आरएसएस के ढाई लाख प्रशिक्षित कार्यकर्ता घर -घर जायेंगे
चुनाव से पहले चित्रकूट मंथन में बड़ा निर्णय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस कोरोना के संभावित तीसरी लहर का सामना करने हेतु देशव्यापी “कार्यकर्ता प्रशिक्षण” का आयोजन करेगा. ये प्रशिक्षित कार्यकर्ता कोरोना काल में समाज का मनोबल बढ़ाने और लोगों को जागरुक करने के लिए क़रीब 2.5 लाख स्थानों तक पहुँचेंगे। यह प्रशिक्षण अगस्त माह में पूर्ण किया जायेगा तथा सितंबर से जनजागरण द्वारा हर गाँव व बस्ती में कई स्वयंसेवी लोगों व संस्थाओं को इस अभियान में जोड़ा जायेगा।
समझा जाता है कि संघ कार्यकर्ता इसी बहाने चुनाव में भाजपा की मदद करेंगे .
चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की चार दिन चली बड़ी बैठक में संघ में बड़े परिवर्नतन के साथ एक नया छवि और चेहरे को लेकर गहन मंथन हुआ। सर संघ चालक मोहन ड़ा भागवत बैठक में पूरे समय उपस्थित रहे.
संगठनात्मक परिवर्तन
संघ ने बड़ा और महत्त्वपूर्ण संगठनात्मक परिवर्तन करते हुए संयुक्त महासचिव अरुण कुमार को भाजपा व राजनीतिक मुद्दों के लिए समन्वयक बनाया। इससे पहले यह जिम्मेदारी 2015 से कृष्ण गोपाल संभाल रहे थे। 2015 में कृष्ण गोपाल ने सुरेश सोनी का स्थान लिया था जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के बाद करीब एक दशक तक समन्वय की जिम्मेदारी संभाली थी।
माना जाता है कि सुरेश सोनी ने 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
संघ में राजनीतिक समन्वयक की बहुत बड़ी भूमिका होती है। अरुण कुमार अब संघ और भाजपा के बीच एक सेतु का काम करेंगे ।
अरुण कुमार भाजपा सहित राजनीतिक मुद्दों के लिए संघ के समन्वयक होंगे। उत्तर प्रदेश सहित 2022 में सात राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर संघ की पैनी नजर और इस नजरिए से अरुण कुमार की नियुक्ति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
वरिष्ठ पत्रकार और संघ के जानकार रमेश शर्मा कहते हैं कि कृष्ण गोपाल के स्थान पर अरुण कुमार को लाने का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण उनका उत्तर भारत के साथ कश्मीर मामलों का विशेषज्ञ होना है। अरुण कुमार उत्तर भारत और कश्मीर मामलों के जानकार माने जाते है। अरुण कुमार लंबे समय तक कश्मीर में रह चुके है। ऐसे में जब कश्मीर का मुद्दा गरमा रहा है और उसका असर पूरे देश पर पड़ता है ऐसे में अरुण कुमार की राजनीतिक समन्वयक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
इसके साथ जिस तरह से देश के अन्य राज्यों में लगातार कश्मीर से जुड़े चरमपंथी गिरफ्तार किए जा रहे है उस लिहाज से भी अरुण कुमार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
अरुण कुमार की नियुक्ति के सियासी मायने
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के साथ बैठक करना और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तैयारियां शुरु होने के साथ संघ का कश्मीर में लंबे समय तक रहे अरुण कुमार को बड़ी जिम्मेदारी देने कई सियासी मायने है। गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को लेकर जागरुकता फैलाने के अभियान में अरुण कुमार की प्रभावी भूमिका थी।
चुनाव से पहले घर पहुंचेंगे स्वयंसेवक
चित्रकूट में चली बैठक में यह भी तय किया गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरोना के संभावित तीसरी लहर का सामना करने हेतु देशव्यापी “कार्यकर्ता प्रशिक्षण” का आयोजन करेगा तथा यह प्रशिक्षित कार्यकर्ता लगभग 2.5 लाख स्थानों पर पहुँचेंगे। कोरोना काल में समाज का मनोबल बढ़ाने और लोगों को जागरुक करने के लिए प्रशिक्षित कार्यकर्ता लगभग 2.5 लाख स्थानों तक पहुँचेंगे। यह प्रशिक्षण अगस्त माह में पूर्ण किया जायेगा तथा सितंबर से जनजागरण द्वारा हर गाँव व बस्ती में कई स्वयंसेवी लोगों व संस्थाओं को इस अभियान में जोड़ा जायेगा।
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि यूपी चुनाव से ठीक पहले चित्रकूट में संघ की बैठक में लिए गए निर्णयों ने साफ है कि संघ अब चुनाव को लेकर एक्टिव हो गया है।
कृष्ण गोपाल की जगह अरुण कुमार को जिम्मेदारी दी जानी हो या कार्यकर्ता प्रशिक्षण का आय़ोजन कर गांव के लोगों को इस अभियान से जोड़ने का हो। भले ही संघ प्रत्यक्ष तौर पर इसे कोरोना को लेकर जागरुकता अभियान से जोड़ने लेकिन पर्दे के पीछे इसका सीधा संबंध चुनाव से पहले लोगों तक कोरोना काल में भाजपा सरकार की लागू की गई योजना की जानकारी देना है। इसके साथ अभियान के जरिए संघ कार्यकर्तोओं की बड़ी फौज तैयार कर उन्हें चुनावी रण में झोंक देगा।
कोरोना के चलते लंबे समय से मैदानों में संघ की जो शाखाएं नहीं लग पा रही थी उनको फिर शुरु कर दिया गया है। संघ के मुताबिक देश भर में वर्तमान में कुल 39,454 शाखाएँ संचालित हो रही है जिसमें 27,166 शाखाएँ अब मैदान में लग रही है तथा 12,288 ई-शाखाएँ है।
इसके साथ में चित्रकूट बैठक में यह भी तय किया गया कि संघ अब समय के अनुसार अपने में कुछ परिवर्तन करेगा। जैसा अब तक सोशल मीडिया में कम एक्टिव रहने वाला संगठन अपनी गतिविधियों को बढ़ाएगा .