नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ
मल्लिका ने बताया कि विनोद दुआ का अंतिम संस्कार कल दोपहर 12 बजे लोधी श्मशान घाट में किया जायेगा. मल्लिका दुआ ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, हमारे बेपरवाह, निडर और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया.
वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का आज देहांत हो गया. उनकी पुत्री अभिनेत्री मल्लिका दुआ ने यह दुखद खबर मीडिया को दी. उन्होंने लिखा— उनका अंतिम संस्कार कल किया जायेगा. पत्रकार विनोद दुआ लंबे समय से बीमार चल रहे थे. विनोद दुआ की बेटी मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए ये जानकारी दी.
विनोद दुआ 67 साल के थे. उनका जन्म नई दिल्ली में हुआ था. दूरदर्शन और एनडीटीवी जैसे बड़े संस्थानों में काम कर चुके विनोद दुआ को 1996 में रामनाथ गोयनका अवार्ड से सम्मानित किया गया था. वे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार थे, जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया था. 2008 में पत्रकारिता के लिये उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था. बता दें कि कुछ दिनों पहले भी विनोद दुआ की मौत की अफवाह उड़ी थी, तब उनकी बेटी ने इसका खंडन किया था.
मल्लिका ने बताया कि विनोद दुआ का अंतिम संस्कार कल दोपहर 12 बजे लोधी श्मशान घाट में किया जायेगा. मल्लिका दुआ ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, हमारे बेपरवाह, निडर और असाधारण पिता विनोद दुआ का निधन हो गया.
मल्लिका दुआ ने आगे लिखा, अब वे हमारी मां के साथ हैं यानि अपनी पत्नी के साथ स्वर्ग में हैं. बता दें कि मल्लिका की मां का निधन इसी साल कोरोना से हो गया था. कोरोना की दूसरी लहर में विनोद दुआ और उनकी पत्नी संक्रमित हो गये थे. दोनों की तबीयत बेहद बिगड़ गई थी. इसके बाद दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. विनोद दुआ 7 जून को घर लौट आये थे लेकिन उनकी पत्नी का 12 जून को निधन हो गया था.
अजीब मगर सच है कि मौत से केवल एक दिन पहले गुरुवार को वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी. शीर्ष अदालत ने गुरुवार को दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में दर्ज राजद्रोह के मुकदमे को खारिज कर दिया था. बता दें कि विनोद दुआ की ओर से एक यूट्यूब प्रोग्राम में प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के खिलाफ कथित तौर पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर भाजपा के एक स्थानीय नेता ने एफआईआर दर्ज कराई थी.
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने गुरुवार को अपने आदेश में विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह (आईपीसी की धारा-124ए) सहित अन्य अपराधों के तहत दर्ज मुकदमे को निरस्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पत्रकार, केदारनाथ सिंह फैसले के तहत संरक्षित हैं.
इस फैसले में राजद्रोह कानून को सही ठहराया गया था लेकिन इसमें इस कानून का दायरा तय किया गया था. हालांकि कोर्ट ने पत्रकारों पर लगे आरोपों को सत्यापित करने के लिए समिति के गठन की विनोद दुआ की मांग को ठुकरा दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने विनोद दुआ की ओर से दायर की गई दूसरी याचिका को खारिज कर दिया था. इसमें एफआईआर दर्ज करने से पहले पत्रकारों के खिलाफ आरोपों को सत्यापित करने के लिए एक समिति बनाने की मांग की गई थी और कहा गया था कि 10 साल से अधिक के अनुभव वाले पत्रकार के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जानी चाहिए, जब तक कि समिति द्वारा इसकी मंजूरी नहीं दी जाती. कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह मसला विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है.
विनोद दुआ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले भाजपा नेता श्याम का कहना था कि दुआ ने अपने यूट्यूब कार्यक्रम ‘द विनोद दुआ शो’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वोट पाने की खातिर ‘मौत और आतंकी हमलों’ का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए हैं. श्याम का कहना था कि इस तरह के बयान से शांति और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो सकता था.
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