उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भारत की बड़ी विरासत है- जलपुरुष राजेन्द्र सिंह

अंवतिका समागति के अंतरगत युवाओं का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित हुआ। युवाओं को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, मैं यहाँ उपस्थित सभी विद्यार्थियों को एक दायित्व सौंपता हूँ कि, वे सब अपने बड़े बुजुर्गों से यह सवाल पूछे कि, क्या उनको भी विरासत में प्रदूषित जल एवं पर्यावरण मिला था? अगर उनका जवाब नहीं में मिलता है, तो फिर उनसे पूछे कि, जब आप सब को विरासत में स्वच्छ पर्यावरण मिला था, तब आप हमें प्रदूषण क्यों दे कर जाना चाहते हैं?

विरासत स्वराज यात्रा 2021-22

सोमवार को विरासत स्वराज यात्रा जलपुरुष राजेंद्र सिंह जी के साथ सर्वप्रथम सुबह 2:00 बजे महाकालेश्वर की भस्म आरती दर्शन हेतु उज्जैन पहुँची। महाकालेश्वर मंदिर भारत की 12 ज्योतिर्लिंगों में से 1 ज्योतिर्लिंग है। यहां जलपुरुष डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि, यह भारत की बड़ी विरासत है। लेकिन हमे सोचना होगा कि, भारत में ऐसे धार्मिक स्थानों पर कैसी व्यवस्था की जरूरत होती है, जब लोग बड़ी संख्या में आते है।

भारतीयता और प्रकृति के प्यार की आस्था का केंद्र महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जो शिव का स्थान है। उनको दिखावा करने की जरूरत नहीं, उनको चढ़ावे की जरूरत नहीं। वह तो अंतरात्मा का स्नेह चाहते है।

भारतीयता और प्रकृति के प्यार की आस्था का केंद्र महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जो शिव का स्थान है। उनको दिखावा करने की जरूरत नहीं, उनको चढ़ावे की जरूरत नहीं। वह तो अंतरात्मा का स्नेह चाहते है। यहां जो प्रबंधन है वह सरलता सहजता से होना चाहिए, लेकिन आज उसको एक व्यापार में बदलने की कोशिश हो रही है। यहां 8 जुलाई 2021 से 100रुपए, 150 रुपए और 250 रुपए का टिकट लगने लगा है। गरीब आदमी जो दर्शन करना चाहता है, वह ऐसी व्यवस्था में दर्शन नही कर पायेगा।

मैं अभी दक्षिण भारत के मंदिरों में गया जैसे – मीनाक्षी मंदिर, वहां ऐसी फीस से दर्शन करने की व्यवस्था नहीं है। वहां तो जो दर्शन का समय है, उसी वक्त लाइन लगाकर लोग जाते हैं। लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में तो लाइन लगाकर भी बड़ी फीस देकर जाना पड़ता है।

मैं अभी दक्षिण भारत के मंदिरों में गया जैसे – मीनाक्षी मंदिर, वहां ऐसी फीस से दर्शन करने की व्यवस्था नहीं है। वहां तो जो दर्शन का समय है, उसी वक्त लाइन लगाकर लोग जाते हैं। लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में तो लाइन लगाकर भी बड़ी फीस देकर जाना पड़ता है। महाकालेश्वर मंदिर को उसके मूल स्वरूप शिव जो प्रकृति का जहर अपने कंठ में रख लेता है, जहर बाबजूद भी वे आनंद, ऊर्जा और प्यार देता है, उसी के अनुरूप मंदिर की व्यवस्था होनी चाहिए।

उज्जैन नगरी में नीति शतक लिखने वाले महाराजा भरथरी यहां की विरासत है। उनके छोटे भाई राजा विक्रमादित्य और भी बहुत बड़े संत- महात्मा इस धरती पर जन्मे है।

उज्जैन नगरी में नीति शतक लिखने वाले महाराजा भरथरी यहां की विरासत है। उनके छोटे भाई राजा विक्रमादित्य और भी बहुत बड़े संत- महात्मा इस धरती पर जन्मे है। विश्व विरासत महाकालेश्वर को आज बाजारू बना दिया है। बाजारू व्यवस्था कभी सनातन नहीं होती है।

