खनन माफियाओं और गंगा प्रेमियों की बहस के बाद गंगा में हो रहे खनन को रोका गया

जलपुरुष राजेंद्र सिंह के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि, आज हम सभी को खनन वाली जगह पर जाकर खनन रुकवाना चाहिए। तभी सभी गंगा प्रेमी स्वामी शिवानंद, जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के साथ खनन वाली जगह पर पहुँचे। यहाँ मशीनों से मां गंगा के पेट को चीरा जा रहा था, खनन माफिया जेसीबी से गंगा में से रेत, पत्थर बड़ी मात्रा में निकाल रहे थे।

पुस्तक राजस्व संहिता एवं नियमावली का विमोचन

🌱 विरासत स्वराज यात्रा 2021- 22 🌱

स्थान – मातृसदन आश्रम कनखल, हरिद्वार

आज दिनांक 23 दिसंबर 2021 को विरासत स्वराज यात्रा मातृसदन आश्रम कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड पहुंची। यहां गंगा के संकट समाधान हेतु चिंतन-मंथन गोष्ठी आयोजित हुई। इस गोष्टी में देश भर से गंगा प्रेमी, नदी प्रेमी, जल बिरादरी के कार्यकर्ता और देशभर से सामाजिक कार्यकर्ता एकत्रित हुए।

मातृसदन मां गंगा के संकट समाधान हेतु कार्य कर रहा है। मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने मां गंगा के लिए पूरा जीवन समर्पण किया है। उन्होंने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए मां गंगा के लिए प्रयत्नशील, लगनशील और समर्पित रहते हैं। इन्होंने अपने शिष्यों और जो भी उनसे मिलते हैं, उन सबको वह मां गंगा के लिए काम करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

ने खनन माफियाओं और सरकारी विभागों द्वारा किए जा रहे कृत्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, आज भी मां गंगा में अवैध खनन किया जा रहा है। इसके विरूद्ध सरकार कार्यवाही नहीं कर रही है।

गोष्ठी के प्रथम सत्र में स्वामी शिवानंद ने खनन माफियाओं और सरकारी विभागों द्वारा किए जा रहे कृत्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, आज भी मां गंगा में अवैध खनन किया जा रहा है। इसके विरूद्ध सरकार कार्यवाही नहीं कर रही है।

इसके उपरांत जलपुरुष राजेंद्र सिंह के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि, आज हम सभी को खनन वाली जगह पर जाकर खनन रुकवाना चाहिए। तभी सभी गंगा प्रेमी स्वामी शिवानंद, जलपुरुष राजेन्द्र के साथ खनन वाली जगह पर पहुँचे। यहाँ मशीनों से मां गंगा के पेट को चीरा जा रहा था, खनन माफिया जेसीबी से गंगा में से रेत, पत्थर बड़ी मात्रा में निकाल रहे थे।

इस दौरान खनन माफिया और गंगा प्रेमियों के बीच तीखी कहा सुनी हुई। पुलिस प्रशासन के लोगों को वहां आना पड़ा। खनन माफियों के नहीं मानने पर राजेंद्र सिंह और स्वामी उसी जगह अनशन पर बैठ गए।

खनन माफियाओं से जलपुरुष ने कहा कि, जब हम गंगा कमेटी में थे, तब कानून बनवाया था कि, मां गंगा राष्ट्रीय नदी है और राष्ट्रीय नदी होने की वजह से मशीनों से खनन नहीं किया जा सकता।

खनन माफियाओं से जलपुरुष ने कहा कि, जब हम गंगा कमेटी में थे, तब कानून बनवाया था कि, मां गंगा राष्ट्रीय नदी है और राष्ट्रीय नदी होने की वजह से मशीनों से खनन नहीं किया जा सकता। बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर मुहर लगाई है। साथ ही स्वामी शिवानन्द सरस्वती को भी शासन और प्रशासन ने लिखित आश्वासन दिया था कि आगे से गंगा में खनन कार्य नहीं होगा, इसके बावजूद अगर यह हो रहा है तो बहुत गंभीर और गलत है।

यहाँ उपस्थित स्वामी शिवानन्द सरस्वती के कहा कि, अगर यह कृत्य नहीं रुका तो हमें पुनः अनशन पर बैठना होगा और उसके बाद सरकार जिम्मेदार होगी।

गंगा प्रेमियों और खनन माफियाओं के बीच लम्बी बहस के बाद खनन माफियों को वहाँ से भगाया गया और खनन बंद किया गया। इसके उपरांत यात्रा वहाँ से वापस आश्रम लौटी।

दूसरे सत्र में जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, दुनिया में आज भी सबसे बड़ी विरासत, जिस पर सबसे ज्यादा लोग अपनी आस्था, श्रद्धा, निष्ठा, भक्ति भाव से आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सरोकार के साथ सम्मान से साथ जीते हैं, वह मां गंगा है।

यहाँ दूसरे सत्र में जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, दुनिया में आज भी सबसे बड़ी विरासत, जिस पर सबसे ज्यादा लोग अपनी आस्था, श्रद्धा, निष्ठा, भक्ति भाव से आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सरोकार के साथ सम्मान से साथ जीते हैं, वह मां गंगा है।
आज उसी मां गंगा पर सबसे बड़ा संकट उनके पेट में हो रहा खनन है। मां गंगा के शरीर में जहर के गंदे नाले, इंजेक्शन के तौर पर लगाए जा रहे हैं। मां गंगा जी के हाथ, पैर बांध दिए गये हैं, बांधों में बंधी हुई मां गंगा आईसीयू में भर्ती है।

मां गंगा जी हम सब को जीवित रखती हैं और अब उनको जीवित रखना हम सब के लिए बड़ी चुनौती व नैतिक जिम्मेदारी है। मां गंगा जी के कारण हम सबका जीवन, जीविका और जमीर है, तभी तो देश में गौरव से दुनिया के सामने गाता था, “हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती है”, वह जो गौरव दुनिया में मां गंगा से भारत को मिला था। अब भारतीयों को उस गौरव की चिंता नहीं है, इसलिए मां गंगा पर संकट बढ़ता जा रहा है।

इस गोष्ठी में संजय राणा, भोपाल सिंह चौधरी, सुशीला भंडारी, आत्मबोधानंद, वर्षा, डॉ विजय, रवि चोपड़ा आदि लोग उपस्थित थे। दूसरे दिन भी यात्रा इसी गोष्ठी में रहेगी।

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