काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर की चमक से दमक उठी है ‘बाबा की नगरी’

काशी विश्वनाथ का यह स्वर्ण शिखर इन दिनों सोने सा दमक रहा है. यूं तो इसकी आभा हमेशा ही लुभाने वाली रही है, लेकिन समय के साथ स्वर्ण शिखर पर कुछ काले धब्बे आ गए थे. लिहाजा श्री काशी विश्वनाथ धाम को नया रूप देने के साथ ही इसे भी चमकाया जा रहा है.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर की स्थापना महाराजा रणजीत सिंह ने करवाई थी. हमेशा से ही शिखर की आभा महादेव के भक्तों और यहां आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है. शिखर से ही बाबा के भक्त खुद को उनकी छत्र छाया में महसूस करते ​हैं. 27 Sep 2018 को काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर से गुरुवार को करीब एक फुट लंबा सोने का टुकड़ा गिर गया था. हुआ यह था कि विश्वनाथ मंदिर के भंडार गृह का बारजा तोड़ा जा रहा था. उसकी धमक से स्वर्ण शिखर के पश्चिमी कोने पर चढ़ाए गए सोने के मुलम्मे का एक टुकड़ा गिर गया था. मौजूद लोगों का कहना है कि स्वर्ण शिखर पर समय के साथ कुछ काले धब्बे भी आ गए थे. लेकिन अब श्री काशी विश्वनाथ धाम को नया रूप देने के साथ ही इसे खूब चमकाया जा रहा है.

मीडिया स्वराज डेस्क

श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में अब बस एक ​ही दिन शेष रह गया है. 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों बाबा भोलेनाथ के इस मंदिर का जीर्णोद्धार किये जाने की सारी तैयारियां हो चुकी हैं. मंदिर और आसपास की खूबसूरती देखते ही बनती है. खासकर मंदिर के स्वर्ण शिखर की चमक चांदनी की चमक को भी फीकी करती दिख रही है.

बता दें कि स्वर्ण शिखर पर समय के साथ कुछ काले धब्बे आ गए थे. अब श्री काशी विश्वनाथ धाम को नया रूप देने के साथ ही इसे चमकाया जा रहा है. वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि कुछ साल पहले बिना छेड़छाड़ के बाहरी दीवारों को पेंट किया गया था.

काशी विश्वनाथ में कैसे शिव हुए ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित, जानिए...
काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही खास है और इससे जुड़ी कितनी ही पुरानी मान्यताएं भी हैं.

काशी विश्वनाथ का यह स्वर्ण शिखर इन दिनों सोने सा दमक रहा है. यूं तो इसकी आभा हमेशा ही लुभाने वाली रही है, लेकिन समय के साथ स्वर्ण शिखर पर कुछ काले धब्बे आ गए थे. लिहाजा श्री काशी विश्वनाथ धाम को नया रूप देने के साथ ही इसे भी चमकाया जा रहा है. इसी क्रम में मंदिर की सफाई की जा रही है. नई सज-धज होने पर महादेव के धाम का वैभव भी अपने भव्यतम रूप में सामने आ रहा है.

मौजूद लोगों का कहना है कि स्वर्ण शिखर पर समय के साथ कुछ काले धब्बे आ गए थे. लेकिन अब श्री काशी विश्वनाथ धाम को नया रूप देने के साथ ही इसे खूब चमकाया जा रहा है. वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि कुछ साल पहले बिना छेड़छाड़ के बाहरी दीवारों को पेंट किया गया था. इसके साथ ही स्वर्ण शिखर पर कुछ ब्लैक स्पॉट्स आ गए थे, उन्हें भी अधिकृत तरीक़े से सिर्फ़ क्लीन किया गया है. ट्रस्ट की तरफ़ से कहा जा रहा है कि अब स्वर्ण शिखर में साफ अंतर दिखाई दे रहा है.

महाराजा रणजीत सिंह ने सोने से मढ़वाया था शिखर 

बता दें कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर की स्थापना महाराजा रणजीत सिंह ने करवाई थी. हमेशा से ही शिखर की आभा महादेव के भक्तों और यहां आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है. शिखर से ही बाबा के भक्त खुद को उनकी छत्र छाया में महसूस करते ​हैं.

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27 Sep 2018 को काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर से गुरुवार को करीब एक फुट लंबा सोने का टुकड़ा गिर गया था. हुआ यह था कि विश्वनाथ मंदिर के भंडार गृह का बारजा तोड़ा जा रहा था. उसकी धमक से स्वर्ण शिखर के पश्चिमी कोने पर चढ़ाए गए सोने के मुलम्मे का एक टुकड़ा गिर गया था.

2018 में मंदिर के स्वर्ण शिखर से गिर गया था सोना

27 Sep 2018 को काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर से गुरुवार को करीब एक फुट लंबा सोने का टुकड़ा गिर गया था. हुआ यह था कि विश्वनाथ मंदिर के भंडार गृह का बारजा तोड़ा जा रहा था. उसकी धमक से स्वर्ण शिखर के पश्चिमी कोने पर चढ़ाए गए सोने के मुलम्मे का एक टुकड़ा गिर गया था.

इसके बाद कुछ देर काम रोक दिया गया था और सूचना मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह को दे दी गई थी. कुछ ही देर में विशाल सिंह मंदिर पहुंचे और एक फुट लंबे और आधा फुट चौड़े सोने के मुलम्मे को मंदिर कार्यालय के लॉकर में रखवा दिया था. मंदिर के भंडार गृह और बद्रीनारायण मंदिर के पुजारी आवास को तोड़ने का ठेका लेने वाले ठेकेदार को भी ताकीद किया कि तोड़फोड़ करते समय विशेष रूप से सावधानी बरती जाए. उन्होंने चेतावनी भी दी कि यदि भविष्य में ऐसी घटना का दोहराव हुआ तो उसे ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकता है.

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सड़ चुके हैं साखू की लकड़ी के अधिकतर पेच

मौजूद लोगोें ने तब बताया था कि रानी अहिल्याबाई द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार के बाद मंदिर के पत्थर के शिखर को साढ़े बाइस मन सोने से मढ़वाया गया था. शिखर पर सोना जड़ने के लिए पहले तांबे के पत्तर चढ़ाए गए थे. उन पर सोने का मोलम्मा चढ़ाया गया था. इन्हें तांबे के पत्तर से सटाने के लिए साखू की लकड़ी के पेचों से कसा गया था. इनमें से अधिकतर पेच अब सड़ चुके हैं.

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