किशन जी के किस्से वाणी जी की जुबानी

किशन पटनायक के जन्मदिवस पर विशेष

Vaani

 समाजवादी चिंतक एवं पूर्व सांसद किशन पटनायक जी का जन्म ओडिसा के भवानीपटना में  30 जून   1930 को  हुआ था .देश ने किशन पटनायक जी को प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सम्बलपुर के सबसे युवा सांसद के तौर पर देखा .वे डॉ राम मनोहर लोहिया के अत्यंत नजदीकी साथी थे . उन्होंने पूरा जीवन आदिवासियों, किसानों एवं वंचित तबकों के बीच खपा दिया .अपने जीवन काल में उन्हें सिद्धांत कार के तौर पर माना जाने लगा था . किशनजी जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के संस्थापकों में प्रमुख थे .एक समय में समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे . किशनजी सोशलिस्ट पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रहे । उन्होंने समता संगठन, समाजवादी जन परिषद जैसे अनेक संगठनों का गठन किया . किशनजी ने नए युवाओं को समाजवादी आंदोलन के साथ जोड़कर उन्हें स्वतंत्र समाजवादी नेता के तौर पर स्थापित किया . किशनजी के आभा मंडल तथा समाजवादी सिद्धांत से प्रभावित होकर जो राजनीति में आए उनमें से कुछ को देश में जाना और माना .

नीतीश कुमार जेपी आंदोलन के समय से ही किशन जी के बहुत करीब थे।योगेंद्र यादव भी किशन जी प्रिय रहे , जो स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष है . बरगढ़ उड़ीसा का जिला किशन जी का कर्म क्षेत्र रहा .वहां से शुरू होकर पूरे पश्चिम उड़ीसा में जो सशक्त आंदोलन चला उसके वे जनक थे.लिंगराज भाई आज उस किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं .वेदांता के खिलाफ़ नियमगिरि आंदोलन के जनक दूसरे लिंगराज आज़ाद आजकल समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष है.
मेरी किशन जी के साथ ज्यादा मुलाकात केसला (होशंगाबाद) में सुनील भाई द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में हुई या मेरे गुरु देव प्रोफेसर विनोदानंद सिंह जी के साथ कई कार्यक्रमों में और व्यक्तिगत तौर पर हुई.
किशन जी से प्रभावित होकर सुनील भाई जेएनयू की पढ़ाई समाप्त होने के बाद केसला आ गए जहां उन्होंने अपना पूरा जीवन खपा दिया .वे भी एक समय में समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने . जब मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव द्वारा देश को विश्व बैंक और आर्थिक मुद्रा कोष की खुली अर्थव्यवस्था की नीतियों के तहत खोल दिया, वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण को विकास का एकमात्र मूल मंत्र बताया जाने लगा तब किशन जी ने देश भर के जन संगठनों समाजवादी संगठनों और अन्य प्रगतिशील संगठनों के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी संघर्ष छेड़ा । उस समय देयर इज नो अल्टरनेटिव (TINA) की बात सिद्धांत के तौर पर कही जाती थी। तब उन्होंने उसे चुनौती देते हुए लिखा की ‘विकल्पहींन नहीं है दुनिया’ .
किशन जी सामयिक वार्ता पत्रिका भी प्रकाशित करते थे जो आज भी उनके साथी निकाल रहे हैं.
किशन जी के बारे में मुझे उनकी पत्नी वाणी जी से लॉकडाउन के गत 4 महीनों में काफी कुछ जानने मिला । वाणीजी पुणे किसी कार्यक्रम में गई थी। लॉकडाउन के लगभग 3 महीने वहीं फंसी रही । तब मैं वाणीजी से बीच-बीच में कुशलता के समाचार लेता रहा । वे जब भी बात करतीं ,मोदी सरकार की किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर बोलती . वे बराबर कहती है कि मोदी को 2014 में हमने बिठाया . सब कुछ देखने के बाद उसे नहीं हटाया यह हमारी गलती है.

मैंने कल वाणी जी से कहा कि वे राजनीति से हटकर कुछ बातें किशन जी के बारे में बताएं.

उन्होंने कुछ किस्से सुनाए ,
वाणी जी ने कहा कि मैं केंद्रीय विद्यालय में नौकरी करती थी, वे राजनीति करते थे,बीच-बीच में मुलाकात होती थी। एक बार मैंने कहा कि आप देश भर में घूमते हो मेरे लिए कुछ लाते नहीं. हम घर के बाहर खड़े थे उन्होंने कहा कि तुम चाहती हो कि मैं साड़ी लाऊं .
घर के सामने से कोई महिला सामने से गुजर रही थी शायद वह किसी के घर में काम करने वाली महिला थी। किशन जी बोले तुम अपना कपड़ा देखो और उसका कपड़ा देखो तुम्हारा कपड़ा इतना अच्छा है तुम कितनी अच्छी लगती हो। मैं समझ गई कि वह मुझे सिखा रहे थे कि तुम्हारे पास जो है वह औरों से अच्छा है तुम्हें और अधिक पाने की (इकट्ठा) इच्छा नहीं रखनी चाहिए .
वाणी जी ने बताया कि अंतिम बार जब किशन जी हैदराबाद की यात्रा के लिए निकले थे तब जाते समय उन्होंने पूछा था कि तुम्हारी नौकरी खत्म हो जाएगी तब तुम क्या करोगी ? वाणी जी ने खुद ही कहा कि उस समय मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि मुझे मालूम था कि वे जानते थे कि मैं अकेली रह सकती हूं, अकेली चल सकती हूं । यह बात लॉकडाउन के समय मुझे समझ में आई जब 69 वर्ष की उम्र में भी खुद को संभाल सकी .

