Hijab से Bikini तक : #Bikini तक पहुंच गया कर्नाटक का #Hijab विवाद, जानिये कैसे?

ट्वीटर पर #Hijab के साथ साथ अब #Bikini भी ट्रेंड कर रहा है

Hijab से Bikini तक : कर्नाटक का हिजाब (Hijab controversy) विवाद अभी थमा भी नहीं था कि हिजाब अब बिकिनी (Bikini) विवाद तक जा पहुंचा है. ट्वीटर पर हिजाब के साथ साथ अब बिकिनी भी ट्रेंड कर रहा है. बिकिनी पहने लड़कियों को क्लासरूम में ​बैठे या खड़े दिखाया जा रहा है और उस पर तरह तरह के कमेंट किये जा रहे हैं. आखिर क्यों हो रहा है ये सब, आइये जानते हैं…

सुषमाश्री

कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. देश ही दुनिया भर से इस पर लोगों की प्रतिक्रियायें आ रही हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के एक ट्वीट के बाद ​सोशल मीडिया पर हिजाब के साथ साथ अब बिकिनी भी ट्रेंड करने लगा है.

दरअसल, आज सवेरे प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल से ​ट्वीट किया कि बिकिनी हो, घूंघट हो, जींस हो या फिर हिजाब, ये लड़कियों पर निर्भर करता है कि वे क्या पहनना चाहती हैं. #ladkihoonladsaktihoon
लड़की हूं लड़ सकती हूं

प्रियंका गांधी वाड्रा के इस ट्वीट के बाद से सोशल मीडिया पर बिकिनी में लड़कियों की फोटो पोस्ट करने वालों की भीड़ लग गयी. कोई क्लासरूम में लड़कियों को बिकिनी में दिखा रहा है तो कोई प्रियंका से सवाल पूछ रहा है कि क्या लड़कियां स्विमिंग करने के लिये लंबे कपड़े पहन सकती हैं? या फिर बैडमिंटन खेलते हुये लॉन्ग ड्रेस पहनेंगी? अगर ऐसा नहीं है तो फिर वे क्लास रूम में हिजाब पहनकर क्यों आयेंगी? क्लास रूम के लिये स्कूल ड्रेस है, तो आपको उसे ही पहनकर क्लास में जाना चाहिये.

कुछ देश से सवाल कर रहे हैं कि बिकिनी पहनने वाली लड़कियों को तो यहां पद्म पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है लेकिन हिजाब पहन लें तो उन्हें क्लासरूम में बैठने से भी रोका जा रहा है. कुछ पूछ रहे हैं कि क्या ईसाई धर्म को मानने वाली नन की ड्रेस पर भी अंकुश लगाया जायेगा? वहीं, कुछ का कहना है कि अगर लड़कियां खुद को पूरी तरह से ढक कर क्लासरूम में आना चाहें तो इसमें क्या बुरा है? वहीं, कुछ का इस पर कहना है कि हर जगह का एक ड्रेस कोड होता है, जब हम बाकी जगहों पर इसका विरोध नहीं कर पाते तो फिर क्लास रूम में क्यों कर रहे हैं?

बहरहाल, कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद पर अब दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भड़की हिंसा के बाद नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि, हिजाब में लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना भयावह है.

मलाला ने ट्वीट किया- कॉलेज में हमें पढ़ाई और हिजाब के बीच किसी एक का चयन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. हिजाब में लड़कियों को स्कूल जाने से मना करना भयावह है. कम या ज्यादा पहनने के लिए महिलाओं के प्रति एक नजरिया बना रहा है. भारतीय नेताओं को चाहिए कि वे मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर जाने से रोकें.

वहीं, महिला अधिकारों से लिये लड़ने वाली कनाडा की लेखिका Shaparak Shajari zadeh ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट करके कहा, हम किसी ऐसी बात को लेकर जश्न नहीं मना सकते, जो पूरी दुनिया में महिलाओं के दमन के हथियार के रूप में उपयोग किया जाता हो. हिजाब कोई संस्कृति नहीं है और न ही सशक्तिकरण की निशानी है. हिजाब स्त्री द्वेष और यौन भेदभाव का प्रतीक है.

सोशल मीडिया पर हिजाब का मामला लगातार अलग अलग शब्दों के साथ ट्रेंड कर रहा है. कहना गलत न होगा कि हिजाब ने एक ओर धर्म और संस्कृति को लेकर अधिकारों के हनन की बात शुरू कर दी है तो दूसरी ओर महिला अधिकारों की बात को लेकर. कुछ लोग इसे महिला उत्पीड़न से जोड़कर देख रहे हैं तो कुछ अन्य महिला अधिकारों से जोड़कर. कुछ के लिये ये धर्म की राजनीति करने का कारक बन गया है तो कुछ के लिये धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का ​हथियार. लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस तरह की बातें और नफरत की राजनीति देश को किस ओर लेकर जा रही है?

सोशल मीडिया हो या फिर मेन स्ट्रीम मीडिया, हर जगह हिजाब की खबरें ही छायी हुई हैं, खासकर आज पूरे दिन मीडिया में उस कॉलेज छात्रा की तस्वीरें वायरल होती रहीं, जिसने जय श्री राम का नारा देते झुंड में बवाल मचा रहे भगवाधारियों को अकेले ही बुरके में दहाड़कर अल्लाह ओ अकबर के नारे के रूप में जवाब दिया. सोशल मीडिया में उसे दहाड़ लगा रही अकेली शेरनी के तौर पर दिखाया गया है जबकि कई लोग उसकी आलोचना करने में भी जुटे हुये हैं.

हिजाब विवाद की वजह से कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज तीन दिन तक बंद हैं. इन सबके बीच किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं जा रहा कि शिक्षा के मंदिरों की हालत कितनी बिगड़ गयी है कि वहां शिक्षा के अलावा सबकुछ हो रहा है.

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आपको बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट में मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान विभिन्न स्थानों पर हुए विवाद को देखते हुए कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने राज्य के सभी हाई स्कूल और कॉलेजों को 3 दिनों के लिए बंद करने के आदेश दिया था.

मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी दी थी. उन्होंने छात्रों और स्कूल-कॉलेज प्रबंधन से शांति बनाए रखने की अपील भी की थी, लेकिन इसके बावजूद मामला तूल पकड़ता जा रहा है और अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा.

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