गंगा की सहायक नदियों, असि और वरुणा में प्रदूषण पर NGT में हुई सुनवाई
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने अपना पक्ष रखा। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय अधिवक्ता व स्थानीय निवासी सौरभ तिवारी द्वारा वाराणसी में गंगा की सहायक नदी असि व वरुणा के प्रदूषण व अतिक्रमण को लेकर एनजीटी के समक्ष याचिका डाली गयी थी।
रिपोर्ट में असि व वरुणा नदी के उद्गम से लेकर गंगा में संगम तक व्याप्त अतिक्रमण व प्रदूषण को स्वीकार किया गया था व असि व वरुणा नदी को प्रदूषण व अतिक्रमण मुक्त करने हेतु कार्ययोजना सौंपा गया था।
- असि व वरुणा प्रदूषण को लेकर हुई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के समक्ष सुनवाई।
- NGT ने नमामि गंगे को लगायी फटकार।
- नमामि गंगे की तरफ से असि व वरुणा नदी की सफाई व अतिक्रमण हटाने का कार्य दो चरणों में पूरा करने का भरोसा दिया गया।
वाराणसी/दिल्ली: वाराणसी में गंगा की महत्वपूर्ण सहायक नदी असि व वरुणा में व्याप्त अतिक्रमण व प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष मंगलवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने अपना पक्ष रखा। गौरतलब है कि उच्च न्यायालय अधिवक्ता व स्थानीय निवासी सौरभ तिवारी द्वारा वाराणसी में गंगा की सहायक नदी असि व वरुणा के प्रदूषण व अतिक्रमण को लेकर एनजीटी के समक्ष याचिका डाली गयी थी।
सुनवाई के दौरान नमामि गंगे को गंगा प्रदूषण को लेकर एनजीटी द्वारा फटकार लगायी गयी।
एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ नें कहा कि गंगा एक्सन प्लान विफल रहा और अब भी आपलोग नहीं चेत रहे। जनता का पैसा खूब खर्च हो रहा लेकिन स्थिति नहीं बदल रही।
अधिकारी कुछ भी रिपोर्ट लगा देते हैं व दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में दोषी अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान नमामि गंगे द्वारा बताया गया कि असि व वरुणा नदी की पुनरुद्धार व पुनर्स्थापन का कार्य दो चरणों में किया जाएगा।
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इसपर एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल द्वारा कहा गया कि जो 230 पेज की रिपोर्ट जमा की गयी आपके द्वारा उसमें तो आपने पाँच वर्ष का समय असि व वरुणा नदी के पुनरुद्धार हेतु माँगा है।
इसपर नमामि गंगे के वकील नें एनजीटी बेंच को बताया कि अगले वर्ष के अंत तक हम असि व वरुणा नदी को प्रदूषण व अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में अधिकतर कार्यों को पूरा कर लेंगे।
साथ ही असि व वरुणा नदी के गंगा में संगम से लेकर पाँच किलोमीटर पहले तक बायोडायवर्सिटी पार्क भी बनेगा।
एनजीटी बेंच ने नमामि गंगे के अधिवक्ता से कहा कि आपने तो वरुणा नदी को एकदम बड़े नाले में तब्दील कर दिया है।
गौरतलब है कि एनजीटी द्वारा गठित स्वतंत्र जाँच समिति जिसमें केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नमामि गंगे व जिलाधिकारी, वाराणसी तथा स्वतंत्र नदी विशेषज्ञ प्रो. सी. आर बाबू तथा प्रो. ऐ.के. काजमी शामिल थे। उन्होंने अगस्त में 230 पन्नों की रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी।
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