अटल पथ के वास्तविक उत्तराधिकारी पथिक हैं राजनाथ सिंह!

25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी जी ने भारतीय राजनीति में एक ऐसी उपाधि को पाया है, जो शायद ही आगे चलकर किसी नेता को हासिल हो। जी हां, अटल जी ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने हमेशा राजनीति करते हुई भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने जब भी देश को आवश्यकता पड़ी तो राजनीति से ऊपर उठकर देश के लिए सही तथ्य ही देश के सामने रखे।

25 दिसंबर: अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर विशेष

👍 देश के महानायक एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय की भाजपा आज बदले परिवेश की भाजपा है। ऐसे में भाजपाई राजनीति का चरित्र, चाल, चिंतन भी अब बदला दिखता है। लेकिन भाजपा में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे ऐसे भी निर्विवाद नेता हैं, जो आज भी अटल पथ के वास्तविक उत्तराधिकारी पथिक बने नजर आते हैं। अटल जी के पदचिन्हों पर अटल राजनाथ सिंह मृदुभाषी व्यवहार, शुचिता पूर्ण राजनीति करके भाजपा ही नहीं बल्कि दूसरे दलों के नेताओं में भी अटल जी की तरह सम्मान पाने वाले नेताओं की श्रेणी में जा खड़े हुए हैं।

  • विषाक्त राजनीतिक परिवेश में आज भी अटल जी के पदचिन्हों पर अटल हैं राजनाथ
  • फिलहाल अटल बिहारी जी के बाद देश के हैं आज दूसरे निर्विवाद नेता
  • अटल जी के सानिध्य में राजनाथ सिंह ने सीखा विपरीत परिस्थितियों से जूझना व उससे मुस्कुराते हुए निपटना

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)

भारतीय राजनीति की आबोहवा इस समय सस्ते बयानों एवं धर्म तथा जाति के भयावह राजनीतिक प्रहारों की चपेट में है। ऐसे में अपनी बात को बेबाकी से सही अर्थों में कहने का जो जज्बा देश के महानायक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी में था, वह आज याद आता है।

25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी जी ने भारतीय राजनीति में एक ऐसी उपाधि को पाया है, जो शायद ही आगे चलकर किसी नेता को हासिल हो। जी हां, अटल जी ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने हमेशा राजनीति करते हुई भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने जब भी देश को आवश्यकता पड़ी तो राजनीति से ऊपर उठकर देश के लिए सही तथ्य ही देश के सामने रखे।

आज विपक्ष की राजनीति में नकारात्मकता का भाव है। अर्थात जो सत्ता पक्ष कहेगा, विपक्ष उसके विरोध में ही बोलेगा। लेकिन अटल बिहारी बाजपेई ने विपक्ष में रहते हुए भी सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत जीवन भर जुटाए रखी। आज के नेताओं में इसका अभाव दिखता है?

आज विपक्ष की राजनीति में नकारात्मकता का भाव है। अर्थात जो सत्ता पक्ष कहेगा, विपक्ष उसके विरोध में ही बोलेगा। लेकिन अटल बिहारी बाजपेई ने विपक्ष में रहते हुए भी सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत जीवन भर जुटाए रखी। आज के नेताओं में इसका अभाव दिखता है?

यही नहीं, अटल जी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उस समय भी उन्होंने अपने भाषण में सदन में कहा था कि यदि हम पूर्व की सरकारों के द्वारा किए गए विकास के कार्यों की अनदेखी करते हैं तो यह हम देश के पुरुषार्थ के साथ खिलवाड़ करते हैं। यह बात अटल जी जैसे नेता ही कह सकते थे। ऐसे नेता कतई नहीं कह सकते जो पद, देश, राजनीतिक दल को बस केवल एक ही चश्मे से देखते हैं।

