सर्वोदय कार्यकर्ताओं द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन विश्व विभूति पुस्तकालय में किया गया

बैठक में साबरमती आश्रम को आधुनिक परिवेश में सजाने संवारने के केंद्र एवं गुजरात सरकार के प्रयास का विरोध किया गया तथा इसके खिलाफ व्यापक जन जागरण एवं कार्यक्रम करने का निर्णय किया गया।

साबरमती आश्रम शांति, सादगी, पवित्रता और आदर्श जीवन शैली का प्रतीक है। यह कायम रहना चाहिए। लेकिन इसे 1200 करोड़ की चमक दमक में इसे दबाने की कोशिश हो रही है। साबरमती आश्रम देश और दुनिया की विरासत है। विरासत बचेगी तो देश बनेगा। साबरमती आश्रम जैसा है उसे वैसा ही रहने दिया जाए।

मीडिया स्वराज डेस्क

मुजफ्फरपुर। जिले के प्रबुद्ध नागरिकों समाजसेवियों तथा सर्वोदय कार्यकर्ताओं ने एक विचार गोष्ठी विश्व विभूति पुस्तकालय कच्ची पक्की मुजफ्फरपुर में हुई। इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. डॉ विजय कुमार जयसवाल ने किया। बैठक में साबरमती आश्रम को आधुनिक परिवेश में सजाने संवारने के केंद्र एवं गुजरात सरकार के प्रयास का विरोध किया गया तथा इसके खिलाफ व्यापक जन जागरण एवं कार्यक्रम करने का निर्णय किया गया।

सर्व सेवा संघ के आंदोलन समिति के संयोजक अशोक भारत ने प्रस्तावना में कहा कि आज महात्मा जी के सिखाएं मूल्यों पर खतरा मंडरा रहा है। महात्मा जी का नाम लेते हुए देश को उल्टी और गलत दिशा में ले जाया जा रहा है।

सरकार 1200 करोड़ रुपया खर्च कर साबरमती आश्रम को आधुनिक परिवेश में सजाना चाहती है, ताकि संसार की आलीशान इमारतों में इसके गिनती हो। गांधीजी के लिए आजादी का मतलब था आम आदमी जैसा रहता है वैसे सब लोग रहे। एक सच्चा और अच्छा इंसान बनने की कोशिश करें। वह खुद भी वैसे थे और वैसा ही देश बनाना चाहते थे।

शांति प्रतिष्ठान के सचिव अरविंद वरुण ने कहा कि उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ गांधी हैं यह एक पूर्व नियोजित योजना का हिस्सा है और वे लोग अब तेजी से उस और कदम बढ़ा रहे हैं।

साबरमती आश्रम शांति, सादगी, पवित्रता और आदर्श जीवन शैली का प्रतीक है। यह कायम रहना चाहिए। लेकिन इसे 1200 करोड़ की चमक दमक में इसे दबाने की कोशिश हो रही है। साबरमती आश्रम देश और दुनिया की विरासत है। विरासत बचेगी तो देश बनेगा। साबरमती आश्रम जैसा है उसे वैसा ही रहने दिया जाए।

वरिष्ठ सर्वोदय कार्यकर्ता लक्ष्मण देव बाबू ने कहा कि कि सरकार का यह प्रयास गांधी विचार को निर्मूल करने का है। उनकी असली लड़ाई की असली लड़ाई महात्मा गांधी से है और इसकी हम कठोर शब्दों में भर्त्सना करते हैं। राष्ट्र सेवा दल के शाहिद कमाल ने कहा कि सरकार का यह कदम आजादी की विरासत को खत्म करने का प्रयास है। संघ परिवार के दृष्टि गांधी के आश्रम पर कब्जा करने की है। कुछ गांधियन उन्हें सहयोग कर रहे हैं हमें। नकली गांधी जनों से भी लड़ना पड़ेगा।

शांति प्रतिष्ठान के सचिव अरविंद वरुण ने कहा कि उनके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ गांधी हैं यह एक पूर्व नियोजित योजना का हिस्सा है और वे लोग अब तेजी से उस और कदम बढ़ा रहे हैं। डॉ. विजय कुमार जायसवाल ने कहा कि सरकार को एक पत्र लिखना चाहिए और जनता में जागरण के लिए मार्च निकालना चाहिए तथा सोशल मीडिया टि्वटर आदि का भी प्रयोग करना चाहिए।

अंत में सोनू सरकार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की शुरुआत रामबाबू के जय जगत गीत से हुआ। अशोक भारत अरविंद वरुण सोनू सरकार, विचार गोष्ठी में अंकित आनन्द, पवन कुमार, रजी हसन आदि ने भी अपने विचार रखे।

प्रोफेसर संजय सुमन ने कहा कि सरकार के इस प्रयास का पूरी मजबूती से विरोध होना चाहिए। सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष परमहंस जी ने कहा कि गांधी की प्रतिमा से कार्यक्रम की शुरुआत करनी चाहिए। छोटी छोटी बैठक कर लोगों तक विचार पहुंचाना चाहिए। रामबाबू ने कहा कि पूरे देश की विरासत को बचाना है। बड़े-बड़े संगठन चलाने वाले लोग डर गए हैं। यह डर निकालना होगा।

स्कूल कालेज के बच्चों से बात करनी होगी। अविनाश ने कहा के आंदोलन की शुरुआत फिर हृदय स्थली, तिलक मैदान से करना चाहिए। जहां गांधी के थे। जिसे नगर निगम ध्वस्त करना चाह रहा है। प्रतीकों को बदलने की कोशिश खतरनाक है और इसका पूरा विरोध करना चाहिए। सोनू सरकार ने इसके खिलाफ कलेक्टरिएट में धरना करने का सुझाव दिया। विचार गोष्ठी के अंत में सर्वसम्मति से यह तय किया गया के के सरकार के इस कदम के खिलाफ मुख्यमंत्री राज्यपाल, गुजरात के मुख्यमंत्री, भारत सरकार के गृह मंत्री, प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति को पत्र लिखा जाए।

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एक दिन का धरना उपवास का आयोजन किया जाएगा। एक दिवसीय बड़ी परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा। राज्य स्तर की टीम बनाने और जन जागरण के लिए छोटी-छोटी बैठकें करने और मार्च निकालने का फैसला किया गया। अंत में सोनू सरकार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की शुरुआत रामबाबू के जय जगत गीत से हुआ। अशोक भारत अरविंद वरुण सोनू सरकार, विचार गोष्ठी में अंकित आनन्द, पवन कुमार, रजी हसन आदि ने भी अपने विचार रखे।

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