नई शराब नीति के नाम पर घर घर शराब पहुंचा कर मध्यप्रदेश को नशा प्रदेश बनाने का गंदा खेल बंद हो
जीवन उपयोगी वस्तुओं के दाम बढ़ते जा रहे हैं जिस पर नियंत्रण करने के बजाए प्रदेश सरकार अपने आप को असहाय बताती है वहीं शराब जैसी सामाजिक बुराई को रोकने की जगह उसे लोगों को सस्ते में उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है जिससे सरकार के नापाक इरादे साफ नजर आ रहे हैं.
रीवा: समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे एवं नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने कहा है कि मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति के नाम पर शिवराज सरकार ने शराब को घर घर पहुंचाने के गंदे खेल को व्यापक आधार दे दिया है . प्रदेश सरकार का नशा मुक्ति अभियान महज एक दिखावा रह गया है , जिस पर हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं . इधर जहरीली शराब पीने से भिंड जिले में हुई 4 लोगों की मौत कानून व्यवस्था पर करारा तमाचा है .
जीवन उपयोगी वस्तुओं के दाम बढ़ते जा रहे हैं जिस पर नियंत्रण करने के बजाए प्रदेश सरकार अपने आप को असहाय बताती है वहीं शराब जैसी सामाजिक बुराई को रोकने की जगह उसे लोगों को सस्ते में उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है जिससे सरकार के नापाक इरादे साफ नजर आ रहे हैं.
प्रदेश में शराबबंदी के मुद्दे को लेकर भाजपा नेत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने पिछले साल कहा था कि वो 15 जनवरी 2022 तक शराबबंदी करवाएंगी, नहीं तो सड़कों पर उतरेंगी. लेकिन इधर इस मियाद के खत्म होने के ठीक दो दिन बाद शराबबंदी तो दूर शिवराज मंत्रिमंडल ने नई शऱाब नीति का ऐलान कर दिया लेकिन उमा भारती ने इस संबंध में अभी तक कोई आंदोलन शुरू किया और न ही अभी तक कोई बयान दिया है . आखिरकार उमा भारती शराबबंदी को लेकर कब सड़कों पर उतरेंगी.
शिवराज सरकार के द्वारा राज्य में तकनीकी तौर पर शराब की नई दुकान नहीं खोलने का ऐलान महज आंकड़े की दिखावेबाजी है . इधर एक ही दुकान पर अंग्रेजी और देसी, दोनों शराब उपलब्ध कराने से शराब का कारोबार 2 गुना बढ़ जाएगा. राज्य में फिलहाल 2544 देसी, 1061 विदेशी शराब दुकानें हैं. सरकार के द्वारा गुड़ के अलावा जामुन से भी शराब बनाने की अनुमति दी जाएगी . जिसके चलते बाजार में गुड़ और जामुन के दाम भी बेलगाम हो जाएंगे . देखने को मिल रहा है कि शिवराज सरकार के द्वारा शराब जैसी बुराई के व्यापक फैलाव के लिए लोगों को पहले के मुकाबले 4 गुना ज्यादा शराब घर पर रखने की छूट दी जा रही है . जिस शख्स की सालाना आय 1 करोड़ रु है, वो घर पर बार भी खोल सकेगा .
एक तरफ सरकार कह रही है कि नई शराब की दुकान नहीं खोली जाएगी लेकिन वहीं दूसरी ओर लोगों को बार खोलने की अनुमति दी जाएगी. शिवराज सरकार का यह नीतिगत विरोधाभास अत्यंत आपत्तिजनक है .भोपाल और इंदौर में माइक्रो बेवरेज को मंजूरी मिली हैं. जिसमें रोज़ाना 500 से 1000 लीटर शराब बनाने की क्षमता होती है. एयरपोर्ट पर अंग्रेजी शराब की दुकानें होंगी. मॉल में काउंटर पर शराब भी मिल सकेगी. कुल मिलाकर प्रदेश को विकास के नाम पर शराब जैसी बुराई को और अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है .
सरकार के द्वारा नई शराब दुकान न खोले जाने के ऐलान को इस तरह बढ़ चढ़कर पेश किया जा रहा है जैसे वह नशा मुक्ति अभियान चला रही हो . कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार का शराब का कारोबार नई शराब नीति के चलते बहुत अधिक बढ़ जाएगा . यह बात प्रदेश के लोगों की सेहत के लिए कदापि सही नहीं है . मध्य प्रदेश को नशा मुक्त प्रदेश बनाने का ऐलान किया जाना चाहिए .