सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा की खामगांव में ऐतिहासिक सभा
तिलक, अंबेडकर और गांधी प्रतिमाओं को नमन करते हुए आगे बढ़ी यात्रा
गांधी अवश्यम्भावी थे, यदि मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी के मार्ग से बचा नहीं जा सकता. उन्होंने अपना जीवन जिया, विचार किया और उसी के हिसाब से कार्य किया, जो शांति एवं सामंजस्य के एक विश्व की दिशा में उभरती मानवता का आदर्श था. हम गांधी जी को अपने जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकते हैं.
महात्मा गांधी के प्रसिद्ध साबरमती आश्रम के स्वरूप में बदलाव के विरुद्ध गाँधीजनों द्वारा निकाली गई सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा की दूसरे दिन, 18 अक्टूबर 2021 को खामगांव में ऐतिहासिक सभा हुई. यात्रा स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को नमन करते और अपनी प्रतिबद्धता को प्रगाढ़ करते हुए आगे बढ़ी.
सभा में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत और यात्रा के संयोजक गांधी स्मारक निधि के सचिव संजोय सिम्हा ने बात रखी. इन्होंने कहा कि हम सरकार को राष्ट्रीय धरोहरों को नष्ट करने का अधिकार नहीं दे सकते. साबरमती आश्रम उस ऐतिहासिक नमक आंदोलन का गवाह है, जिसने अंग्रेजी साम्राज्यवाद की चूलें हिला दी थी. यह देश के लिए श्रद्धा और प्रेरणा का स्थान है. हम इसे सत्ताधीशों की सनक का शिकार नहीं बनने देंगे.
सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा के संयोजक संजय सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी हमेशा ही उस विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे, जिसमें हम रहते हैं. यही वे बातें थीं, जिन पर मार्टिन लूथर किंग का अटूट विश्वास था और मैं उद्धृत करता हूँ: ”गांधी अवश्यम्भावी थे, यदि मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी के मार्ग से बचा नहीं जा सकता. उन्होंने अपना जीवन जिया, विचार किया और उसी के हिसाब से कार्य किया, जो शांति एवं सामंजस्य के एक विश्व की दिशा में उभरती मानवता का आदर्श था. हम गांधी जी को अपने जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकते हैं. इस अवसर पर राजेंद्र सिंह राणा, आशा बोथरा, सुगन जी, अशोक भारत, डॉ विश्वजीत, शेख हुसैन, अरविंद कुशवाहा आदि लोगों ने भी अपनी बात रखी.
यात्रा के आयोजन में गांधी स्मारक निधि, गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ, सेवा ग्राम आश्रम प्रतिष्ठान, सर्वोदय समाज, राष्ट्रीय गांधी संघ्रालय, नई तालीम समिति, राष्ट्रीय युवा संघठन, जल बिरादरी, महारष्ट्र सर्वोदय मंडल तथा गुजरात की सर्वोदय संस्थायें शामिल हैं. यात्रा में जगह जगह सर्व धर्म प्रार्थना, गोष्ठी, जन संवाद एवं आदि कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. बुलदाना जिला सर्वोदय मंडल, तिलक राष्ट्रीय विद्यालय, शंकर महर्षि भास्कर राव सिंघने आर्ट्स कॉलेज, खामगांव, तरुण फाउंडेशन, इन चारों के संयुक्त आयोजन में सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा का वह आयोजन संस्था के सचिव देशमुख जी, सुधाकर राव जी एवं स्थानिक सर्वोदय के कार्यकर्ताओं ने स्थानिक आयोजन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आभार व्यक्त किया.
सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा का दूसरा दिन
दूसरा पड़ाव
सोमवार की सुबह बेहद खास थी, यात्रियों ने सबसे पहले तिलक महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दर्शन करने के बाद बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा पर पहुंचे, वहां माल्यार्पण और दर्शन के उपरांत गांधी जी की प्रतिमा पर पहुंचे, यह बेहद ही खास और रोमांचकारी अनुभव रहा, जब देश के तीन तीन महापुरुषों की अदृश्य उपस्थिति से प्रेरणा और शक्ति लेकर यात्रियों का संकल्प और मजबूत हुआ.
यहाँ भी भारी संख्या में लोग जुटे. उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 73 वर्ष पूर्व एक हत्यारे की एक गोली ने महात्मा गांधी की आवाज को सदा के लिए खामोश कर दिया था. उनके पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित कर दिया गया था, परन्तु उस संदेश को नहीं मिटाया जा सका, जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन जिया और शहीद हुए. आज उनकी विरासत को बचाने का हमारा सामूहिक प्रयत्न अवश्य फलीभूत होगा.
एक ऐसी विभूति, जिसने शांति और अहिंसा का उपदेश दिया, एक ऐसे विश्व में उसकी प्रासंगिकता बढ़ गयी है, जो ऐसे हथियारों से भरा हुआ है, जो हमारे इस ग्रह को 100 बार नष्ट कर सकते हैं. एक ऐसा मनुष्य जिसने घृणा को प्रेम से जीतना चाहा, वह ऐसे विश्व में क्यों न प्रासंगिक हों, जहां आतंकवाद वैश्विक नासूर बन गया है. एक ऐसा मनुष्य, जिसने गरीबों की वेशभूषा सम्मान के प्रतीक के रूप में अपनाई, आज उसकी विरासत की रक्षा करना विश्व का आपद्धर्म हो गया है.
महात्मा गांधी हमेशा ही उस विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे, जिसमें हम रहते हैं. यही वे बातें थीं, जिन पर मार्टिन लूथर किंग का अटूट विश्वास था और मैं उद्धृत करता हूँ कि गांधी अवश्यम्भावी थे. यदि मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी के मार्ग से बचा नहीं जा सकता. उन्होंने अपना जीवन जिया, विचार किया और उसी के हिसाब से कार्य किया, जो शांति एवं सामंजस्य के एक विश्व की दिशा में उभरती मानवता का आदर्श था. हम गांधी जी को अपने जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकते हैं.
तीसरा पड़ाव खामगांव
साबरमती सन्देश यात्रा महाराष्ट्र राज्य के अकोला से निकलकर खामगांव पहुंची. शहर के बाहर ही सभी लोग बस से उतरकर हाथ में बैनर लिए पैदल मार्च करते हुए नारे और गीत के साथ तिलक चौक पहुंचे. वहां पर महापुरुष लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया व उनकी मूर्ति की सफाई की गई. इसके बाद संविधान चौक पहुंचकर गांधी बगीचा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुतले को बच्चों के हाथों से माल्यार्पण कराया गया. यहाँ स्थानीय साथियों व तरुणाई फाउंडेशन द्वारा यात्रियों को स्वल्पाहार कराया गया. वहां से स्वर्गीय भास्कर राव शिंगणे कॉलेज के लिए प्रस्थान हुआ.