पैंगोंग झील : चीन ने कहाँ किया पक्का निर्माण?आख़िर ये फ़िंगर 4 और 8 क्या हैं?
भारत -चीन सीमा विवाद
(मीडिया स्वराज़ डेस्क)
वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि एलएसी पर भारत और चीन के मध्य तनाव बरकरार है। भारत और चीनी सेना के बीच ताज़ा झड़प ने स्थिति को और अधिक पेचीदा बना दिया है। इस बारे में बात करने से पहले आइये विवाद की जड़ को समझते हैं। लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास के क्षेत्र का ये पूरा मामला है।
सामरिक महत्व के दो बिंदु
सेना की भाषा मे बात करें तो यहाँ सामरिक महत्व के दो बिंदु हैं, जिन्हें फिंगर 4 और फिंगर 8 कहा जाता है। फिंगर 4 और 8 के बीच चीन और भारत की सेना गश्त करती है। भारतीय सेना फिंगर 8 तक गश्त करती है और इसी रास्ते में चीनी सेना भी गश्ती करती है। लेकिन कई बार दोनों देशों की सेना की टुकड़ियां आमने-सामने होती हैं और इनके बीच झड़प हो जाती है। कोरोना वायरस संकट को देखते हुए भारतीय सेना से कहा गया था कि वो अपनी गतिविधियों को सीमित रखे ताकि कोरोना का संक्रमण न फैले।
मगर इसी का फायदा उठाते हुए चीन की सेना फिंगर 4 के पास आकर बैठ गई और यही पर विवाद शुरू हो गया है।चीनी सेना भारतीय सेना के जवानों को फिंगर 4 से आगे जाने नहीं दे रहे थे। भारत की मांग थी कि चीनी सेना वापस चली जाए। यानि फिंगर 4 के पास दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति न बनने दी जाए। इसी को लेकर झड़प हुई।
आखिर ये फिंगर्स क्या हैं, इसे समझना जरूरी है। पिछले कुछ सालों से चीन की सेना पैंगोंग झील के किनारे सड़कें बना रही है। वर्ष 1999 में जब पाकिस्तान से करगिल की लड़ाई चल रही थी उस समय चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए भारत की सीमा में झील के किनारे पर 5 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई थी। झील के उत्तरी किनारे पर बंजर पहाड़ियां हैं। इन्हें स्थानीय भाषा में छांग छेनमो कहते हैं। इन पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही भारतीय सेना ‘फिंगर्स’ कहती है।
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भारत का दावा
भारत का दावा है कि एलएसी की सीमा फिंगर 8 तक है, लेकिन वह फिंगर 4 तक को ही नियंत्रित करती है। फिंगर 8 पर चीन की पोस्ट है। वहीं, चीन की सेना का मानना है कि फिंगर 2 तक एलएसी है। करीब छह साल पहले चीन की सेना ने फिंगर 4 पर स्थाई निर्माण की कोशिश की थी, लेकिन भारत के विरोध पर इसे गिरा दिया गया था। यहां पेट्रोलिंग के लिए चीन की सेना हल्के वाहनों का उपयोग करती है। गश्त के दौरान अगर भारत की पेट्रोलिंग टीम से उनका आमना-सामना होता है तो उन्हें वापस जाने को कह दिया जाता है। क्योंकि दोनों देशों की पेट्रोलिंग गाड़ियां उस जगह पर घुमा नहीं सकते हैं। इसलिए गाड़ी को वापस जाना होता है।
भारतीय सेना के जवान पैदल भी गश्त करते हैं। अभी के तनाव को देखते हुए इस गश्ती को बढ़ाकर फिंगर 8 तक कर दिया गया था। मई में भारत और चीन के सैनिकों के बीच फिंगर 5 के इलाके में झगड़ा हुआ था।इसकी वजह से दोनों पक्षों में असहमति व्याप्त थी। चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 से आगे बढ़ने से रोक दिया था। उस समय ऐसा अनुमान था कि चीन के 5,000 जवान गलवान घाटी में मौजूद हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत होती है पैंगोंग लेक के आसपास के इलाके में। यहीं पर दोनों देशों के जवानों के बीच भिड़ंत हो चुकी है। हाल ही में इसी इलाके की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। वहीं चीनी सेना के जवानों को भी भारी क्षति हुई।
चीन के निर्माण से बिगड़े हालात
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सैटेलाइट की तस्वीरों से साफ है कि एलएसी पर भारतीय सीमा के 5 किलोमीटर भीतर के दायरे में चीनी सेना ने स्थाई निर्माण किए हैं। ये सब फिंगर 4 के बेहद समीप है और इन निर्माणों को ढहाना टेढ़ी खीर है। ये निर्माण बीते 5 मई को हुई झड़प के बाद मात्र एक महीने की अवधि में बनाये गए हैं। इससे चीन की सामरिक शक्ति बढ़ेगी क्योंकि फिंगर 4 के पास के ये इलाके ऊंचाई पर हैं और भारतीय सेना के गश्त में बाधा आ सकती है। वहीं सैटेलाइट तस्वीरों से साफ है कि चीनी निर्माण की वजह से भारतीय सेना का लेक तक का रास्ता अवरुद्ध हो गया है और चीनी सेना के प्रशासनिक कैम्प भी लगा दिए गए हैं। भारत इसी बात का विरोध करता आया है। हालांकि, दोनों देशों के बीच बातचीत का क्रम लगातार जारी है, अब देखना ये होगा कि सामरिक दृष्टिकोण के लिहाज से अति महत्वपूर्ण इस इलाके पर किसका स्वामित्व होगा।
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