जानिए भारतीय सेना ने चीन के साथ मुठभेड़ के क्या नियम नियम बदले
(मीडिया स्वराज़ डेस्क)
भारत सरकार ने चीन के साथ लगी 3488 किलोमीटर लंबी सीमा पर मुठभेड़ और हिंसक झड़प को देखते हुए नियमों में बदलाव किया है। सरकार ने भारतीय सेना को यह अधिकार दे दिया है कि ‘अभूतपूर्व परिस्थितियों’ पर अब वह आग्नेय हथियारों का इस्तेमाल भी कर सकती है। बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के साथ मुलाकात के बाद नियम बदलने की मंजूरी दी है।
ज्ञात हो कि 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच LAC के पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी के आसपास हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत की ओर से 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर, कर्नल संतोष बाबू सहित 20 सैनिक शहीद हो गए और 76 सैनिक घायल हुए थे। साथ ही चीन की तरफ भी कई जवानों के मारे जाने की खबर है, जिसका उसने अब तक खुलासा नही किया है।
भारत और चीन के बीच 1996 और 2005 में हुए समझौतों के अनुसार LAC के दोनों तरफ 2 किलोमीटर के क्षेत्र को आग्नेय हथियारों से निषिद्ध किया गया था। इसके पीछे मंशा थी कि सैनिकों के बीच होने वाली झड़पें दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे माहौल को न बना सकें, और सीमा पर शांति बनी रहे। गलवान घाटी की उक्त झड़प में भी स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल नही किया गया किंतु लोहे की कटीली तारों से बने डंडा नुमा उपकरणों और पत्थरों से भारतीय सैनिकों पर हमला किया गया था, जिसका उन्होंने उसी भाषा मे जवाब भी दिया।
पूर्व आर्मी प्रमुख और वर्तमान सरकार में मंत्री जनरल वी के सिंह ने नियम बदलने पर कहा, “मुझे खुशी है कि चीन के साथ मुठभेड़ के नियम बदल गए हैं। पिछले कुछ साल से चीन जिस तरह बर्ताव कर रहा था उसे देखते हुए इसे बदलना जरूरी था। इससे हमारे सैनिक जरूरत पड़ने पर सेल्फ डिफेंस कर सकते हैं।”
उधर चीन की समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत के इस निर्णय को उकसावे वाला कदम बताया है, तथा कहा है कि इससे क्षेत्र में स्थिति तेजी से खराब हो सकती है।
इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सरकार ने सेना के तीनों घटकों को हथियार और गोला-बारूद खरीदने के लिए 500-500 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त सहायता भी देने का ऐलान किया है।