नीतीश ने अपने दामन में झांक कर नहीं देखा: शिवानंद तिवारी

पटना। नीतीश जी को इतना आपा खाते मैंने कभी नहीं देखा, आरोप उन्होंने तेजस्वी पर लगाया, लेकिन आरोप तो नीतीश जी पर ही लगता है। याद कीजिए चुनाव के समय उन्होंने तेजस्वी को क्या-क्या नहीं कहा! कहां से लाओगे 10 लाख लोगों को तनख्वाह देने का पैसा? बाप के पास से ले आओगे? जेल से ले आओगे? जाली नोट छापोगे? यह सब नीतीश जी के ही मुंह से निकला था। लेकिन तेजस्वी ने उस समय तो जवाब नहीं दिया।

आज भी सदन के अंदर तेजस्वी का यह कहना तो बिल्कुल जायज और तार्किक है कि जब हमारा नाम सीबीआई ने चार्जशीट में दे दिया था तो आप मुझे जनता के बीच जाकर सफाई देने की सलाह दे रहे थे। लेकिन जब आप हत्या के केस में अभियुक्त बने या दूसरे की लिखी किताब अपने नाम से छपाने के अपराध में अभियुक्त बने तो अपने पद से न तो इस्तीफा दिया था और न ही जनता के बीच आपने सफाई ही दी थी। यह तो ईमानदारी नहीं है। अपने लिए एक कसौटी और अन्य के लिए दूसरी कसौटी! यह तो कहीं से नैतिक नहीं कहा जा सकता है।

चुनावी सभा में तो आप ही ने लालू यादव के बच्चों की संख्या गिनाई थी। आज मौका मिला तेजस्वी को तो उसने आप को आईना दिखा दिया और आपने अपना आपा खो दिया। दरअसल नितीश जी भीतर से कमजोर हो चुके हैं। विधानसभा में आज उनकी कमजोरी बाहर आ गई। आगे उनको अपनी कमजोरी का और एहसास होगा जब गिरिराज जी जैसे लोग मांग करेंगे कि आप भी योगी जी की तरह लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाइए। उस समय नितीश जी का चेहरा देखने लायक होगा। शिवानन्द

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