मैंने वाणी जी से उनकी किशन जी के साथ हुई शादी के बारे में जानना चाहा , उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग मानते हैं कि ओडिसा की थीं इसलिए विवाह हो गया होगा लेकिन किशन जी का जन्म उड़ीसा के भवानीपटना में हुआ था। मेरा जन्मस्थान बालासोर था ।दोनो जिलों में लंबी दूरी थी।
वाणी जी संगीतज्ञ थी और किशन जी राजनीतिज्ञ ,वाणी जी ने केंद्रीय विद्यालय रांची, बंगलुरु बड़नाल और भुवनेश्वर में 1979 से 11 अगस्त 2011 तक नौकरी की।
वाणी जी ने विवाह का प्रसंग बताते हुए कहा कि वे 12 वर्षों तक साने गुरुजी ,यदुनाथ थथे ,एसएम जोशी तथा तिलक जी के बड़े दामाद जीडी केतकर जी के साथ 12 वर्ष पुणे में रही । जन्म तो उड़ीसा में हुआ। गाना गाती थी,संगीत की पढ़ाई की,विनायकराव पटवर्धन के यहाँ संगीत सीखने आ गयी .पुणे में वे जहां रहती थी वह घर साधना प्रकाशन के पास था. साने गुरूजी और यदुनाथ थत्थे जी वहां बैठा करते थे.

उन्होंने नई लड़की देखकर ,पढ़ने लिखने के काम से जोड़ा .साधना प्रकाशन के कार्यालय में कोई बैंक के अधिकारी आते थे जिनका बरगढ़ से संबंध था, वह मेरे पिताजी के भी दोस्त थे .एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि क्या तुम बरगढ़ के लड़के के साथ शादी करोगी? फिर किशन जी के बारे में बताते हुए कहा कि ऐसा फक्कड़ आदमी है कि एक चप्पल होती है दूसरी नहीं .

वाणी जी ने हंसकर बताया कि मैंने उनसे कहा कि क्या दूसरी चप्पल ढूंढने आप मेरी शादी उनसे कराना चाहते हैं ? बात आई-गई हो गई . मैं भाई बहनों को पढ़ाने में व्यस्त व्यस्त थी। वह व्यक्ति जब बरगढ़ गए तब किशन जी को मेरे बारे में बताया किशन जी ने मुझे चिट्ठी लिखी . मैंने डेढ़ महीने तक चिट्ठी का जवाब नहीं दिया . उस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि औरत को जब ज्यादा दबाकर रखा जाता है तब औरत की हिम्मत बहुत बढ़ जाती है .

वाणी जी ने बताया कि वह बाद में मुंबई में भारती विद्या भवन में काम करने लगी पहले पुणे में व्ही शांताराम के प्रभात स्टूडियो में गाने जाती थी वहां पर एक म्यूजिक डायरेक्टर थापा जी से जो दिल्ली चले गए थे .उनके बुलाने पर मैं दिल्ली गई .दिल्ली के भारतीय कला केंद्र में स्कॉलरशिप मिल गई .फिर वाणी जी ने कहा कि थापा जी ने मुझसे कहा कि किशन से बात करोगी, उन्होंने फोन लगा दिया कहां की वाणी से मिलने आओ. किशन जी ने कहा कि वक्त नहीं है लेकिन अगले दिन वह आए लेकिन मैं घर पर नहीं थी .वह चिट्ठी छोड़कर गए बाद में हमारी मुलाकात होने लगी .सब चाहते थे कि हम शादी कर ले लेकिन हम लंबे समय तक बिना शादी किए मिलते जुलते रहे. बाद में 11 जून 1969 में हमने बिना तामझाम के शादी की.
वाणी जी ने समाजवादी नेता राजनारायण जी जिन्होंने इंदिरागांघी को हराया   था से जुड़े दो किस्से बताए.भूपेंद्र नारायण मंडल सहरसा बिहार के थे तथा राज्यसभा सदस्य थे. साउथ एवेन्यू में रहते थे। उनके सर्वेंट क्वार्टर में किशन जी रहते थे .बस स्टैंड पर जब कभी वाणी जी दोपहर में बस से उतरती थी. तब राजनारायण जी उन्हें खाने के लिए बुलाते थे तथा हाथ से बनाकर खिलाते थे.
एक बार आंदोलन में लाठीचार्ज हुआ राजनारायण जी का पैर टूट गया, किशन जी का हाथ फैक्चर हुआ. एक दिन वाणी जी ने राजनारायण जी से कहा कि आप बड़े नेता हो इसलिए आप का इलाज एम्स के हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर शंकरन करेंगे और क्योंकि मेरे पति गरीब है, उनका इलाज कोई साधारण डॉक्टर करेगा ? राजनारायण जी ने तुरंत एम्स में डॉक्टर शंकरन से इलाज की व्यवस्था कराई.

किशन जी का देहांत 27 सितंबर 2004 को हो गया ,16 वर्षों से वाणी जी भुवनेश्वर में अकेले रहती है ,भुवनेश्वर में भी सक्रिय रहती है .देश भर में आना जाना करती रहती हैं .मुलाकात हो बात हो ,उनकी यादाश्त की प्रशंसा किये बिना नहीं रहता। परन्तु कभी किसी की शिकायत नहीं ,किसी से कोई उम्मीद नहीं ,महसूस होता है वाणीजी मन से आनंद में हैं। उनकी जीवटता ,बेबकीपन को सलाम .
स्वास्थ्य रहने और दीर्घायु होने की शुभकामनाएं !

डॉ सुनीलम
महामंत्री ,समाजवादी समागम

सुनीलम

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