भारत नेपाल सीमा संबंधी विवादित पुस्तक पर नेपाल सरकार की रोक
काठमांडू। नेपाल सरकार ने फिलहाल भारत नेपाल सीमा से जुड़ी विवादित पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल करने के अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया है।
पता चला है कि इस विवादित पुस्तक को लेकर भारत की ओर से आपत्ति जताये जाने के बाद नेपाल सरकार ने यह प्रस्ताव वापस लिया है।
वैसे नेपाल के विभिन्न विरोधी दलों ने भी इस पुस्तक का विरोध इस तर्क के साथ करना शुरू कर दिया था कि इससे भारत से संबंध और खराब होंगे।
नेपाल भूभाग और सीमा स्वध्याय नामक पुस्तक में सीमा संबंधी भारत से जुड़े कई विवादित मुद्दों का जिक्र है।
नेपाल सरकार ने शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया है कि लिपुलेक, लिम्पियाधुरा और कालापानी सहित नए नक्शों के साथ प्रकाशित होने वाली पुस्तक फिलहाल स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाएगा।
इस पुस्तक के छपने पर भी रोक लगा दी गई।
नेपाल के कई मंत्रालयों ने भी जतायी थी आपत्ति
ऊर्जा राज्य मंत्री बर्धमान पुन ने नेपाली मीडिया को बताया कि सरकार के निर्देश के बाद पुस्तक को बाजार में लाने के लिए तुरंत न छापा जाए, क्योंकि पाठ्यचर्या विकास केंद्र द्वारा प्रकाशित पुस्तक के शब्द राजनयिक मानदंडों के अनुरूप नहीं है।
विदेश मंत्रालय और भूमि प्रबंधन मंत्रालय, सहकारिता और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने भी पुस्तक में वर्णित विवरणों पर आपत्ति जताई है।
मंत्री बर्धमान पुन ने कहा कि पुस्तक में इस्तेमाल किए गए शब्द कूटनीतिक गरिमा के अनुरूप नहीं थे।
उन्होंने कहा कि हाल ही हुई कैबिनेट की बैठक में संबंधित मंत्रालयों के बीच संयुक्त होमवर्क के बाद ही किताब को बाजार में लाने का निर्देश दिया गया था।
पाठ्यचर्या विकास केंद्र के अनुसार, पुस्तक को अब तक 500 प्रतियों में मुद्रित किया गया है।
भूमि सुधार मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, तीन दर्जन से अधिक घटनाओं की तारीखें और अन्य घटनाएं गलत छप गई हैं।
दस्तावेज में मंत्रालय ने टिप्पणी की है कि नेपाल-भारत, नेपाल-चीन और नेपाल के क्षेत्र से अन्य घटनाओं की तारीखों और संदर्भों का गलत उल्लेख किया गया है।