कृषि क़ानून राज्यों पर छोड़ देना चाहिए

रिपब्लिक डे पर पब्लिक की परेड

दिल्ली में किसान ट्रैक्टर रैली 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर राजधानी में जनता की परेड है, जो लोक तंत्र में असली मालिक होती है यानी रिपब्लिक डे पर आम पब्लिक की परेड. सेना और पुलिस की परेड तो होती रहती थी. अब आम किसान मज़दूर भी गणतंत्र का उत्सव मनाने और अपनी पीड़ा व्यक्त करने दिल्ली आ रहा है.

चार महीने से चल रहा यह किसान आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है, सरकार के तमाम उकसावे के बावजूद. इसमें किसान अपने परिवार की महिलाओं और बच्चों समेत शामिल हैं.

सौ से अधिक लोग ठंड, आत्म हत्या या दूसरे कारणों से बलिदान भी हो चुके है.

बातचीत के इतने दौर हो चुके पर केंद्र सरकार की हठधर्मिता से कोई निर्णय नहीं हो सका.

श्री सुशील त्रिपाठी उत्तर प्रदेश काडर के आई  ए एस अफ़सर हैं और उन्होंने प्रदेश तथा केंद्र में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सँभाली हैं. इस वीडियो बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी ने उनसे गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में होने वाली दिल्ली में किसान ट्रैक्टर रैली पर बात की.

श्री त्रिपाठी का कहना है कि खेती और ज़मीन जैसे जैन जीवन से जुड़े विषय पर क़ानून बनाने का काम राज्य सरकारों पर छोड़ देना चाहिए.

श्री त्रिपाठी स्वयं भी किसान परिवार से हैं.

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