प्रधानमंत्री मोदी की सीधी आलोचना पर कांग्रेस में मतभेद, राहुल सख़्त

(मीडिया स्वराज डेस्क)

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी आलोचना को लेकर कांग्रेस के बड़े नेताओं में एक राय नहीं दिखायी देती. कांग्रेस के ज़्यादातर बड़े नेता प्रधानमंत्री पर सीधे आरोप लगाने से परहेज़ करते हैं. पर राहुल और प्रियंका गांधी ने लगातार सीधे मोर्चा खोल रखा है. 

मंगलवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने सबको  तल्ख शब्दों में  बता दिया कि वह प्रधानमंत्री की आलोचना करने से पीछे नही हटेंगे. साथ ही कांग्रेस के अन्य साथियों को भी नसीहत दी  कि जब भी मौका मिले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते रहें.

राहुल गांधी के यह तेवर इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि इस  बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई नेताओं ने इस बात की मांग कर दी कि राहुल गांधी को शीघ्र ही पूर्ण रूप से कांग्रेस अध्यक्ष का पद अब सँभाल लेना चाहिए. हरीश रावत और युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास भी इसके समर्थन में दिखे. राहुल गांधी ने एक अरसा पहले पार्टी अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था और तब सोनिया गांधी ने अस्थायी तौर पर फिर से कमान अपने हाथ में ले ले रखी है. 

इस वर्चुअल  बैठक में उत्तर प्रदेश से कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने सलाह दी थी कि वर्तमान परिस्थितियों में कांग्रेस को प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत टिप्पणी से बचते हुए, सीमा पर चीन के साथ हो रही गड़बड़ियों को उजागर करना चाहिए. आरपीएन सिंह राहुल ब्रिगेड के नेता माने जाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की आलोचना सिर्फ पालिसी और मुद्दों पर की जानी चाहिए.

इस सलाह पर राहुल काफी गुस्से में दिखे, उन्होंने बाकी साथियों को भी, जो उनके अनुसार प्रधानमंत्री की आलोचना से बचते रहते हैं, को सीधे शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि ‘मुझे प्रधानमंत्री मोदी का भय नही है. वह मेरा कुछ नही बिगाड़ सकते, मैं उनकी आलोचना करता रहूंगा. यदि CWC को मेरी इस बात से आपत्ति है तो वह मुझे चुप रहने का आदेश दे सकती है’.

राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनको भी लगता है कि कुछ मुट्ठी भर नेताओं और राहुल को छोड़कर ज्यादातर नेता प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की सीधी आलोचना करने से बचते दिखते हैं.

राहुल गांधी लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस औरसोशल मीडिया  के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी पर तीखे हमले करते रहे हैं.उनकी बहन श्रीमती वाड्रा ने भी लोक सभा के चुनावों के तत्काल बाद एक बैठक में आरोप लगाया था कि चुनावों में कांग्रेस की लुटिया डुबाने वाले अधिकतर लोग cwc में ही विद्यमान हैं.

राहुल ने उस समय यह भी आरोप लगाया था  कि कुछ पुराने कांग्रेसी नेता जमीनी स्तर पर सक्रिय नही हैं, और उनका ध्यान सिर्फ अपने पुत्र पुत्रियों का भविष्य सुनिश्चित करने में लगा रहता है. कांग्रेस के एक अन्य नेता राजीव सातव जो राहुल खेमे के माने जाते ने तो यहाँ तक कह दिया था कि पुराने और उम्रदराज कांग्रेसी नेताओं में अब लड़ाइयां लड़ने की क्षमता ही खत्म हो गयी है. 

उस समय भी वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कांग्रेसियों को भाजपा के लोकप्रिय नेताओं की सख्त आलोचना से बचने की हिदायत दी थी.

इसके अलावा जयराम रमेश और शशि थरूर जैसे नेता भी कई बार सलाह दे चुके हैं कि प्रधानमंत्री पर अनावश्यक टिप्पणियों से कांग्रेस को बचना चाहिए.

टीकाकारों को लगता है कि कांग्रेस में पीढ़ियों के टकराव अब मुखर होने लगा है. दबी जबान से ही सही, एक गुट अब यह मानने लगा है कि प्रधानमंत्री पर तल्ख टिप्पणियां कांग्रेस का नुकसान कर रही हैं. दूसरी ओर राहुल गांधी और उनके अधिकतर युवा साथी अब यह मानने लगे हैं कि बिना सख्त रुख अपनाए भाजपा से नही लड़ सकते और इसलिए अपने ही वरिष्ठ नेताओं को भी आड़े हाथों लेने से वह गुरेज नही कर रहे हैं. 

 

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