महाकालेश्वर का दर्शन बाजारू बनाना अच्छा नहीं है, महाकालेश्वर का दर्शन सनातन रहना चाहिए और सनातन भारतीय आस्था और प्रकृति के रक्षण का मूल है। इसके उपरांत यात्रा अवंतिका विश्वविद्यालय में पहुंची।

महाकालेश्वर का दर्शन बाजारू बनाना अच्छा नहीं है, महाकालेश्वर का दर्शन सनातन रहना चाहिए और सनातन भारतीय आस्था और प्रकृति के रक्षण का मूल है। इसके उपरांत यात्रा अवंतिका विश्वविद्यालय में पहुंची। विश्व विद्यालय के वाईस चासंलर डॉ प्रशील सूर्यवंशी, शिक्षक हिमांशु शर्मा, प्रो अमित, रजिस्टार आदि शिक्षकों और उज्जैन के लोगों के साथ बैठक हुई।

उपरांत अंवतिका समागति के अंतरगत युवाओं का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित हुआ। युवाओं को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, मैं यहाँ उपस्थित सभी विद्यार्थियों को एक दायित्व सौंपता हूँ कि, वे सब अपने बड़े बुजुर्गों से यह सवाल पूछे कि, क्या उनको भी विरासत में प्रदूषित जल एवं पर्यावरण मिला था?

इसके उपरांत अंवतिका समागति के अंतरगत युवाओं का एक बड़ा सम्मेलन आयोजित हुआ। युवाओं को संबोधित करते हुए जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, मैं यहाँ उपस्थित सभी विद्यार्थियों को एक दायित्व सौंपता हूँ कि, वे सब अपने बड़े बुजुर्गों से यह सवाल पूछे कि, क्या उनको भी विरासत में प्रदूषित जल एवं पर्यावरण मिला था?

अगर उनका जवाब नहीं में मिलता है, तो फिर उनसे पूछे कि, जब आप सब को विरासत में स्वच्छ पर्यावरण मिला था, तब आप हमें प्रदूषण क्यों दे कर जाना चाहते हैं? आप सब को अपने बड़ों की आत्मा को झकझोरना पड़ेगा, तब कहीं जाकर आप सब को आने वाले समय में जीवन जीने में सुलभता होगी।

अगर उनका जवाब नहीं में मिलता है, तो फिर उनसे पूछे कि, जब आप सब को विरासत में स्वच्छ पर्यावरण मिला था, तब आप हमें प्रदूषण क्यों दे कर जाना चाहते हैं? आप सब को अपने बड़ों की आत्मा को झकझोरना पड़ेगा, तब कहीं जाकर आप सब को आने वाले समय में जीवन जीने में सुलभता होगी।

आज हमारे बीच सबसे बड़ा संकट जलवायु परिवर्तन है। इसका हमारी तकनीक और इंजिनियरिंग से समाधान नही हो रहा, ऐसे में हमें भारतीय ज्ञान तंत्र को खोजना चाहिए।

आगे कहा कि, आज हमारे बीच सबसे बड़ा संकट जलवायु परिवर्तन है। इसका हमारी तकनीक और इंजिनियरिंग से समाधान नही हो रहा, ऐसे में हमें भारतीय ज्ञान तंत्र को खोजना चाहिए।

उस ज्ञानतंत्र में बहुत सम्भावनाएँ हैं। आज भी भारतीय आस्था से पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। आज यात्रा में राजीव पहवा, भू वैज्ञानिक विजय और पारस प्रताप सिंह साथ थे। यात्रा जयपुर के लिए रवाना हुई।

उस ज्ञानतंत्र में बहुत सम्भावनाएँ हैं। आज भी भारतीय आस्था से पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। आज यात्रा में राजीव पहवा, भू वैज्ञानिक विजय और पारस प्रताप सिंह साथ थे। यात्रा जयपुर के लिए रवाना हुई।

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