तीनों कृषि कानून की वापसी का निर्णय किसानों और लोकतंत्र की जीत है, जानिए किसने क्या कहा?
आज गुरु पर्व की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा कर दी. एक ओर जहां पीएम मोदी के देर ही सही पर इस दुरुस्त आये फैसले का स्वागत हो रहा है तो वहीं यूपी चुनावों के ठीक पहले किये गये इस फैसले के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. किसान आंदोलनों के अग्रणी नेता हों या फिर विपक्ष के सभी नेतागण, हर किसी का यही कहना है कि उन्हें बीजेपी सरकार की नीयत पर भरोसा नहीं है इसलिए जब तक तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से संसद सत्र में वापस नहीं ले लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेंगे. खास यह है कि उनके इस फैसले को हर कोई सही ठहरा रहा है. अब देखना यह है कि पीएम की इस घोषणा पर अभी और कैसी कैसी प्रतिक्रियायें सामने आती हैं…
मीडिया स्वराज डेस्क
किसान सँघर्ष समिति के अध्यक्ष व पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद कहा है कि तीन किसान-विरोधी, कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों की वापसी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा को किसानों और लोकतंत्र की ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि मैं बार-बार कह रहा था कि किसी एक दिन प्रधानमंत्री तीनों कृषि कानूनों की वापसी का राष्ट्र के नाम संदेश जारी करने को मजबूर हो जाएंगे। वह दिन आज आ गया, लेकिन इसकी बड़ी कीमत संयुक्त किसान मोर्चा ने 700 किसानों की शहादत देकर चुकायी है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है तथा जिन किसानों के लिए सरकार ने कानून बनाने का दावा किया था, वे किसान 357 दिन से विरोध कर रहे थे। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि अडानी-अंबानी को यह समझ लेना चाहिए कि देश उनकी बपौती नहीं है तथा कोई भी सरकार देश को पूंजीपतियों को सौंपने की हैसियत नहीं रखी है। उन्होंने आगे कहा संयुक्त किसान मोर्चा के शानदार नेतृत्व को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें अब पूरी ताकत उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के चुनाव पर लगानी चाहिए ताकि देश और दुनिया में यह संदेश जा सके कि जो भी सरकार किसानों, मजदूरों से पंगा लेगी उसे बख्शा नहीं जाएगा।
डॉ सुनीलम ने कहा कि प्रधानमंत्री को तत्काल लखीमपुर खीरी हत्याकांड के जिम्मेदार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने के साथ-साथ हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को तत्काल बदलकर यह बतलाना चाहिए कि वह किसानों पर अत्याचार करने वाले मुख्यमंत्रियों का साथ नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने, उनके परिवार के आश्रितों को एक करोड़़ रूपये की आर्थिक सहायता देने तथा दिवंगत किसानों का दिल्ली में स्मारक बनाने की घोषणा करनी चाहिए।
डॉ सुनीलम ने कहा कि देश की जनता ने जिस तरह से इमरजेंसी का विरोध कर इंदिरा गांधी का विरोध किया था, उसी तरह नरेंद्र मोदी को तीनों किसान विरोधी कानून वापस लेने को मजबूर कर यह साबित कर दिया है कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत मजबूत है तथा भारत में लोकतंत्र को कोई खत्म नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि किसानों के सामने तीन कृषि कानून वापसी के बाद एमएसपी की कानूनी गारंटी पाने और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी के साथ-साथ बिजली संशोधन बिल वापस कराने की किसानों की अहम मांगें अभी बाकी है। जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा अपनी रणनीति शीघ्र ही तय करेगा।
आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा: राकेश टिकैत
तीनों कृषि कानूनों की वापसी के पीएम मोदी की घोषणा को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें। शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून बिल वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी।
अखिलेश यादव ने कहा
कृषि कानूनों की वापसी पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-कानून वापस ले ही लिए। अखिलेश ने ये भी कहा कि भाजपा बताए सैकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सजा कब मिलेगी।
अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में कहा, ”अमीरों की भाजपा ने भूमिअधिग्रहण व काले क़ानूनों से ग़रीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-क़ानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सज़ा कब मिलेगी।” इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कृषि कानूनों की वापसी पर ट्वीट करते हुए लिखा, ”देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो। जय हिंद, जय हिंद का किसान।”
प्रियंका गांधी ने कहा
पीएम मोदी की माफी को देश समझ रहा है कि परिस्थितियों को देखते हुये वे चुनाव से पहले माफी मांगने आ गये हैं. पहले उन्होंने किसानों को देशद्रोही बता रहे थे. किसानों की हत्या कर रहे थे आप. आज आप कह रहे हैं कि कृषि कानूनों को आप वापस करेंगे तो हम आप पर भरोसा कैसे करें? मुझे इस बात की खुशी है कि आखिरकर सरकार को यह बात समझ आ चुकी है कि उन्हें किसानों के सामने झुकना ही पड़ेगा. अब सरकार को लखीमपुर खीरी के हत्यारों पर भी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
राहुल गांधी ने कहा
देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो।
जय हिंद, जय हिंद का किसान
अशोक गहलोत ने कहा
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके कहा कि मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं. यह उनके बलिदान की जीत है. तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है. यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है. देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैंकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल ने कहा कि इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों ने आंदोलन करते हुए अपने 700 से ज्यादा भाईयों को खोया, उन सभी किसानों का बलिदन अमर रहेगा. केजरीवाल ने यह भी कहा कि आने वाली पीढ़ियां यह याद रखेंगी कि किस तरह देश के किसानों ने किसानी और किसानों को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी.
मायावती ने कहा
कृषि कानून की वापसी पर बसपा प्रमुख मायावती ने किसानों को बधाई दी। मायावती ने कहा कि फैसला लेने में देरी कर दी। मायावती ने कहा कि यह फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था। एमएसपी को लेकर भी सरकार फैसला करे। इस आंदोलन के दौरान किसान शहीद हुए हैं, उन्हें केंद्र सरकार आर्थिक मदद और नौकरी दे। पहले जाग जाते तो नहीं होती किसानों की मौत।
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भानू प्रताप सिंह ने कहा
भारतीय किसान यूनियन भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हैं। कहा कि देश का प्रधानमंत्री ऐसा ही होना चाहिए जो एक एक किसान की पीड़ा को समझे।
भानू ने कहा कि 75 साल से किसान विरोधी नीतियों के कारण देश का किसान कर्जदार हो गया है। उसको फसलों के दाम नहीं मिले हैं इसलिए किसान आत्महत्या करता है। किसान आयोग का गठन करके किसानों को फसलों के दाम तय करने का अधिकार दिया जाए। इसी तरह एक दिन में किसानों के कर्जे माफ करके की घोषणा किए जाएं। इससे प्रधानमंत्री का देश में नाम हो जाएगा।
पीएम मोदी ने आज सवेरे अपने संबोधन में कहा
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सवेरे देश को संबोधित करते हुए कहा, मुझे इस बात का दुख है कि मैं कुछ किसानों को समझा नहीं पाया. आज मैं पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले रहे हैं. इसी संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर देंगे. गुरु पर्व के पवित्र दिन आज सभी किसान अपने अपने घर लौटें. आइए, एक नई शुरुआत करते हैं.