स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर यदि हम भाजपा की बात करें तो आज अटल जी की भाजपा वास्तव में कहीं खो गई है। आज की भाजपा का चाल, चरित्र, चिंतन बदला हुआ है? अब भाजपा में डिजिटल प्रभाव ज्यादा दिखाई देता है। जमीनी चिंतन रह-रहकर गायब हो जाता है।

राजनीतिकरण ब्रांड व्यवस्था के साथ किया जा रहा है! अटल जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की थी। उन्होंने पोखरण विस्फोट जैसे ऐतिहासिक कदम भी उठाए थे। पूरे विश्व ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए लेकिन अटल जी ने बिना घबराए हुए देश को उन्नति के पथ पर अग्रसर रखा।

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राजनीतिकरण ब्रांड व्यवस्था के साथ किया जा रहा है! अटल जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की थी। उन्होंने पोखरण विस्फोट जैसे ऐतिहासिक कदम भी उठाए थे। पूरे विश्व ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए लेकिन अटल जी ने बिना घबराए हुए देश को उन्नति के पथ पर अग्रसर रखा।

खास बात यह भी है कि अटल जी ने कभी भी विरोधियों को निम्न शब्दों में नहीं नवाजा। आज भले ही भाजपाई प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी के बारे में तरह-तरह की बातें करते हों! लेकिन यह अटल जी ही थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद संसद भवन के गलियारे से हटाई गई नेहरू जी की तस्वीर को दोबारा तत्काल लगवाया था।

यदि वर्तमान भाजपा के नेताओं के बारे में बात की जाए तो कटु सत्य है कि आज भाजपा की राजनीति में केवल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ही ऐसे नेता हैं, जो अटल जी के द्वारा बताए गए नैतिक मूल्यों, उनके मार्गदर्शन तथा उनके पद चिन्हों पर अटल होकर चल रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए उनकी सरकारों में केंद्रीय मंत्री का पद भी सुशोभित किया है। यही नहीं, 1977 में पहली बार विधायक बने राजनाथ सिंह ने राजनीति के कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन उन्होंने राजनीतिक शुचिता को नहीं छोड़ा। उन्होंने सरल व्यवहार को नहीं छोड़ा। उन्होंने विरोधी दलों के नेताओं का सम्मान करना भी नहीं छोड़ा। यह शायद इसलिए था क्योंकि उन्हें अटल जी का सानिध्य खूब मिला है।

आज राजनाथ सिंह देश के ऐसे बड़े भाजपा नेता हैं, जिनकी इज्जत विरोधी दलों के नेता ही नहीं बल्कि उनके समर्थक भी करते हैं। राजनाथ सिंह बेबाक बोलते जरूर हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं बोलते, जो किसी के हृदय को दुखी कर जाए। राजनाथ सिंह हिंदुत्ववादी राजनीति के परम पैरोकार हैं लेकिन सबको साथ लेकर चलने की वह हिम्मत रखते हैं।

राजनाथ सिंह राजनीतिक परिस्थितियों में भी संयत रहते हैं! वे विपरीत परिस्थितियों को हंसते मुस्कुराते हुए किनारे लगा देते हैं। यदि इधर बीते भाजपाई सत्ता के वर्षों को देखा जाए तो इसमें राजनाथ सिंह ने बड़े ही धैर्य का परिचय दिया है। जाहिर है कि राजनाथ सिंह के जेहन में शायद अटल विचारों का जो मंथन था, वह उन्हें हमेशा शक्ति प्रदान करता रहा है।

राजनाथ सिंह राजनीतिक परिस्थितियों में भी संयत रहते हैं! वे विपरीत परिस्थितियों को हंसते मुस्कुराते हुए किनारे लगा देते हैं। यदि इधर बीते भाजपाई सत्ता के वर्षों को देखा जाए तो इसमें राजनाथ सिंह ने बड़े ही धैर्य का परिचय दिया है। जाहिर है कि राजनाथ सिंह के जेहन में शायद अटल विचारों का जो मंथन था, वह उन्हें हमेशा शक्ति प्रदान करता रहा है।

राजनाथ सिंह अटल जी के अत्यंत करीबी थे। इसमें कोई संदेह नहीं है। तभी तो राजनाथ सिंह अभी हाल ही के कुछ माह पूर्व में जब लखनऊ आए और उन्होंने एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक जब होर्डिंग-पोस्टरों की ओर देखा तो उसमें अटल जी की फोटो नदारद थी!

