मुख्यमंत्री योगी के शहर गोरखपुर मेडिकल कालेज में अफ़सर की मौत से व्यवस्था पर अनेक सवाल

" CM साहब की  वीडियो मीटिंग में यहाँ के ज़िम्मेदार रोज़ झूठ बोलते थे"

मांकेश्वर पाण्डेय 

आज की सुबह नहीं हो रही है, मैं पूरी रात सो नहीं सका, बार बार संजय शर्मा जी मेरी स्मृतियों में आते रहे, 10जुलाई दिन शुक्रवार को रात 10बजे मैं बीआरडी मेडिकल कालेज में कोरोना मरीज़ के रूप में भर्ती होने पहुँचा, ward -4 में सिर्फ़ ३ मरीज़ थे ,मैं चौथा था, तभी मेरी नज़र अपने बग़ल के मरीज़ पर पड़ी, मैंने उन्हें देखते ही कहा, संजय भैया, आप भी ? 

 मेरी आवाज़ सुनकर वे भी आश्चर्य से मुझे देखे तथा कहा कि आप भी आगये?,फ़िर उन्होंने विस्तार से मुझे बताया कि आज कमिश्नर कार्यालय में सबका CovidTest हूया, बाक़ी staff Negative आया, पर अकेले वे ही positive आयें है,सीधे office से वें यहाँ भर्ती हुएँ है, उन्होंने कहा कि चलिये इसी बहाने से १२ दिन आराम रहेगा,फ़िर इधर उधर की बातें हुईं, बाथरूम की गंदगी की चर्चा हुईं, उसके सुधार हेतु उन्होंने BRD प्रशासन से बात की, फ़िर हम दोनो सो गये,.

Sanjay Sharma

रात में क़रीब १२ नये मरीज़ और ward-४ में आ गये, दूसरे दिन हम दोनो लोग अपने अपने सम्पर्क से hospital की गंदगी, मरीज़ों की देखभाल में सुधार हेतु प्रयास जारी रखें हुए थे, इस बीच उन्होंने प्रयास कराकर अपने पत्नी, बेटियों एवं माँ पिता की Covid जाँच करायीं, जिसमें उनकी पत्नी एवं एक बेटी positive आयी.

हम दोनो ने विचार किया, मैंने उन्हें कहा कि आप उन दोनो को यही बुला लें, साथ रहेंगे , शायद ईश्वर अंतिम समय में पति पत्नी को एक साथ १० दिनों हेतु रखनाचाहता था, वे sugar के मरीज़ थे, उनकी पत्नी एवं बिटिया भी ward-४ में आ गयी, वे काफ़ी उत्साहित लग रहे थे, रविवार की सुबह उन्होंने मुझसे कहा कि हम दोनो एक साथ भर्ती हुए हैं, एक ही दिन हम लोग साथ यहाँ से स्वस्थ होकर घर चलेंगे, मैंने उनकी बात पर स्वीकृत दी.

Yogi Adityanath in his office

 पर BRD की व्यवस्था पर हम दोनो अपनी नाराज़गी बता रहे थे, उन्होंने कहा कि CM साहब की  वीडियो मीटिंग में यहाँ के ज़िम्मेदार रोज़ झूठ बोलते थे, यहाँ आकर मुझे दिख रहा है, मैं उन कमियों को कमिश्नर साहब से बताता हूँ कि सच्चाई क्या है,?

 पर BRD की व्यवस्था पर हम दोनो अपनी नाराज़गी बता रहे थे, उन्होंने कहा कि CM साहब की  वीडियो मीटिंग में यहाँ के ज़िम्मेदार रोज़ झूठ बोलते थे, यहाँ आकर मुझे दिख रहा है, मैं उन कमियों को कमिश्नर साहब से बताता हूँ कि सच्चाई क्या है,?

रविवार को दोपहर में मुझे साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी, तो मैंने BRD में कहकर अपने को आईसीयू में शिफ़्ट कराया. ward की हालत बेहद ख़राब थी, ना तो वहाँ मरीज़ों का बुख़ार, बीपी, sugar इत्यादि का नियमित जाँच होती थी, और न ही कोई रक्त जाँच की जा रही थी, बस आप अपने Bed पर रहें ,नाश्ता खाना मिल रहा था. पर कोई डाक्टर ward में नहीं रहता है, सिर्फ़ २४ घंटे में एक बार round के लिये आता है, ward में नर्सें अपनी कुर्सी पर बैठकर सिर्फ़ फ़ाइल लिखती है तथा बूया( सफ़ाईकर्मी) मरीज़ों के निकट जाकर उनका २४ घंटे में एक बार oxygen leval चेक करते है, यही दवा भी देते है , इन सारी कमियों पर उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया था.

