वैदिक साहित्य में कृष्ण

डॉ चन्द्रविजय चतुर्वेदी 

ऋग्वेद में एक मंत्रदृष्टा ऋषि कृष्ण का उल्लेख हुआ है।सायण भाष्य में इन्हें अंगिरस कृष्ण कहा गया है -कृष्णो नामांगिरस ऋषिः। ऋग्वेद में कृष्ण के विश्वक नामक पुत्र का उल्लेख हुआ है, जो ऋषि कृष्ण के साथ मंत्रदृष्टा ऋषि हैं -ऋग्वेद -8 /86 /3 ,यह भी उल्लेख आता है कि अश्वनी कुमारों ने विश्वक के नष्ट पुत्र विष्णाप्व की रक्षा की थी और उसके पिता से मिलवाया था। ऋग्वेद -1 /117 /7 तथा 1 /116 /23 । कौषीतकि ब्राह्मण में घोर अंगिरस के साथ ही अंगिरस कृष्ण का भी उल्लेख किया गया है -कृष्णो ह तदङ्गिरसो ब्राह्मणान छन्दसिय तृतीयं सवनं ददर्श। ऐतरेय आरण्यक में कृष्णहरित नामक उपदेशक का उल्लेख मिलता है। छान्दोग्य उपनिषद् में वर्णित है की घोर अंगिरस नामक ऋषि ने देवकी पुत्र कृष्ण को दक्षिणा प्रधान यज्ञ की अपेक्षा अहिंसा प्रधान यज्ञ का प्रतिपादन किया है। दान ,तप और सत्य को इसकी दक्षिणा कहा गया है -छा उप 3 /17 /4 । गीता में भी ज्ञानमय यज्ञ को उत्तम कहा गया है गी -4 /33 । गीता और छान्दोग्य उपनिषद की साम्यता से यह सिद्ध होता है कि छान्दोग्य उपनिषद के देवकी पुत्र और गीता के प्रवचनकर्ता योगिराज कृष्ण एक ही हैं।

ऋग्वेद के मन्त्र 6 /9 /1 में कृष्ण के साथ अर्जुन का उल्लेख हुआ है -अहश्च कृष्णमहरर्जुनम च वि वर्तेते रजसि विद्याभिः
ऋग्वेद के मन्त्र 1 /10 /7 में गायों के साथ व्रज का उल्लेख है –गवामपव्रजम वृधि।
ऋग्वेद के मन्त्र 5 /52 /17 में यमुना के साथ गौ और राधा का उल्लेख है –यमुनायामधि श्रुतमुद राधो गव्यं सृजे नि राधो आष्वयं सृजे।

डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज
डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज

(डॉ चन्द्रविजय चतुर्वेदी प्रख्यात लेखक हैं) 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

fourteen − 9 =

Related Articles

Back to top button