रिया चक्रवर्ती को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली जमानत

मिरांडा और सावंत को भी जमानत, शौविक और परिहार की याचिका खारिज

सुशांत केस के ड्रग्स मामले बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती, सैमुअल मिरांडा और दीपेश सावंत को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। हालांकि, रिया के भाई शौविक चक्रवर्ती और अब्देल बसिथ परिहार की जमानत याचिका खारिज कर दी। एनसीबी का आरोप था कि इन्होंने दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को ड्रग्स खरीदने में मदद की थी।

जस्टिस सारंग वी कोतवाल की एकल पीठ ने लंबी सुनवाई के बाद 29 सितंबर को जमानत के आदेशों को सुरक्षित रख लिया था। आरोपियों के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 की धारा 8 (सी), 20 (बी) (ii), 22, 27 ए, 28, 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अभियुक्तों की ओर से वकीलों, एडवोकेट तारक सईद (परिहार के लिए), सतीश मानशिन्दे (रिया और शोविक के लिए), सुबोध देसाई (मिरांडा के लिए) और राजेंद्र राठौड़ (सावंत के लिए) का तर्क था कि आरोपियों के पास से ड्रग बरामद नहीं हुआ है। इसके अलावा एनसीबी के पास कोई ऐसे सबूत नहीं हैं कि आरोपी ड्रग्स का सेवन करते हैं।

बचाव पक्ष का कहना था कि धारा 37 (1) एनडीपीएस एक्ट के तहत जमानत नहीं देने का प्रावधान मौजूदा मामले में लागू नहीं होता है क्योंकि अपराध कम मात्रा से संबंधित हैं।

बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि एनसीबी ने धारा 27 ए के तहत ‘अवैध व्यापार का वित्तपोषण’ और ‘अपराधी को शरण देने’ के अपराध का गलत आरोप लगाया है। आरोपित केवल सुशांत के निर्देशों का पालन कर रहे थे, और मौजूदा मामले के मुता‌बिक, उनके लिए कुछ ग्राम गांजा खरीदा गया था। इसलिए यदि सुशांत, जिसे लाभ हुआ, केवल छोटी मात्रा से संबंधित अपराध के लिए दंडनीय है, तो आरोपित को ऊंची सजा नहीं दी जा सकती। इसके अलावा आरोपित पर ‘अपराधी को शरण’ देने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि सुशांत अपने घर में ही था और आरोपित उसके साथ ही रह रहे थे।

एनसीबी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि एनडीपीएस अपराधों की पुष्टि के लिए वर्जित की वसूली हमेशा आवश्यक नहीं थी।

उन्होंने तर्क दिया कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की ड्रग्स सेवन की आदत को छिपाता है, तो वह ‘अपराधी को शरण देने’ के बराबर होगा।

उन्होंने कहा कि अदालत को एनडीपीएस एक्ट के उद्देश्यों पर ध्यान देना होगा, जो कि देश के युवाओं को ड्रग्स के खतरे से बचाने के लिए हैं।

नशीली दवाओं के अपराध हत्या से भी बदतर हैं, क्योंकि वे पूरे समाज को प्रभावित करते हैं।

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