पात्रीस लूमम्बा, जो अफ्रीकी अस्मिता की आवाज थे साठ साल बाद उनके दांत वापस मिलेंगे

पंकज प्रसून

कोङ्गो की आज़ादी के प्रमुख और सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे पात्रीस लूमम्बा जिनकी बेल्जियम उपनिवेशवादियों ने षड्यंत्र करके हत्या कर दी थी। उनके हत्यारों ने उनकी लाश को गंधकाम्ल भरे पीपे में डाल कर गला दिया और कहीं पर उनके अवशेषों को गाड़ दिया ताकि भविष्य में वह कब्र लोगों के लिये तीर्थ स्थल न बन जाये ।

लेकिन बेल्जियम के एक सैनिक ने ट्राफी के रूप में उनके एक दांत को उखाड़ कर अपने पास रख लिया था।उस सिपाही के परिवार के पास 60 वर्षों तक वह दांत पड़ा रहा।

लूमम्बा की पुत्री जूलिआना अमातो लूमम्बा ने इस वर्ष की शुरुआत में ही बेल्जियम के सम्राट के पास आवेदन दिया था कि उनके पिता के उस दांत को उसे वापस दिलाया जाये। उनके पिता को ससम्मान दफ़न किया जाये। वैसे यह यकीनन नहीं कहा जा सकता कि वह दांत लूमम्बा का ही है क्योंकि उसका डीएनए टेस्ट नहीं हुआ है। टेस्ट कराने की सूरत में दांत बर्बाद हो जाता।

फिर भी बेल्जियम के अधिकारियों का विश्वास है कि वह दांत लूमम्बा का है।और वहां की संघीय अदालत ने उस दांत को लूमम्बा के परिवार को दे देने का फैसला सुना दिया है। केतंगा के षड्यंत्रकारियों ने बहुत बेदर्दी से लूमम्बा की हत्या की थी।

वह 27जनवरी 1961की सर्द रात थी।नौ बज कर चालीस मिनट पर कोङ्गो के तांबा प्रचुर प्रांत केतंगा के सवाना यानी घास के मैदानी इलाके का वह स्थान अचानक पुलिस कारों की बत्तियों से जगमगा उठा।

बेल्जियम पुलिस अधिकारी ख़ून से लथपथ 35 वर्षीय लूमम्बा का हाथ पकड़ कर एक पेड़ के पास ले गया। लूमम्बा के साथ उनके दो सहयोगी भी थे। कई दिनों से उनकी पिटाई हो रही थी। पेड़ के सामने तीनों को खड़ा कर दिया गया।

उन्हें घेर कर बीस सैनिक खड़े हो गए। उस जघन्य कृत्य को देखने के लिये केतंगा का राष्ट्रपति मोइस कापेंद शोमबे ,दो मंत्री और बेल्जियम के चार अधिकारी भी खड़े थे। गोलियां चलीं और तीनों कैदी मारे गये। यह एक सोची-समझी हत्या थी, जिसमें बेल्जियम उपनिवेशवादी और अमरीका के राष्ट्रपति आइजनहावर की भी संलिप्तता थी।

यहां तक कि राष्ट्र संघ के महासचिव दाग़ हामरशूल्द ने भी गुहार लगाने के बावजूद कोई मदद नहीं की।सन् 1975 में अमेरिकी सीनेट की एक कमेटी ने माना था कि सीआईए ने भी लूमम्बा की हत्या करने की साज़िश रची थी जो सफल नहीं हुई।

बेल्जियम की संसदीय जांच समिति ने छानबीन करके बताया कि लूमम्बा की हत्या के लिये सरकार नैतिक रूप से जिम्मेदार थी। लूमम्बा उनकी आंख की किरकिरी बन गये थे। क्योंकि वे अफ्रीकी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे थे और औपनिवेशिक ताकतों द्वारा अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को बंद करने की आवाज़ बन गये थे।

लूमम्बा की हत्या के बाद कर्नल मोबुतु सेसे सेको सत्ता पर अच्छी तरह काबिज़ हो गया और उसने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। सन् 1997 में अपनी मौत तक वह उस पद पर बना रहा। लेमम्बा कवि हृदय क्रांतिकारी थे।

प्रस्तुत है उनकी एक मर्मस्पर्शी कविता;

