भारतीय रॉ चीफ और ओली की मुलाकात पर सवाल

रॉ प्रमुख
यशोदा श्रीवास्तव, नेपाल मामलों के विशेषज्ञ

काठमांडू। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ चीफ सामंत कुमार गोयल और पीएम ओली की एकांत मुलाकात को लेकर ओली एक बार फिर अपनों के निशाने पर हैं।

सवाल खड़ा हो रहा है कि कोरोना काल में ऐसी कौन सी कूटनीतिक वार्ता की जरूरत आ पड़ी कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के ठप होने के बावजूद आननफानन में भारतीय रॉ चीफ के लिए आपातकालीन उड़ान की व्यवस्था करनी पड़ी?

भारतीय रॉ चीफ का दो ढाई घंटे तक अकेले पीएम ओली से मुलाकात पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

दूसरी तरफ नेपाल में भारत के हिमायती दल और टीकाकार भारतीय रॉ प्रमुख और ओली की मुलाकात को सार्थक नजरिए से देख रहे हैं।

उत्तराखंड के जिस विवादित भूमि पर कथित अतिक्रमण को लेकर नेपाल और भारत के बीच तनाव है, इसे काफी हद तक दूर करने का भी यह एक महत्वपूर्ण पहल है।

सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि दशमी के अवसर पर रा चीफ का किए गए सम्मान कक्ष में जो नेपाली नक्शा चस्पा था उसमें विवादित भूक्षेत्र लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी का हिस्सा गायब था।

भारत के कब्जे वाले इस हिस्से को नेपाल ने हाल ही अपने नक्शे में दर्ज कर नया नक्शा जारी किया था। भारत की ओर से इसपर सख्त नाराजगी जताई गई थी।

भारतीय खुफिया चीफ गोयल के अचानक काठमांडू आगमन पर सवाल खड़ा करते हुए जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों पर आवाज बुलंद करते रहे नागरिक नामक संगठन का कहना है कि पड़ोसी देश से मधुर संबंध का पक्षधर पूरा नेपाल है।

यह जनभावना से जुड़ा हुआ मसला है लेकिन भारतीय रॉ चीफ के आगमन की जानकारी विदेश मंत्रालय तक को न हो, इससे ओली सरकार पर शंका उत्पन्न होना लाजिमी है।

हालांकि पीएम ओली के प्रेस सलाहकार ने बयान जारी कर इसे एक शिष्टाचार भेंट बताया है। नागरिक संगठन ने इस शिष्टाचार भेंट पर भी सवाल उठाया है।

कहा कि यह पहली बार देखा गया कि नेपाल का कोई पीएम किसी दूसरे देश के खुफिया चीफ से देर रात गुपचुप तरीके से शिष्टाचार भेंट करता हो।

नागरिक संगठन के पदाधिकारी दीपेंद्र बहादुर क्षेत्री ने नेपाल की संप्रभुता, राष्ट्रीय सम्मान और अखंडता का हवाला देते हुए पीएम ओली से भारतीय रॉ चीफ और खुद की मुलाकात का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की है।
भारतीय खुफिया रॉ चीफ का अचानक काठमांडू दौरे से चीन भी चौकन्ना है। ओली सरकार में चीनी समर्थक नेता भी दबे जुबान इस मुलाकात को सही नहीं बता रहा।

हालांकि इस बाबत अभी खुलकर सरकार समर्थक किसी नेता का बयान नहीं आया लेकिन दबे जुबान कइयों ने इसे गैरमुनासिब बताया है।

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