जानें, गांधी को अपशब्द कहने वाले ‘महाराज’ का अभिजीत से ‘कालीचरण’ बनने तक का सफर…

कौन है कालीचरण?

रायपुर में आयोजित ‘धर्म संसद’ में महात्मा गांधी को ‘अपशब्द’ कहने और गोडसे को ‘साष्ट्रांग’ करने वाले कालीचरण महाराज (Kalicharan Maharaj) को लेकर आज लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कौन है कालीचरण? आज हम जानेंगे मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला निवासी अभिजीत सराग के कालीचरण बनने के सफर के बारे में…

कालीचरण महाराज आज भले ही विवादों में घिर गया हो, लेकिन इससे पहले पिछले साल ही सोशल मीडिया पर वह खूब सुर्खियां बटोर चुका है। लेकिन तब ‘शिव तांडव स्रोत‘ का बड़ी ही खूबसूरती से गान करने की वजह से लोग उसकी वाहवाही कर रहे थे। ‘शिव तांडव स्रोत’ पाठ के बाद तो कालीचरण युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया। हालांकि, गांधी को ‘अपशब्द’ कहने के बाद अब लोग कालीचरण के बैकग्राउंड के बारे में जानने को उत्सुक हैं। तो आइए, जानते हैं कालीचरण को…

पिछले साल मध्य प्रदेश स्थित भोजपुर मंदिर में ‘शिव तांडव स्त्रोतम’ गाकर सोशल मीडिया में चर्चित होने वाले कालीचरण ने तब अपने वीडिया ने शिव भक्तों का मन मोह लिया था।

‘शिव तांडव स्त्रोतम’ गाकर हुआ था चर्चित

पिछले साल मध्य प्रदेश स्थित भोजपुर मंदिर में ‘शिव तांडव स्त्रोतम’ गाकर सोशल मीडिया में चर्चित होने वाले कालीचरण ने तब अपने वीडिया ने शिव भक्तों का मन मोह लिया था। यहां तक कि कई बॉलीवुड सितारों ने भी तब उसकी तारीफ की थी। उस वक्त कालीचरण ने महादेव के प्रतिभाशाली भक्त के रूप में खूब सुर्खियां बटोरी थी।

कालीचरण मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला का रहने वाला है। उसका बचपन शिवाजी नगर के भवसर पंचबंगला इलाके में गुजरा है। उसका असली नाम अभिजीत धनंजय सराग है। अकोला में जन्मे अभिजीत के पिता की एक मेडिकल शॉप है।

कालीचरण मूल रूप से महाराष्ट्र के अकोला का रहने वाला है। उसका बचपन शिवाजी नगर के भवसर पंचबंगला इलाके में गुजरा है। उसका असली नाम अभिजीत धनंजय सराग है। अकोला में जन्मे अभिजीत के पिता की एक मेडिकल शॉप है

आठवीं तक की है पढ़ाई

कालीचरण के परिवार को जानने वाले कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि कालीचरण ने 8वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की। पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता था। उसे स्कूल जाना तो कतई भी पसंद नहीं था। एक बार खुद कालीचरण ने भी एक इंटरव्यू के दौरान यह स्वीकार किया था कि बचपन में मुझे स्कूल जाना कभी पसंद नहीं रहा। यदि जबरन मुझे स्कूल भेजा जाता था तो मैं बीमार हो जाता था।

उसने यह भी बताया था कि उसकी रुचि धर्मग्रंथों को पढ़ने में ज्यादा थी। इसलिये वह धर्म शास्त्रों का अध्ययन करने में जुट गया। जल्दी ही उसका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया।

वह भैय्यूजी महाराज का शिष्य बन गया और न केवल अपना नाम बदला बल्कि पूरा गेटअप भी चेंज कर लिया, वो ​भी बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में। दाढ़ी मूँछ बढ़ाया, नारंगी चादर ओढ़ लिया और माथे पर सबसे बड़ा बुंदा लगा लिया। एक्सट्रा लार्ज।

