लंबी दूरी वाले रिश्तों की कहानी बन बड़े काम कर गई ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’

लीक से हटकर लिए गए डिजिटल इंडिया के long distance relationship विषय पर बनी इस हल्की-फुल्की कॉमेडी फ़िल्म में महफ़िल लूट ले गई हैं सान्या मल्होत्रा

-हिमांशु जोशी

बहुत कम फिल्में शुरुआत या अंत में आने वाली इंट्रो लाइनों के माध्यम से कुछ कह पाती हैं पर मीनाक्षी सुंदरेश्वर यह कमाल करती है. एक अरेंज मैरिज के पूरे सेटअप को फ़िल्म की कहानी हल्के-फुल्के अंदाज़ में दिखाती है जिससे दर्शक गुदगुदाते भी हैं. मीनाक्षी और सुंदरेश्वर की पहली मुलाकात एक गलती की वज़ह से होती है, सुंदरेश्वर का कोट पहन मीनाक्षी द्वारा उसका ही इंटरव्यू लेने वाला दृश्य फ़िल्म के कुछ बेहतरीन दृश्यों में पहला है.


सुंदरेश्वर की शर्ट के साथ मीनाक्षी का आलिंगन वाला दृश्य भी खूबसूरत हैं. दम्पत्ति की पहली किस बनावटी नही लगती और शायद आप ‘थ्री इडियट्स’ का एक ऐसा ही दृश्य भूल जाएं. शादी के तमिल रीति रिवाज़ उत्तर भारतीय दर्शकों को अच्छे लगेंगे.
फ़िल्म अपने पहले घण्टे में ही दर्शकों को खुद से बांध देती है और अंत तक नज़रें नही हटाने देती.

फ़िल्म में कोई बड़ा कलाकार नही है पर फ़िर भी सभी कलाकारों ने अपने-अपने चरित्र के साथ न्याय किया है. सान्या मल्होत्रा अपने दमदार अभिनय से महफ़िल लूट ले गई हैं, रजनीकांत के गानों में थिरकना हो या संजीदा अभिनय वह बहुत प्रभावित करती हैं. उनके चेहरे में एक नयापन है जो दर्शकों को उनका दीवाना बना सकता है. भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु की बात की जाए तो इतना तो कहा ही जा सकता है कि अब वह भाग्यश्री के बेटे नहीं अभिमन्यु के नाम से पहचाने जाने लगेंगे.

फ़िल्म का संगीत मधुर होने के साथ फ़िल्म की जान भी है और इसके एक किरदार की तरह ही जान पड़ा है. फ़िल्म के गाने सुन ऐसा लगा है कि लोग इन्हें जितना सुनेंगे उतना पसन्द करते जाएंगे. मदुरई की सुंदरता दिखाता और दम्पत्ति के दूर रहते हुए लैपटॉप, मोबाइल के ज़रिए सम्पर्क में रहने वाले दृश्य स्क्रीन में हूबहू उतारता फ़िल्म का छायांकन बेहतरीन है.

फ़िल्म लंबी दूरी वाले रिश्तों के मुद्दे उठाने के साथ अन्य कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाती है पर उन पर खुलकर बात नही कर पाती जैसे मीनाक्षी को जॉब के लिए मना कर देना महिलाओं की स्वतंत्रता के विषय को उठाता है, लैपटॉप वाला दृश्य और उस पर परिवार का जानकर अनजान बनना रूढ़िवादिता तोड़ने वाला है जैसे स्वरा भास्कर का वाइब्रेटर वाला दृश्य आज भी याद किया जाता है.

फ़िल्म के संवादों की बात की जाए तो वह बहुत गहरे अर्थ वाले हैं, उन्हें सुनने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी.
फ़िल्म को लेकर एक छोटा सा विवाद सामने आ रहा है कि उसके तमिल बैकग्राउंड के होने पर भी कोई कलाकार फ़िल्म को तमिल टच देने में कामयाब नहीं रहा है, तो इस पर बस इतना ही कि यह फ़िल्म मुख्य रूप से अक्सर ध्यान न दिए जाने वाले एक विषय पर बनाई गई है, जो अपने लिहाज़ से महत्वपूर्ण है और उस पर चर्चा हो गई वही फ़िल्म की कामयाबी है इसलिए फ़िल्म की यह गलती माफ़.

निर्देशक- विवेक सोनी
लेखक- विवेक सोनी, अर्श वोरा
निर्माता- करण जौहर, अपूर्व मेहता, सोमेन मिश्रा
अभिनय- सान्या मल्होत्रा, अभिमन्यु दासानी
छायांकन- देबाजीत रे
सम्पादक- प्रशांत रामचंद्रन
संगीत- जस्टिन प्रभाकरन
वितरक- नेटफ्लिक्स
समीक्षक- हिमांशु जोशी, @Himanshu28may
रेटिंग- 4/5 (कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठा उनपर कम बात करने के लिए एक नम्बर कट)

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