Covid certificates में PM मोदी की तस्वीर क्यों?
कोविड सर्टिफिकेट में मोदी की तस्वीर
कोरोना काल ने पूरी दुनिया के दिलोदिमाग पर एक ऐसी याद छोड दी है, जिसे लोग चाहकर भी शायद कभी न भूल पाएंगे. इस महामारी से काफी हद तक लडने में अहम भूमिका निभाई है कोविड वैक्सीन ने. लेकिन इसी वैक्सीन को लेने के बाद मिलने वाले सर्टिफिकेट में पीएम मोदी की तस्वीर कुछ असहज सी प्रतीत होती है. खासकर उन्हें जो मोदी जी को पसंद नहीं करते, लेकिन कोविड सर्टिफिकेट में उनकी तस्वीर होने के कारण हर वक्त उन्हें ये तस्वीर अपने साथ लेकर चलना होता है.
सुषमाश्री
केरल के 62 वर्षीय Peter M को जब Covid-19 vaccine certificate मिला तो वे कुछ खुश नहीं थे. कारण था उस सर्टिफिकेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर का होना. Peter M नहीं चाहते थे कि उनके सर्टिफिकेट में पीएम मोदी की तस्वीर हो. उन्होंने कहा कि यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.
केरल के 62 वर्षीय Peter M ((RTI) Right to information activist) आरटीआई कार्यकर्ता और विपक्षी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं. वह नया सर्टिफिकेट चाहते हैं, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर न हो.
कोट्टयम जिले स्थित अपने मकान से फोन पर हुई बातचीत में पीटर एम ने बीबीसी से कहा, कोविड सर्टिफिकेट में मोदी जी की तस्वीर ऐसा महसूस कराती है जैसे कि नागरिकों के मन में वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहना चाहते हैं. यह असंवैधानिक है इसलिए मैं चाहता हूं कि माननीय मोदी जी इसे रोकें. लोकतंत्र में ऐसा करना न तो राष्ट्रहित में है और न ही किसी भी एक व्यक्ति के हित में.
गौरतलब है कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद जारी सर्टिफिकेट में उस खास व्यक्ति के पर्सनल डिटेल्स होने के अलावा उसमें स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी मोदी जी की तस्वीर समेत अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में दिया गया संदेश भी होता है.
अगस्त के महीने में राज्य स्वास्थ्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद में कहा कि प्रधानमंत्री जी की तस्वीर के साथ सर्टिफिकेट में उनकी जिस बात को स्थान दिया गया है, वह बड़े पैमाने पर जनहित में है. इसमें टीका लेने के बाद भी कोविड नियमों का पालन करने को जरूरी बताया गया है.
इस पर आरटीआई कार्यकर्ता कहना है कि जिन्होंने भी कोविड का टीका लगवा लिया है, वे सभी ये जानकारियां तो रखते ही हैं, साथ ही कोविड को लेकर पूरी तरह से जागरुक भी हैं. ऐसे में राज्य स्वास्थ्य मंत्री का यह तर्क बेमानी सा लगता है.
उन्होंने आगे कहा, मोदी जी न तो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं और न ही देश में यह पहला वैक्सीनेशन है. लेकिन कोविड 19 और इस वैक्सीन प्रोग्राम को कुछ इस तरह से पेश किया जा रहा है, मानो यह वन मैन शो हो. असल में यह प्रधानमंत्रीजी का (propaganda tool) प्रचार उपकरण है.
पीटर एम ने यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री जी को इन सब पर पैसे खर्चने के बजाय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन लेने वालों की लंबी लंबी कतारें लगी रहती हैं. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि वे प्राइवेट अस्पतालों में भी फ्री वैक्सीन देने की सुविधा मुहैया कराएं.
उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन के लिए निजी अस्पताल में मैंने 750 रुपये दिये. फिर मेरे सर्टिफिकेट में मिस्टर मोदी तस्वीर क्यों?
पीटर एम ने इसका विरोध करते हुए बीजेपी के दो प्रवक्ताओं से मुलाकात कर इसका कारण जानने की कोशिश की, लेकिन जब उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तब मैंने केरल हाईकोर्ट में आरटीआई दर्ज कराई. अब हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों ने दो हफ्ते के अंदर संबंधित सवालों के जवाब देने को कहा है.
राजनीति में विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर पीएम मोदी से कई बार सवाल किए और कोविड सर्टिफिकेट में अपनी तस्वीर लगाने के लिए उनकी आलोचना भी की. जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है, वहां के मुख्यमंत्रियों ने मोदी की तस्वीर की बजाय अपनी तस्वीर वहां लगा ली.
कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी पीएम मोदी पर आरोप लगाया है कि कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट्स पर अपनी तस्वीर लगाकर वे अपनी पब्लिसिटी कर रहे हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो पीएम मोदी के इस कारनामे पर तंज कसते हुए कहा कि मोदी जी मृत्यु प्रमाण पत्र पर भी अपनी तस्वीर क्यों नहीं लगवा लेते?
एक प्रेस कांफ्रेंस में ममता ने कहा, मान लीजिए कि मैं आपकी सपोर्टर नहीं हूं, मैं आपको पसंद भी नहीं करती लेकिन मुझे इस सर्टिफिकेट के साथ उनकी तस्वीर भी अपने साथ लेकर चलना होगा, क्यों? कहां गई मेरी स्वतंत्रता?
बता दें कि देश के बाहर यह सर्टिफिकेट लेकर जाने वालों के लिए भी मोदी की तस्वीर मुश्किलें खडी कर रही हैं. कई immigration officers, जो मोदी जी को नहीं जानते, इस सर्टिफिकेट को झूठा समझ रहे हैं.