कौशाम्बी यमुना नदी : प्रकृति और पर्यावरण पर भारी बालू व्यापारी
उत्तर प्रदेश में मज़बूत बुलडोज़र सरकार के बावजूद कौशाम्बी ज़िले के पभोसा में बालू व्यापारी यमुना नदी पर गैरक़ानूनी बांध बनाकर बालू का खनन कर रहे हैं। आँखो देखी रिपोर्ट :
मीडिया स्वराज संवाददाता
पुरुषार्थ वही जो दिखाई दे । पूरे इकबाल के साथ दिखाई दे तो समझिये कि पुरुषार्थी कोई अवतारी पुरुष है । ऐसा ही इकबाली पुरुषार्थ ग्राम पभोसा (कौशाम्बी) में यमुना नदी में दिखा , जिसे देखकर समुद्र बन्धन करने वाले भगवान राम की याद आ गयी ।
आज तक समुद्र में सेतुबंध वाले भगवान राम का और धर्मपत्नी के प्रेम के लिए पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी का यश सुनते आ रहे थे , पर आज उत्तर भारत की विशालतम नदियों में शीर्ष माँ यमुना को बंधा देख विस्मय की सीमा नहीं रही । अपनी आँखों से भगवान राम के इतिहास और दशरथ मांझी के वर्तमान को देखकर दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर होना पड़ा।
एक हेलमेट न होने पर गाड़ी सहित मोटरसाईकिलिस्ट को थाने में बन्द करने वाला प्रशासन बिना अनुमति यमुना प्रवाह को बांधने वाली शक्ति के सामने नतमस्तक हो गया , वह भी योगी आदित्यनाथ सरकार के दौरान -जब माफिया को बुलडोजर के नीचे धूल धूसरित किये जाने का अभियान चल रहा हो । चर्चा है कि भाजपा के नेता खुश हों , जिला प्रशासन और राज्य प्रशासन माफिया के व्यवहार सौन्दर्य पर निहाल हो तो सब नार्मल है ।
पहली नजर में लगा कि नदी बन्धन का यह कार्य कलियुग की सरकार ही कर सकती है जिसके पास दैत्याकार शक्ति और मशीने हैं । परन्तु जब एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि नदी पर बांध सरकार ने नहीं , एक बालू खनन कराने वाले महराज ने ब॔धवाया है ।
लोक आस्था की जलमयी देवी यमुना जी को बांधा गया है। उनकी लगभग 500 मीटर चौड़ी और लगभग 3 मीटर गहरी धारा बांधकर , धारा के ऊपर 30 फीट चौड़ी सडक बनायी गयी है । इस सडक का बेस कम से कम 100 फीट होगा । इतनी चौडी सडक है कि आमने-सामने से दो विशाल डम्पर आसानी से आवागमन कर लेते हैं । यमुना जी की दूसरी धारा भी बंधी सी लगी, क्योंकि उसमें स्वाभाविक जल-प्रवाह नहीं था, पानी तालाब की तरह स्थिर था ।
एक पुरुषार्थ यह यमुना जी को बांधने का है , एक हम लोगों का हैं जो अपने खेत की मेड़ नहीं बांध पाते हैं । बगल के किसान से लेकर लेखपाल, और फिर लेखपाल से लेकर ऊपर की कोई सीमा नहीं जहां तक पहुंच सकें , फिर भी मेड़ बंध जाये तो पुरुषार्थ सफल समझें। यहां तो पूरी यमुना नदी बंध गयी , रेत पर पानी छिड़ककर सडक की सुन्दर व्यवस्था हो गयी है , दर्जनों जेसीबी मशीनें कीमती बालू को पानी से निकालकर जरूरतमंदों तक भेजने के समाजोपयोगी कार्य में 24 घंटे सेवारत हैं।
महराज के नदी बन्धन के साथ प्रशासन बन्धन के कौशल और पराक्रम के बीच जमुना जी की स्वर्णमई बालू को गहरे जल से निकालकर बाजार की आवश्यकता पूर्ति व्यवस्था सम्बन्धी पुरुषार्थ को देख मैं अगर उन्हे अवतारी पुरुष मानूं तो क्या कोई हर्ज होगा ?