मंगरू बिना CORONA TEST कलकत्ता से देवरिया पहुँच गया

मृत्युंजय प्रसाद, देवरिया

मृत्युंजय प्रसाद देवरिया

रोजी रोटी व परिजनों के सुखमय जीवन की लालसा में औरों की भांति रुद्रपुर देवरिया क्षेत्र के मंगरु पासवान भी अपने रिश्तेदारों के साथ कमाने कलकत्ता पहुँच गए,जहाँ रिश्तेदारों के साथ ही काम करने लगे, कोरोना संक्रमण के दौरान घोषित लॉक डाउन में कलकत्ता में ही फस गए,वहाँ ठेकेदार द्वारा कुछ दिनों तक तो देख रेख की गई, परन्तु कब तक कोई सहयोग करेगा.  दिक्कत बढ़ने के बावजूद घर के लिए निकल पाना सम्भव नही लगता था.  लॉक डाउन के शुरू होने के हफ़्तों बाद जब प्रवासी जन अपने घरों हेतु निकलना शुरू हुए तो मंगरु भी अपने रिश्तेदारों सहित , कलकत्ता से बलिया आ रही एक बस में 4000 रुपये किराया देकर सवार हो गए,. उस वाहन में कुल 8 लोग थे, टोटल 32000 रुपए में बलिया तक वाहन को तय किया गया था. बेल्थरा रोड  से किसी प्रकार बड़हलगंज तथा बड़हलगंज से अंदर के रास्ते ३०  किलोमीटर पैदल सफर कर अपने गाँव करौता कुटी के लिए चल दिया. 

 रास्ते मे इस प्रतिनधि से एक पेड़ की छांव में विश्राम करते मंगरु से मुलाकात हो गयी,पूछने पर बताया कि कलकत्ता से आ रहा हूँ. लाकडाउन में फंसने के बाद घर व बच्चों तक पहुँचने की तड़प बढ़ गयी, बस से किसी प्रकार बड़हलगंज तक आया, रास्ते मे लोगो ने खाना- पानी निःशुल्क दिया.

यह पूछने पर कि कलकत्ता से चलते समय कुछ जांच पड़ताल हुआ था, तो मंगरु ने बताया कि वहाँ कोई जांच नही हुई . स्थानीय पुलिस मुहर लगा के बस में बैठा दी और बोली घर जाके 14 दिन बाहर रह के तब घर में  जाना।घर तक आ गया. कही कोई जाँच नही हुआ. पूछने पर बताया कि ठेकेदार 3000 रुपये हमको दे देता था और खा पीकर खत्म हो जाता था, चलते चलते पैर में छाले पड़ गए. मंगरु यहाँ गाँव आकर स्कूल में दो दिन रहा, फिर घर मे आके रहने लगा।

मंगरू पत्नी के साथ

जब यह प्रतिनिधि मंगरु के घर करौता पहुँचा तो पता चला कि मंगरु की पत्नी निर्मला व दो बच्ची संजना व अनन्या तथा एक पुत्र इसलोक है,छोटे से घर की दीवारें ईट से बनी है उस पर पड़ा  कटरैंन शेड का कार्य कर रहा था. 

निर्मला ने बताया कि मेरे भाई लोग इन्हें कमाने अपने साथ कलकत्ता ले गए . वहीं  काम सिखाकर  कर अपने साथ ही रख कर काम करवाते हैं।खर्च हेतु 3000 इनको नगद दे देते है और आठ या नौ हजार जैसा इनका बनता है ठेकेदार हमारे खाते में भेज देता है, जिससे हमारा गुजर बसर होता है. 

पूछने पर कि  क्या फिर कलकत्ता कमाने भेजना है तो पति, पत्नी दोनों बोले यदि कम्पनी बुलाएगी तो जाएंगे ही, यहाँ क्या करेंगे।

 

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