लघु कहानी: वो वृद्ध आदमी

कवि स्वामी दास’

आकाश को आज भी नौकरी नहीं मिली। एमटेक  करने के बाद भी वो बेरोजगारी से जूझ रहा है। शाम हो चुकी है और वो अभी तक घर नही पहुंचा, हाथों में अपनी डिग्रियों की फाइल लिए हुए अकेला घर की तरफ पैदल ही चला जा रहा है। आज उसने दोपहर का खाना भी नहीं किया और उसे बस ये ही चिंता खाए जा रही है कि घर पहुंचते ही मां और पिता जी नौकरी के बारे में पूछेंगे और वो क्या कहेगा कि आज भी कुछ नहीं हुआ। उसकी प्रेमिका मधु जिससे वो बेहद प्यार करता है और शादी करना चाहता है, इस बेरोजगारी के कारण मिल भी नही पा रहा है। उसे लगता है उसके लिए जीवन में कुछ नहीं बचा, जीवन उसको व्यर्थ लगने लगा है। उसके क़दम धीरे हो गए हैं और उसे अपने क़दम भारी लगने लगे हैं, वो घर की तरफ नहीं जाना चाहता है।

बस अड्डे पर वो बैठ जाता है और सोचता रहता है, सोचता रहता है, क्या करूं और सोचते-सोचते अंधेरा होने को हो जाता है। घर के लोग उसकी राह देख रहे हैं इतना देर वो कभी नहीं हुआ था। अचानक वो जीवन से तंग आकर फैसला कर लेता है कि आत्महत्या ही अब आखिरी रास्ता है, सभी चिंताओं से मुक्त होने का । वो आत्महत्या के बारे में सोच ही रहा होता है कि अचानक एक अनजान वृद्ध आदमी उसके पास आकर बैठ जाता है अपनी बस के इंतजार में। हाथ में उसके छड़ी है सफेद बाल तकरीबन 70 के आसपास की आयु लगती थी। वृद्ध आदमी कहता है मैंने देखा कि तुम काफी देर से बैठे हो सभी बसें आकर चलीं जा रही तुम बस की तरफ देख भी नही रहे, परेशान से लगते हो एक मित्र समझ के बताओ , तुम्हारी उदासी शायद मैं दूर कर सकूं। आकाश ने कोई जवाब नही दिया और उठने लगा कि फिर वृद्ध आदमी ने बोला बैठो यार ! कुछ बताओ , मुझे ग़लत मत समझो।
आकाश अपनी सारी हालत उस वृद्ध आदमी को बताता है। अपनी बेरोजगारी, घर की खराब हालत, दूर होता प्यार और आत्महत्या सबकुछ। वृद्ध आदमी कहता है परेशानियां हर किसी के जीवन में होती हैं लेकिन आत्महत्या कोई उपाय नही है। वृद्ध आदमी ने बताया कि उसकी पत्नी भी अभी तक है और दिनभर लड़ती है पता नही कब मरेगी ये ही सोचता हूं। वृद्ध आदमी ने कहा जिस समय तुम्हारे पास कुछ नही है वो समय ही हो सकता है कुछ मिलने का या कुछ पाने का,
ये समय तो वो है कि चीजें आयेगीं तुम्हारे जीवन में तुम्हारे लिए। जब कुछ होता है पास में तो खो सकता है तुम्हारे पास तो खोने को कुछ है ही नही सिर्फ पाने के लिए है और ये तो अच्छी बात है। आकाश के दिमाग़ पर यह बात घर कर जाती है और उसके मन से आत्महत्या का विचार एकदम निकल जाता है वो वृद्ध आदमी का धन्यवाद करता है मुस्कुराता है। उसके घर की तरफ जाने वाली बस आकर रूकती है और वो वृद्ध आदमी से हाथ मिलाकर भाग कर बस में चढ़ जाता है। रास्ते में बस में वो उस वृद्ध आदमी के बारे में सोचने लगता है वो कौन था काश उसका फ़ोन नंबर ही ले लेता।
एक हफ्ते बाद आकाश की नौकरी लग जाती है और उसकी प्रेमिका मधु से शादी की बात घरवालों के बीच में शुरू हो गई है। आकाश खुश है पर वो अक्सर उस वृद्ध आदमी को याद करता है, उसने उससे दुबारा मिलने की कोशिश में बहुत बार उसी बस अड्डे पर उस वृद्ध आदमी को देखा पर वो वृद्ध आदमी फिर कभी भी उसे नही मिला।

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