राजनाथ सिंह ने सभी बड़े भाजपा नेताओं के समक्ष बेबाकी से बोला कि लखनऊ में केवल एक चित्र लगना चाहिए, वह अटल जी का चित्र लगना चाहिए। क्योंकि लखनऊ अटल जी के बगैर कुछ नहीं है! लखनऊ अटल जी के लिए हमेशा समर्पित रहा है। स्पष्ट है कि राजनाथ सिंह को यह अखर गया था कि जिन अटल बिहारी वाजपेयी के संसदीय क्षेत्र का आज वे सांसद के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं, उन्हीं अटल जी का चित्र होल्डिंग से वर्तमान भाजपाइयों ने गायब कर रखा था?

वास्तव में राजनाथ सिंह अटल जी के वास्तविक उत्तराधिकारी पथिक बने नजर आते हैं। यह बात मैं कृष्ण कुमार द्विवेदी उर्फ राजू भैया इसलिए नहीं कहता कि मुझे राजनाथ सिंह की चापलूसी करनी है। मैं अटल जी के जीवन वृत्त का अध्ययन करने के बाद यह कहता हूं कि राजनाथ सिंह जी आज वास्तव में अटल बिहारी वाजपेयी जी के नैतिक मूल्यों के बनाए हुए पथ पर चलते नजर आते हैं! यही वजह है कि राजनाथ सिंह आज भाजपा में वरिष्ठ नेताओं के क्रम में रहते हुए देश के निर्विवाद नेता हैं। जी हां, वह अटल बिहारी वाजपेयी जी के बाद देश के दूसरे निर्विवाद नेता हैं, जिनकी इज्जत विरोधी दल के लोग भी करते हैं। ऐसी ख्याति अटल जी के बाद यदि किसी को मिली है तो वो राजनाथ सिंह ही हैं।

राजनाथ सिंह अटल बिहारी वाजपेयी के बीमार रहते हुए उन्हें लगातार देखने जाते रहे। राजनाथ सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी को सदा अपना अभिभावक माना। यही वजह है कि अटल जी के विचार आज भी उनमें जीवंत बने हैं।

राजनाथ सिंह अटल बिहारी वाजपेयी के बीमार रहते हुए उन्हें लगातार देखने जाते रहे। राजनाथ सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी को सदा अपना अभिभावक माना। यही वजह है कि अटल जी के विचार आज भी उनमें जीवंत बने हैं। यह अटल बिहारी वाजपेयी जी का नेतृत्व ही था कि उन्होंने भाजपा को लालकृष्ण आडवाणी जी एवं डॉ मुरली मनोहर जोशी जी जैसे तमाम नेताओं के साथ मिलकर पहली बार देश की सत्ता में पहुंचाया। भाजपा को बड़ी पार्टी बनाया। आज उनकी बनाई हुई भाजपा देश की नंबर वन पार्टी बनी हुई है। फिलहाल कुछ भी हो अटल जी के नैतिक मूल्य, उनके विचार, राजनीति करने का उनका ढंग, उनकी दूरगामी सोच, उनकी जीवटता आज भी देश के लिए प्रेरणा सोत्र है। वर्तमान में राजनाथ सिंह अटल जी के पद चिन्हों पर चलकर अटल पथ के वास्तविक उत्तराधिकारी पथिक बने नजर आते हैं। फिलहाल इसमें कोई संदेह नहीं है।

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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