शरारती और ज़िद्दी चुनमुन चूहा की अक़्ल कैसे ठिकाने आयी
एक नन्हा चूहा था। उसका नाम चुनमुन था। चुनमुन अपने माता पिता बहन के साथ रहता था। चुनमुन के सभी भाई-बहन बहुत सीधे थे। चुनमुन बहुत शरारती था चुनमुन जिद्दी भी बहुत था। मां चुनमुन को समझाती बेटा शरारत करना ठीक नहीं पर चुनमुन नहीं मानता। मां जब सब बच्चों को खाने को देती तो चुनमुन जल्दी से अपने हिस्से की चीज खा लेता।। अपनी छोटी बहन का हिस्सा खा लेता वह रोने लगती। मां डाँटती। चुनमुन ये खराब आदत है।ऐसा नही करते।वह अपनी छोटी बहन चुनिया के खिलौने ले लेता।माँ कहती तुम लोग घर पर ही रहना।बाहर मत जाना।माँ के जाते ही चुनमुन बाहर घूमने निकल जाता।चुनिया माँ को बताती तो माँ चुनमुन को डाँटती।चुनमुन अकेला पाकर चुनिया के कान खिंचता।माँ से मेरी शिक़ायत करेगी।चुनमुन लालची भी था।माँ कहती किसी का दिया यहाँ वहाँ पड़ी चीजे मत खाया करो।
एक दिन चुनमुन घूम रहा था। उसे केक का टुकड़ा दिखाई दिया।अहा क्या मज़ेदार केक है।मैं इसे चुप चाप यही खा लेता हूं।घर ले गया तो माँ सबको बाँट देगी।उसने केक का टुकड़ा उठाया जैसे ही मुँह में रखा उसे कडुआ लगा पर वह पूरा खा गया।केक खाते ही चुनमुन को उल्टी व चक्कर आने लगे।अरे ये मुझे क्या हो रहा है।चुनिया अकेली थी।चुनमुन को बेहोश देख चुनिया घबरा गई।घर से बाहर आकर चुनिया ची ची कर जोर जोर से रोने लगी।पेड़ पर हरियल तोता बैठा था।हरियल ने टे टे कर पूछा क्या हुआ चुनिया।तुम रो क्यों रही हो।काका चुनमुन की तबियत खराब है।चुनमुन बेहोश है।घर मे माँ भी नही है।मैं क्या करूँ।रो मत चुनिया ।मैं अभी डॉक्टर कालू कौवा को ले कर आता हूं।
हरियल तेज़ी से उड़ गया।जल्दी ही वह डॉक्टर कालू कौवा को साथ ले कर आ गया।डॉक्टर ने चुनमुन को देखा तो कहा इसके मुँह से दवा की महक आ रही है।शायद चुनमुन ने कोई दवा या गोली खा ली है।चुनिया घर मे देशी घी है।हाँ डॉक्टर साहब।जाओ जल्दी से घी लाओ।चुनिया जल्दी से घी ले आयी।चुनिया पानी गर्म करो उसमे नमक डाल देना। चुनिया झट नमक डाल कर गरम पानी ले आयी।डॉक्टर साहब ने चुनमुन का मुँह खोल कर नली द्वारा चुनमुन के मुँह में गर्म पानी डाला।पानी जाते ही चुनमुन ओक -ओक की आवाज़ के साथ उल्टी करने लगा।चुनमुन के मुँह से झाग से भी निकल रहा था।डॉक्टर साहब ने चुनमुन को घी पिला दिया।चुनमुन हाय हाय कर के रो रहा था।डॉक्टर साहब ने कहा चुनिया अभी चुनमुन सो जाएगा।जब जागेगा तो उसे ये दवाएं खिला देना।जी डॉक्टर साहब मैं माँ के आने पर आपकी फीस दे जॉऊगी।नही नही बेटे इसकी कोई जरूरत नहीं है।बहुत बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब।अरे चुनिया धन्यवाद मुझे नही हरियल को दो।यदि वो मुझे समय पर न लाता तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता।चुनिया चुनमुन ने जो भी खाया था उसमें ज़हर मिला था।हरियल के साथ डॉक्टर साहब चले गए।
कुछ देर बाद चुनमुन के माँ पिता जी आ गए। चुनमुन सो रहा था।चुनिया पास बैठी रो रही थी।अरे चुनिया क्यों रो रही हो।कितनी बार मना करती हूं चुनमुन मेरी बात सुनता ही नही है।शाम को चुनमुन सो कर उठा ।सबने उससे पूछा अब तबियत कैसी है। माँ कह कर चुनमुन रोने लगा।माँ मुझे भूख लग रही है।माँ ने उसे खाना खिलाया।