रो लो प्यारे काले भाई

(लूमम्बा की एक लंबी और मार्मिक कविता )

ओ काले आदमी
सदियों से बोझा ढोने वाले जानवर!
तुम्हारी राख
छितरायी है आसमान की हवाओं में
कभी बनाये थे तुमने शव-मंदिर भी
जिनमें सोते थे
तुम्हारे खूनी –चिर निद्रा में
किया जाता था तुम्हारा शिकार
ढूंढ लिया जाता था तुमको
भगा दिया जाता था तुमको
तुम्हारे अपने घरों से
बलात्कार और हत्या की वे क्रूर सदियां !!!
रखीं तुम्हारे सम्मुख जिनने
केवल दो विकल्प
— मौत या गुलामी?
तुम चले जाते भाग कर
सघन वनों में लेने शरण
जहां दूसरे शिकारी बैठे थे घात लगाये
बदल जलाने वाले बुखार
जंगली जानवरों के जबड़े
सांपों की ठंडी, अपवित्र कुंडलियां
जिन्होंने धीरे धीरे
रौंद कर दे दी मौत…
तब आया गोरा
अधिक चालाक,छली और क्रूर
जिसने अपना कूड़ा माल तुम्हें थमा कर
लूट लिया तेरा सोना
तुम्हारी औरतों का किया बलात्कार
तुम्हारे बहादुर लड़ाकों को
पिला कर शराब
बना दिया शराबी
तुम्हारे बेटे-बेटियों को
कर दिया बंद
अपने जहाज़ों के बाड़ों में
हर गांव में बजता रहा ढोल
फैलता दूर तक विषाद
जंगली दुःख
सुदूर ज़मीन पर
निर्वासन की खबर पर
जहां कपास ईश्वर है
और डॉलर राजा
जबरन बनाये गये मज़दूर
ढोने वाला जानवर
बनने को निंदित
जलते सूरज के नीचे
सुबह से शाम तक
ताकि भूल जाओ
कि तुम भी हो इंसान
उन्होंने तुम्हें सिखाया
उनके अपने भगवान की तारीफ में
गाने के लिये
और वे स्तुतियां
तुम्हारे दर्द के सुर में देती रहीं उम्मीद
आने वाली बेहतर दुनिया की
पर अपने इंसानी दिल में
तुमने बस मांगा
केवल जीने का अधिकार
अपने हिस्से की खुशी
आग के पास
तुम्हारी आंखें रहीं दिखाती
सपने और दर्द
तुमने गाये जो तराने
जिन्होंने दी आवाज़
तुम्हारी वेदना को
और कभी कभी तुम्हारी खुशियों को भी
जब पेड़ों में रस चढ़ता था
और सीलन भरी शाम को
तुम नाचते थे दीवानों जैसे
तो आगे उससे खिला
शानदार, जीवित और ओजस्वी
कांसे की बनी घंटी जैसा
तुम्हारे दर्द का अनुवाद
वह जबर्दस्त संगीत जैज़
सारी दुनिया में प्रिय और आदृत
जिसने गोरे को कर दिया विवश
आदर करने को
साफ़ और ऊंची आवाज़ से
घोषित करने कि अब से
यह देश उसका नहीं है बिल्कुल
ऐसे बनाया तुमने
अपनी नस्ल के भाइयों को
सिर उठा कर साफ़ साफ़ देखने
कि आगे खुशियों भरा भविष्य
आ रहा है मुक्ति लेकर
एक महान नदी के किनारों पर
उम्मीद के फूल खिले
जो हैं तुम्हारे सबसे आगे
धरती और उसकी दौलत
तुम्हारी हैं अब से आगे
रंगहीन आकाश में
प्रदीप्त सूर्य
भुला देता है हमारे दर्द को
गर्माहट भरी उर्मि से
उसकी जलती किरणें
आंसुओं के सैलाब को
हमेशा के लिये
मदद करेगी सुखाने में
जिन्हें बहाया था हमारे पूर्वजों ने
जो हो गये शहीद
मालिकों के जुल्मों से
और इस धरती पर
जिसे तुम करते हो प्यार हमेशा
बनाओगे तुम
कोङ्गो को एक
खुशहाल देश
विशाल काले अफ्रीका के
सीधे बिल्कुल दिल में

Leave a Reply

Your email address will not be published.

thirteen − seven =

Related Articles

Back to top button