जगह खाली कर सकें. यह जमीन गांधी आश्रम के कई ट्रस्टों में एक की है, जिसे सरकार ने अब अपने कब्जे में ले लिया है और अब आश्रम के रीडेवलपमेंट के लिये इसे खाली करवाना चाहते हैं.
बीबीसी के इस रिपोर्टर ने फेसबुक लाइव के माध्यम से यहां के लोगों से विस्तार से इस मामले पर बातचीत की है. पूरा वीडियो देखने के लिये यहां क्लिक करें…
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