कुछ दिन बाद चुनमुन ठीक हो गया।वह फिर बाहर जाने लगा।चुनिया ने कहा भैया बाहर मत जाओ।चुनमुन अनसुनी कर चला गया।खेलते कूदते चुनमुन बगिया में पहुँचा।वहाँ बड़े बड़े हरे पीले अमरूद देख वह ललचा गया।खाने गया, अहा कितने अच्छे अमरूद है।चलो खाता हूँ।जैसे ही चुनमुन अमरूद खाने गया पिंजरे में बंद हो गया।वह घबरा कर चारो तरफ घूम घूम कर निकलने की कोशिश करने लगा।उसे पसीना आ गया।है भगवान मैं कहाँ फंस गया।मुझे माफ़ कर दीजिए भगवान जी मुझे बचा लीजिये।मैं कान पकड़ता हूँ कभी लालच नही करूगां।मैं अब कभी भी अकेले नही जाऊँगा।तभी ऊपर उड़ते हुए हरियल की नज़र चुनमुन पर पड़ी।अरे ये तो चुनमुन लगता है।नीचे आकर हरियल ने देखा ये तो चुनमुन है।हरियल चाचा मुझे बाहर निकालिये।मैं मर जाऊँगा।चुप्प हो चुनमुन रो मत।मैं अभी कुछ करता हूँ।वह उड़ कर चुनमुन के घर पहुँचा।टे टे चुनिया की माँ घर के बाहर आओ।अरे ये तो हरियल की आवाज़ है।चुनिया माँ के साथ बाहर आयीं।चुनिया ने पूछा काका क्या बात है।चुनमुन बाग में रखे पिंजरे में बंद हो गया है।हमें उसे निकलने के लिए जल्दी से कुछ करना पड़ेगा।नही तो माली आकर उसे दूर कहीं छोड़ आएगा।माँ व चुनिया रोने लगी।उनके रोने की आवाज़ सुन सारे पड़ोसी चूहे आ गए।
तुम लोग क्यों रो रही हो? क्या हुआ।रोते हुए चुनमुन की माँ ने कहा मेरा चुनमुन पिजरे में बंद हो गया है। बूढ़े चूहे दादा ने कहा रो मत ।हिम्मत से काम लो घबराने से काम बिगड़ जाएगा।हम सब बगिया में चलते है।हाँ हाँ चलो चलो।सभी बगिया की तरफ चल पड़े। चुनमुन बन्द पिंजरे में रो रहा था।दादा ने कहा ईश्वर को धन्यवाद दो की पिंजरा तार का बना है अगर पिंजड़ा लकड़ी या लोहे का होता तो मुश्किल होती।चलो सब मिल कर माली के आने से पहले तार काट दो।सब मिल कर जल्दी जल्दी तार काटने लगे।कुछ देर बाद पिंजड़ा इतना कट गया कि चुनमुन के निकलने का रास्ता बन गया।तभी माली के आने की आवाज़ आयी।चुनमुन जल्दी निकलो।जैसे ही चुनमुन निकला सब भाग कर अपने घर पहुँच गए।माली ने देखा पिजड़ा खाली है।अरे इसमें तो एक चूहा बन्द था।कहां गया? माली ने पिजड़ा उठाया तो देखा कि वह एक तरफ से कटा था।अच्छा तो इसके साथियों ने इसे बचा लिया।मैं कल ही लकड़ी या लोहे का पिंजड़ा लाऊँगा।
घर पहुँच कर चुनमुन ने रोते हुए कहा माँ मैं कसम खाता हूं कान पकड़ता हूं कभी लालच नही करूगाँ।अपनी आदत के कारण मैं दो बार बचा।माँ मैं अब कभी गुस्सा भी नही करूगाँ।अपनी बहन चुनिया को भी नही परेशान करूगाँ।माँ ने चुनमुन को चुप करते हुए कहा देर से ही सही तुम्हे समझ तो आयी।चुनिया भी चुनमुन से लिपट गयी।मेरे प्यारे भैया।चुनमुन ने प्यार करते हुए कहा मेरी प्यारी गुड़िया।अब हम दोनों साथ साथ खेलेंगे।हिल मिल कर रहेंगे।दोनों भाई बहन का प्यार देख माँ मुस्कुरा उठी।
जया मोहन
पूर्व सहायक सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद, क्षेत्रीय कार्यालय , प्रयागराज.
विधा गीत ग़ज़ल,लघुकथा, कहानी,बाल गीत,बाल कहानी.
कृतियाँ :कहानी संग्रह :किससे कहूँ, बिखरे मोती, यादो के भंवर से , परसी थाली, रूठा बसंत , मेरी चुनींदा कहानियाँ.
पता।265सी/1 स्टैनली रोड , कमला नगर प्रयागराज