इंदौर में रहकर भैय्यूजी महाराज का शिष्य बना

कालीचरण ने जब पढ़ाई लिखाई छोड़ दी और स्कूल जाना तक बंद कर दिया तब उसके माता पिता ने उसे घर से निकाल दिया और सुधरने के लिये मौसी जी के घर इंदौर भेज दिया, लेकिन वहां वह भैय्यूजी महाराज का शिष्य बन गया और न केवल अपना नाम बदला बल्कि पूरा गेटअप भी चेंज कर लिया, वो ​भी बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में। दाढ़ी मूँछ बढ़ाया, नारंगी चादर ओढ़ लिया और माथे पर सबसे बड़ा बुंदा लगा लिया। एक्सट्रा लार्ज।

भय्यूजी महाराज के सानिध्य में कई धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न किया। बाद में जब भैय्यूजी महाराज अपने नाजायज काम की वजह से बदनाम हुये तो उसने खुद को गोली मार ली। इससे पहले ही कालीचरण उसके आश्रम से निकल कर वापस अकोला पहुंच गया था। कालीचरण 2017 में अकोला लौटा और नगर निगम चुनाव में किस्मत आजमाई लेकिन चुनाव हार गया।

वह कहता कि देवी काली ने न केवल उसे दर्शन दिए बल्कि उसे एक दुर्घटना से भी बचाया। उसने बताया कि एक दुर्घटना में मेरे पांव टूट गए थे। मेरे पांव 90 डिग्री से ज़्यादा मुड़ गए थे और दोनों हड्डी टूट गई थी, लेकिन काली मां ने मुझे दर्शन दिए और उन्होंने मेरे पांव को पकड़ खींचा और उसी वक्त मेरे पांव ठीक हो गए।

देवी काली के दर्शन का किया दावा

हालांकि, बकौल कालीचरण, उसके अभिजीत सराग से कालीचरण बनने का सफर काफी दिलचस्प है। वह कहता कि देवी काली ने न केवल उसे दर्शन दिए बल्कि उसे एक दुर्घटना से भी बचाया। उसने बताया कि एक दुर्घटना में मेरे पांव टूट गए थे। मेरे पांव 90 डिग्री से ज़्यादा मुड़ गए थे और दोनों हड्डी टूट गई थी, लेकिन काली मां ने मुझे दर्शन दिए और उन्होंने मेरे पांव को पकड़ खींचा और उसी वक्त मेरे पांव ठीक हो गए। गंभीर हादसे के बाद भी मेरे पैरों की सर्जरी नहीं करनी पड़ी थी।

महर्षि अगस्त्य से मुलाकात का दावा

कालीचरण के दावे यहीं खत्म नहीं हुये। उसने अपने नये गेटअप को लेकर यह दावा किया कि महर्षि अगस्त्य ने खुद उसे ये लाल कपड़े पहनने को कहा था। उसने बताया कि 15 साल की उम्र में उसकी मुलाकात महर्षि अगस्त्य से हुई थी, तब उन्होंने ही उसे लाल कपड़े पहनने को कहा था।

कालीचरण लोगों से कहता था कि मैं कोई ऋषि मुनि नहीं हूं। मुझे अच्छे, आकर्षक डिजाइन वाले कपड़े पसंद हैं। मैं कुमकुम भी लगाता हूं, मैं दाढ़ी बनाता हूं इसलिए मैं खुद को ऋषि मुनि नहीं कह सकता।

मैं कोई ऋषि नहीं हूं

कालीचरण लोगों से कहता था कि मैं कोई ऋषि मुनि नहीं हूं। मुझे अच्छे, आकर्षक डिजाइन वाले कपड़े पसंद हैं। मैं कुमकुम भी लगाता हूं, मैं दाढ़ी बनाता हूं इसलिए मैं खुद को ऋषि मुनि नहीं कह सकता।

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