कानपुर घटना की जांच के लिए एसआईटी , अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी समेत ये अफसर करेंगे जांच

(मीडिया स्वराज़ डेस्क)

लखनऊ.  योगी सरकार ने कानपुर  की  घटना की जाँच के लिए  तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन कर दिया है। यह एसआईटी इस पूरे मामले की गहनता से जांच करेगी। इस एसआईटी का अध्‍यक्ष सीनियर आईएएस अपर मुख्‍य सचिव संजय भूसरेड्डी को बनाया गया है। वहीं एडीजी हरि राम शर्मा और पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रविंद्र गौड़ को इसका सदस्‍य बनाया गया है। यह एसआईटी बिकरू गांव हत्‍याकांड, विकास दुबे की संपत्ति, विकास दुबे एनकाउंटर प्रकरण और मुकदमे की जांच करेगी। यह एसआईटी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। यह जांच आख्‍या 31 जुलाई तक शासन को सौंप देनी है।

 गैंगस्‍टर की मौत के बाद जन सामान्‍य से लेकर विपक्ष ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। ऐसे आरोप लगाए गए कि गैंगस्‍टर विकास दुबे का जबरन एनकाउंटर किया गया, जिससे कई सफेदपोशों और अफसरों बचाया जा सके। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से लेकर समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना की निष्‍पक्ष जांच की मांग की थी।

इस सम्बंध में सरकार द्वारा जारी  प्रेस विज्ञप्ति का मूल पाठ नीचे है 

पत्र सूचना शाखा
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0

लखनऊ: 11 जुलाई, 2020

जनपद कानपुर नगर में घटित घटना के सम्बन्ध मंे शासन द्वारा सम्यक विचारोपरान्त प्रकरण की जांच विशेष अनुसंधान दल से कराने का निर्णय लिया गया है। इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव श्री संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में विशेष अनुसंधान दल (एस0आई0टी0) का गठन किया गया है। अपर पुलिस महानिदेशक श्री हरिराम शर्मा तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक श्री जे0 रवीन्द्र गौड़ को एस0आई0टी0 का सदस्य नामित किया गया है।
विशेष अनुसंधान दल प्रकरण घटना से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं/प्रकरण की गहन अभिलेखीय/स्थलीय जांच सुनिश्चित करते हुए 31 जुलाई, 2020 तक जांच आख्या शासन को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा।
जनपद कानपुर नगर में घटित घटना के संबंध में जाॅच के बिन्दु इस प्रकार हैं:-
पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में आये कारणों जैसे अभियुक्त विकास दुबे के विरूद्ध जितने भी अभियोग प्रचलित है उन पर अब तक क्या प्रभावी कार्यवाही की गयी? इसके तथा इसके साथियों को सजा दिलाने हेतु कृत कार्यवाही क्या पर्याप्त थी? इतने विस्तृत आपराधिक इतिहास वाले अपराधी की जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कार्यवाही की गयी? मु0अ0सं0-65/2020 के आलोक में जमानत निरस्तीकरण की कार्यवाही क्यों नहीं की गयी?
अभियुक्त विकास दुबे के विरूद्ध कितनी जन-शिकायतें आयीं और उन पर थानाध्यक्ष चैबेपुर द्वारा तथा जनपद के अन्य अधिकारियों द्वारा क्या जाॅच की गयी व पाये गये तथ्यों के आधार पर क्या कार्यवाही की गयी इसका विस्तृत परीक्षण करना।
अभियुक्त विकास दुबे तथा उसके साथियों के विरूद्ध गैंगेस्टर एक्ट, गुण्डा एक्ट, एन0एस0ए0 आदि अधिनियमों के अन्तर्गत क्या कार्यवाही की गयी तथा यदि कार्यवाही किये जाने में लापरवाही रही तो किस स्तर पर लापरवाही रही?
अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के पिछले 01 वर्ष के सी0डी0आर0 का परीक्षण करना एवं उसके सम्पर्क में आये सभी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध संलिप्तता की साक्ष्य मिलने की दशा में उपयुक्त एवं कडी कार्यवाही करनें की अनुशंसा करना।
घटना के दिन क्या अभियुक्तों के पास उपलब्ध हथियारों एवं उसके फायर पावर के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही की गयी। यह किस स्तर पर हुई, क्या थानें में इसकी समुचित जानकारी नहीं थी। इस तथ्य को भी जाॅच करना एवं दोषी यदि कोई हो तो चिन्ह्ति करना।
विकास दुबे एवं उसके साथियों के पास शस्त्र लाइसेंस एवं शस्त्र होना ज्ञात हुआ है। यह देखा जाना होगा कि इतने अधिक अपराधों में संलिप्त रहने के बाद भी इनका हथियार का लाइसेंस किसके द्वारा एवं कैसे दिया गया और लगातार अपराध करनें के बाद भी यह लाइसेंस और हथियार उसके पास कैसे बना रहा?
अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के द्वारा अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति, व्यापारों एवं आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण करते हुए उनके संबंध में युक्तियुक्त अनुशंसाये करना तथा यह भी इंगित करना कि स्थानीय पुलिस ने इस मामले में किसी प्रकार की ढिलाई, लापरवाही या संलिप्तता तो प्रदर्शित नहीं की एवं यदि ऐसा हुआ है, तो किस स्तर के अधिकारी दोषी है?
अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के द्वारा क्या सरकारी तथा गैर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है? यदि हां तो इसमें क्या अधिकारियों की भी भूमिका है तथा वह अधिकारी कौन-कौन है, उनका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाय। अवैध कब्जा हटवाना जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी, यदि उनके द्वारा अवैध कब्जा नही हटवाया गया है तो उनका भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाना सुनिश्चित किया जाय।
इस प्रकरण के अभियुक्तों व उनके साथियों के साथ पुलिस कर्मियों की संलिप्तता तथा अभियुक्तों व उनके फाइनैन्सर्स की सम्पत्तियों व आय के स्रोतों की जांच प्रवर्तन निदेशालय तथा आयकर विभाग से कराने पर भी विशेष अनुसंधान दल (एस0आई0टी0) द्वारा अभिमत उपलब्ध किया जाय।

 

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