मोदी जी का बयाना : कितनी हकीकत, कितना फसाना

राजेंद्र तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार,
- डॉक्टरों समेत हेल्थ वर्कर्स को ५० लाख का बीमा कवर इसमें सबसे पहला बिंदु था। इससे २० लाख कर्मचारियों को लाभ होना बताया गया था। लेकिन इन कर्मचारियों को मरे बिना यह स्वर्ग कैसे मिलेगा?
- इस पैकेज की बहुत सी रकम ( राज्य सरकारों के हिस्से की थी और पहले से उपलब्ध थी जिसमें ३१००० करोड़ कांस्ट्रक्शन वेलफेयर फंड और लगभग ४०००० करोड़ का डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड शामिल है।
- १८५०० करोड़ की किसान सम्मान निधि बजट का हिस्सा थी जो किसानों को (कोरोना होता या न होता) को मिलनी ही थी।
- ६३ लाख स्वयं सहायता समूहों को १० लाख की जगह २० लाख का कोलैटरल मुक्त लोन का लॉकडाउन में कोई फायदा हो रहा होगा, इसमें संदेह है। दूसरी बात, जो १० लाख तक के लोन ले चुके होंगे, क्या उन्हें बाकी १० लाख का लोन तुरंत मिलेगा, यह सवाल है जिसका उत्तर नकारात्मक ही मिला है अब तक। और फिर यह लोन है जिसे तय दरों पर वापस किया जाना होगा। यह लोन बैंकों पर भी निर्भर करता है। दावा किया गया था कि इससे ७ करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे।
- १०० से कम कर्मचारियों और इनमें ९० फीसदी कर्मचारियों का वेतन १५००० से कम वाली कंपनियों/फर्मों में पीएफ कंट्रीब्यूशन तीन महीने तक सरकार वहन करेगी। यहां बताया गया था कि ८० लाख एम्प्लॉयर्स को इससे फायदा होगा। लेकिन जमीनी हकीकत यह है क्या? सरकार खुद बताएं कि कितने पीएफ खातों का कंट्रीब्यूशन अब तक सरकार ने भरा है और इसमें कितनी रकम गई है, वस्तुस्थिति सामने आ जाएगी।
- ईपीएफ से ७५ फीसदी नॉन रिफंडेबल एडवांस की व्यवस्था में सरकार का तो एक धेला नहीं लगा। इसमें तो कर्मचारियों का पैसा था जो उनके थके-हारे में मिलने की व्यवस्था कर दी गई।
- मनरेगा में तो पिछला बकाया ही अब तक नहीं मिल सका है कई राज्यों में। केंद्र का हिस्सा बकाया होने का आरोप तो यूपी की सरकार ने ही लगाया था।
- बाकी जनधन, राशन, ओल्डएज एक्स ग्रैशिया, गैससिलिंडर आदि रहा, उसमें कितनी रकम लगी, यह जानकारी अब तक सरकार ने नहीं दी।
उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए इस नये पैकेज से कितनी उम्मीद करनी चाहिए, यह समझा जा सकता है। सवाल यह भी है कि इस पैकेज में कितनी रकम सरकार के हाथ में होगी और कितनी रिजर्व बैंक के जरिये बाजार में आएगी? इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने पिछले हफ्ते जो संशोधित बारोइंग कैलेंडर जारी किया है जिसमें बजट में घोषित बारोइंग सीमा को ७.८ लाख करोड़ से बढ़ाकर १२ लाख करोड़ किया गया है। यानी ४.२ लाख करोड़ का कुल स्पेस वित्त मंत्रालय के पास है जो डीडीपी का लगभग २.०० फीसदी है। अब इसमें भी सरकार कितना डीबीटी करेगी और कितने की नोशनल जलेबी छानेगी, यह आज शाम से सामने आने लगेगा।
लेखक राजेंद्र तिवारी वरिष्ठ पत्रकार हैं । राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक भास्कर समूहों में लंबे समय तक पत्रकारिता। उत्तर प्रदेश में जन्मे, लखनऊ में पढ़ें और छात्र राजनीति का हिस्सा रहे। यूपी के बाद दिल्ली, पंजाब, जम्मू, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में अलग अलग अख़बारों की टीम बनाने और चलाने का अनुभव।