योगी सरकार में रिक्शा  चालक को 21 लाख का वसूली नोटिस पर अखिलेश ने कसा तंज

(मीडिया स्वराज़ डेस्क)

लखनऊ. केंद्र सरकार को देश भर में सीएए और एनआरसी को लेकर चंद माह पहले भारी विरोध झेलना पड़ा था।  इस दौरान यूपी की राजधानी लखनऊ में भी विरोध प्रदर्शन हुआ था।  प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर आगजनी और तोड़ फोड़ की गई थी। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिला प्रशासन इस हिंसा आरोपियों से पब्लिक प्रॉपर्टी को क्षति पहुंचाने के आरोप में वसूली कर रही है। इसी क्रम में जिला प्रशासन ने एक रिक्शा चालक को 21.76 लाख का वसूली नोटिस भेजा है। यह रकम अदा न कर पाने के  जुर्म में उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है। 

 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने एक बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में असहमति की आवाज उठाना भी अपराध हो गया है। लोकतंत्र में सत्ता दल जितनी महत्वपूर्ण भूमिका विपक्ष की भी होती है। लेकिन भाजपा एकाधिकारवादी मनोवृत्ति से चलती है। अपने खिलाफ विरोध प्रदर्शन उसे नागवार गुजरता है। राजधानी लखनऊ में एक गरीब रिक्शेवाले से 21 लाख 76 हजार रूपये के जुर्माने की वसूली की नोटिस थमा दी गई है। 

     सीएए, और एनआरसी के विरोध में लखनऊ में हुए प्रदर्शन के दौरान अपने रिक्शे पर बैठाकर किसी को लाने के इल्जाम में मोहम्मद कलीम को पहले जेल भेजा गया फिर 21 लाख 76 हजार रूपये से ज्यादा की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार बताकर उससे वसूली की कार्रवाई शुरू हो गई। गरीब के पास 21 लाख रूपये नहीं मिले तो उसे फिर जेल भेज दिया गया।

     मोहम्मद कलीम अपनी पत्नी नर्गिस के साथ जानकीपुरम सेक्टर-2 में ईदगाह के पास झोपड़ी बनाकर रहता है। मोहम्मद कलीम के बच्चे नहीं है। पति-पत्नी पहले सुदामा बस्ती हनुमान सेतु के पीछे नदी के किनारे रहते थे। बाढ़ के कारण उन्हें वहां से हटना पड़ा। जब सीएए, एनआरसी का प्रदर्शन हुआ था तो यह खदरा में दरगाह के पास किराये के मकान में रहता था।

     श्री यादव ने आरोप लगाया कि, “  भाजपा सरकार किसानों, गरीबों, नौजवानों के हर अधिकार को छीन लेना चाहती है। वह दमन के सहारे विरोध की आवाज कुचलने का तानाशाही रवैया अपना रही है। अमीरों की भाजपा सरकार ये जान ले कि गरीब के पास अगर इतना होता तो वो आपके ‘झूठे मुकदमों की सच्ची वसूली‘ के खिलाफ उल्टा ‘ठोकू सत्ता‘ पर ही मुकदमा ठोक देता।”

श्री यादव ने कहा की,” समाजवादी पार्टी इस रिक्शा चालक की कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी और इसकी मदद भी की जाएगी।”

वसूली नोटिस अवैधानिक                          

वहीं, सोशल वर्कर दिनकर कपूर का कहना है कि वसूली नोटिस अवैधानिक है और यह राजस्व संहिता व उसकी नियमावली का खुला उल्लंघन है। इसके तहत जितनी भी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही की गई है वह सभी विधि विरुद्ध है। इसलिए तत्काल प्रभाव से वसूली नोटिस को रद्द कर वसूली कार्यवाही को समाप्त करना चाहिए।

यह बात प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों व संगठनों ने डिजिटल मीटिंग में लिए प्रस्ताव में कहीं। प्रस्ताव से सहमत होने वालों में सीपीएम के राज्य सचिव डॉ हीरालाल यादव, सीपीआई के राज्य सचिव डॉ गिरीश शर्मा, लोकतंत्र बचाओ अभियान के इलियास आजमी, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पांडे, स्वराज अभियान की प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट अर्चना श्रीवास्तव, स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल, वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर का नाम प्रमुख है।

इस प्रस्ताव में कहा गया कि,” लखनऊ हिंसा के मामले में ही आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी, सदफ जाफर, दीपक कबीर, मोहम्मद शोएब जैसे राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं और नीरीह व निर्दोष नागरिकों का विधि विरुद्ध उत्पीड़न किया जा रहा है। उनके घरों पर दबिश डालकर ऐसा व्यवहार किया जा रहा है मानो वह बड़े अपराधी हो। उन्हें बेदखल किया जा रहा है, उन्हें दी गई नोटिस खुद ही अवैधानिक है। राजस्व संहिता व नियम में 143(3) कोई धारा व नियम ही नहीं है। यहीं नहीं जिस प्रपत्र 36 में नोटिस दी गयी है उसमें 15 दिन का वक्त देने का विधिक नियम है जबकि दी गयी नोटिस में मनमर्जीपूर्ण ढंग से इसे सात दिन कर दिया गया है।  प्रदेश में हालात इतने बुरे हैं कि एक ठेला चालक को तो प्रशासन ने गिरफ्तार कर जेल तक भेज दिया। जबकि राजस्व संहिता जो खुद विधानसभा से पारित है वह प्रशासन को यह अधिकार देती ही नहीं है।”

राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में अपराधियों, भू माफिया, खनन माफियाओं और हिस्ट्रीशीटरों का मनोबल बढ़ा हुआ है। राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर हमले हो रहे है। कानून व्यवस्था समेत हर मोर्चे पर योगी माडल एक विफल माडल साबित हुआ है। अपराधियों से निपटने की भी सरकार की नीति राजधर्म का पालन नहीं करती है।

प्रस्ताव में अंत में कहा गया जिस संविधान की शपथ लेकर योगी सत्ता में हैं , उसके द्वारा तय राज धर्म का वह पालन करे और संविधान व कानून के अनुरूप व्यवहार करें। सरकार को अपनी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर पुनर्विचार करके  तत्काल प्रभाव से विधि के विरुद्ध भेजी गई सारी वसूली नोटिस को रद्द करना चाहिए और जिन अधिकारियों ने भी इस फर्जी नोटिस को तैयार किया है या इसके के लिए लोगों का उत्पीड़न किया है उनको तत्काल दंडित करना चाहिए।

Tags-

Leave a Reply

Your email address will not be published.

4 × 5 =

Related Articles

Back to top button