मैं आईसीयू में चला गया, वहाँ मैं बुधवार तक था, वहाँ की भी दशा सोचनीय ही थी, पर वहाँ डाक्टर मित्तल साहब का एक बार आगमन होता था ,उन्होंने मुझे आईसीयू से ward में भेजने का निर्णय लिया ताकि आईसीयू में अन्य मरीज़ों हेतु जगह बने, मैंने मित्तल साहब से कहा कि मुझे वें ward-४ में भेज दें,क्योंकि मैं संजय शर्मा जी के साथ रहना चाहता था, मैं ward-४ में गया तो उसदिन वहाँ कोई Bed नहीं ख़ाली था, तो मुझे ward-३ के Bed -5 पर भेजा गया, मैं दूसरे दिन संजय भाई से मिलने गया तो उनकी पत्नी मिली, मैंने उनका ,बेटी का हालचाल पूछा तथा संजय जी के बारे में कहा कि वेकहाँ है, तब उनकी पत्नी ने बताया कि वे आईसीयू में भर्ती हो गये है, कुछ साँस लेने में यहाँ तकलीफ़ हो रही थी ,.मैंने उनकी पत्नी को साहस देते हुए कहा कि कोई चिंता की बात नहीं है,दो -तीन दिनो में ward में आ जायेंगे.

फ़िर रोज़ाना उनकी पत्नी से हाल चाल लेता रहा, उस ward में भर्ती सुनील केशरवानी जी से भी उनके बारे में पूछता रहा, अचानक कल रात परिवार से घर फ़ोन परबात कर रहाथा कि सिटी वन चैनल के मालिक अमित वर्मा जी का फ़ोन आया कि uncle, संजय जी के बारे में क्या खबर आ रही है ? मैंने पूछा क्या हूया ? तब उन्होंने बताया कि उनका देहांत हो गया है , मैं अवाक था, तुरंत सामने ward-४ में भाग कर गया तो वहाँ सूचना सही मिली, संजय शर्मा जी नहीं रहे थे.

उनकी पत्नी एवं बिटिया भी ward मेंनहीं थी, मुझे संजयजी की १० जुलाई का वादा याद आ रहा था , जो उन्होंने मुझसे किया था कि हम दोनो साथ ही BRD से छुट्टी प्राप्तकरेंगे, पर वे मुझे छोड़ कर अकेले अनंत की यात्रा पर चले गये।कोरोना बीमारी से वे मृत्यु को प्राप्त हुए, पर मुझे लगता है कि व्यवस्था के निकम्मेपन ने उन्हें मार डाला, जो व्यक्ति स्वयं व्यवस्था को जानता था, उसके सबसे नज़दीक था, वह भी चक्रवूह को नहीं तोड़ सका, तो आम गरीब आदमी की क्या औक़ात है ?

पर क्या सरकार , प्रशासन , चिकित्सा तंत्र येसे ही चलेंगे, क्या कोरोना बीमारी सिर्फ़ data का ही अध्याय होगा, कितने आये, कितने गये ?, क्या मरीज़ों की पूरी जाँच पड़ताल प्रति ward में नहीं होनी चाहिये , क्या एक डाक्टर लगातार ward में बारी बारी से नहीं होना चाहिये, क्या मरीज़ों की आवश्यक रक्त जाँच ward में नहीं होना चाहिये, मरीज़ के मौत पर BRD के PG students को रिसर्च नहीं करना चाहिये, ताकि अगले मरीज़ की मौत तक व्यवस्था सुधर सके, इन प्रश्नों  के अलावा अन्य कई प्रश्न इन १३ दिनो में मेरे पास साक्ष्य के साथ है, जिन्हें मैं अब सीधे माननीय मुख्यमंत्री जी को दूँगा क्योंकि अब वे ही उम्मीद की अंतिम किरण है, संजय शर्मा जी, मैं आपका बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दूँगा , यह मेराआपसे वादा है।-

 

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