कानपुर के व्यवसायी की गोरखपुर में पुलिस के हाथों हत्या : विपक्ष हमलावर, मुख्यमंत्री योगी के लिए परेशानी

— सुषमाश्री

गोरखपुर में हुई कानपुर व्यवसायी की मौत की घटना दुखद है और शर्मनाक भी. विधान सभा चुनाव से पहले यह घटना मुख्यमंत्री योगी के लिए परेशानी का परेशानी का कारण बन सकती है. कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. चुनावी समय में उत्तर प्रदेश के सीएम के गृहनगर गोरखपुर में हुई इस घटना ने सभी विपक्षी दलों के कान खड़े कर दिए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मृत व्यापारी मनीष के परिवार से कानपुर में मुलाक़ात के बाद घटना की न्यायिक जाँच की माँग की. कांग्रेस और बसपा ने भी कड़ी निंदा करते हुए कार्यवाही की माँग की है. यह भी देखना होगा कि आने वाले विधानसभा चुनावों तक क्या इस मामले का असर रहेगा या मामले के खिलाफ उठ रही यह आवाजें हाथरस कांड की तरह शोर शराबों के बीच दब जाएगी!

सबसे ज्यादा कस्टोडियल डेथ भाजपा सरकार में – अखिलेश यादव

मृतक व्यापारी मनीष गुप्ता जी के परिजनों से कानपुर में मुलाकात करने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मीडिया से कहा:पुलिस की जिम्मेदारी है लोगों को सुरक्षा मिले।लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पुलिस सुरक्षा नहीं कर रही है पुलिस लोगों की जान ले रही है।

उत्तर प्रदेश में पुलिस का ऐसा व्यवहार किसी की सरकार में देखने को नहीं मिला।बाबा मुख्यमंत्री होने के बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार हो रही है।ऐसी सरकार में अगर अगर कार्रवाई हुई होती तो मनीष गुप्ता जी को आज अपनी जान नहीं गंवाना पड़ता।

झांसी में ही ऐसी घटना हुई थी पुष्पेंद्र यादव की जिसमें पुलिस ने जान ले ली थी।पुलिस लगातार भाजपा की सरकार में लूट और हत्या में शामिल है।यह तभी संभव है जब सरकार की नियत साफ ना हो।सरकार की पहले दिन से कानून व्यवस्था पर नियत साफ नहीं रही है।

सबसे ज्यादा कस्टोडियल डेथ भाजपा सरकार में हो रही है सबसे ज्यादा नोटिस एनएचआरसी ने दिए हैं।समाजवादी पार्टी की मांग है कि इसकी जांच हो और सेटिंग जज हाई कोर्ट के हो उनकी मॉनिटरिंग में घटना की जांच हो जो दोषी अधिकारी हैं, जो दोषी सिपाही है या और संबंधित लोग हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।

और जिस होटल में व्यापारी रुके और पीड़ित परिवार गया पूरे के पूरे सबूत वहां मिटा दिए गए।परिवार की दो करोड़ की मदद होनी चाहिए।और मृतक की पत्नी पढ़ी-लिखी हैं और उनके बुजुर्ग माता-पिता का क्या होगा उनके परिवार का क्या होगा उनका घर कैसे चलेगा।

इसलिए सरकार को ₹2 करोड़ देकर मदद करनी चाहिए।समाजवादी पार्टी भी 20 लाख रुपए से पीड़ित परिवार की मदद करेगी।जब आप पुलिस और डीएम से गलत काम कर आओगे तब अंजाम यही होगा।पुलिस और अधिकारियों पर इसीलिए कार्रवाई नहीं हो रही है क्योंकि सरकार ने इन्हीं से गलत काम कराएं हैं।

जिन्होंने यह घटना की है यह मामूली लोग नहीं है मुझे जानकारी मिली है कि उन्नाव में भी इसी प्रकार की घटनाएं हुई हैं गोरखपुर में भी इसी प्रकार की घटना हुई है।तब तक न्याय मिलना मुश्किल है जब तक सीबीआई जांच या हाई कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच ना हो।

मृतक की पत्नी पढ़ी लिखी है इसलिए उन्हें क्लास वन या क्लास 2 की नौकरी दे सरकार।समाजवादी पार्टी सरकार पीड़ित परिवार की 20 लाख रुपए से मदद करेगी और कानूनी कार्यवाही में भी सहयोग करेगी मदद करेगी।

जब तक भाजपा की सरकार है आप पुलिस से उम्मीद नहीं कर सकते न्याय की।सरकार उन अधिकारियों को मौका नहीं दे रही है जो सही काम कर सकें।समाजवादी पार्टी पूरी तरह से परिवार के साथ हैं और मुझे उम्मीद है कि जिस दिन यह केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में जाएगा उस दिन पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा और उदाहरण बनेगा कि इस तरीके की घटना ना हो।सच को मारने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार करती है।

यह सब बातें अखिलेश यादव ने कानपुर में मीडिया से कहीं.

कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में हत्या
कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पुलिस के हाथों हत्या

निलम्बन और मुक़दमा

उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक पुलिस स्टेशन के आफिस इंचार्ज समेत तीन अन्य पुलिस अधिकारियों पर मंगलवार को कानपुर निवासी बिजनेसमैन की मौत में संलिप्त होने को लेकर एफआईआर दर्ज किया है. छह पुलिस कर्मी निलम्बित कर दिए गए हैं.

स्थानीय पुलिस ने दावा किया है कि बिस्तर से गिरने के कारण सिर पर चोट लगने से इलाज के दौरान व्यवसायी मनीष की मौत हुई. जबकि गुप्ता के साथ रहे दोस्तों का कहना है कि उनकी मौत पुलिस की मार से हुई है.

मनीष गुप्ता की पत्नी मिनाक्षी गुप्ता ने मंगलवार को रामगढ़ताल पुलिस स्टेशन के आफिस इंचार्ज व तीन अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. शिकायत दर्ज करते ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के अंतर्गत तीनों पुलिस अधिकारियों समेत आफिस इंचार्ज के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई.

मनीष के एक मित्र हरदीप सिंह चौहान कहते हैं, मनीष समेत हम सभी, जिसमें गुरुग्राम के प्रदीप चौहान भी थे, एक बिजनेस ट्रिप पर गोरखपुर पहुंचे थे. वहीं, रामगढ़ताल पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले कृष्णा होटल में हम ठहरे हुए थे.

इसी दौरान रामगढ़ताल पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने होटल में रेड डाली. उन्होंने हमसे कमरे का दरवाजा खोलने के लिए कहा. हमने उन्हें अपना पहचान पत्र दिखाया. जब मनीष ने उनसे रेड के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की तो छापा मार रही पुलिस की टीम को गुस्सा आया और उन्होंने डंडे से उसे पीटना शुरू कर दिया.

चौहान ने आगे बताया कि पुलिस की पिटाई से मनीष के सिर पर चोट लगी और वह बेहोश होकर गिर पड़े. छापा मार रही पुलिस की टीम यह देख फौरन उसे अस्पताल लेकर  गई. लौटते हुए पुलिस अधिकारियों ने हम सभी दोस्तों पर यह आरोप लगाया कि हमने शराब पी हुई थी.

उन्होंने एफआईआर में लिखा कि मनीष नशे में था. उसने अपना बैलेंस खो दिया और बिस्तर से गिर पड़ा, जिससे उसके सिर पर चोट लगी.  

घटना के फौरन बाद गोरखपुर एसपी ने इसकी जांच विभाग को सौंप दी और रामगढ़ताल आफिस इंचार्ज समेत छह अन्य पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया, जो उस रेड टीम में शामिल थे.

उत्तर प्रदेश चुनावों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगभग हर रोज गोरखपुर दौरा कर रहे हैं. इसी बीच हुई इस शर्मनाक और दर्दनाक घटना पर उनकी चुप्पी को विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है. प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस बाबत एक स्टिंग आपरेशन वीडियो भी शेयर किया है.

वीडियो से साफ हो जाता है कि गोरखपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट और पुलिस कप्तान और पुलिस अधिकारियों ने मामले को दबाने का कितना प्रयास किया. उनकी पूरी कोशिश रही कि मनीष गुप्ता के परिवार वाले और दोस्त इस मामले में क़ानूनी कार्यवाही न करें.

इसके बाद कांग्रेस की ओर प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी मामले से जुड़ी खबर को अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया. 

बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी दो ट्वीट करके इस मामले को संज्ञान में लिया. उन्होंने उत्तर प्रदेश में आए दिन हो रही ऐसी घटनाओं पर दुख व्यक्त किया.

उत्तर प्रदेश के इस चुनावी हलचल के बीच कानपुर व्यवसायी मनीष गुप्ता की मौत का मामला तूल पकड़ रहा है. आम जनता में भी इससे रोष है. अब यह तो आने वाला चुनाव परिणाम ही बताएगा कि इस घटना से बीजेपी को कितना नुकसान होता है और अन्य विपक्षी दलों को इसका कितना लाभ मिल सकता है.

सरकार की ओर से क़ानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने एक न्यूज़ एजेंसी को बाताया कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और दोषी पुलिस वालों के ख़िलाफ़ कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं.

@Sushmashree susmaa@gmail.com

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