गोंडा की अनामिका शुक्ला कैसे शिक्षा माफिया की धोखाधड़ी का शिकार हुई
(मीडिया स्वराज डेस्क, लखनऊ)
आखिरकार अनामिका शुक्ला मिल ही गईं. विगत दिनों उत्तर प्रदेश में सामने आए इस चौंकाने वाले केस ने प्रशासन से लेकर मीडिया जगत तक को हैरत में डाल रखा है। खबरों के अनुसार 25 अलग अलग ‘कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों’ में एक साथ पढ़ाने वाली अनामिका शुक्ला ने एक साल में लगभग 1 करोड़ रुपये तनख्वाह के रूप में पाए थे।
इस मामले में नाटकीय मोड़ कल उस समय आया, जब एक महिला, स्वयं के अनामिका शुक्ला होने का दावा करते हुए, गोंडा जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास उपस्थित हुई और शिकायत दर्ज कराई कि उसके शिक्षा संबंधी दस्तावेजों के साथ अलग-अलग जिलों में कई लोगों ने हेराफेरी की है.
शिकायत के अनुसार, उसने साल 2017 में, 5 जिलों, जौनपुर, मीरजापुर, लखनऊ, सुल्तानपुर और बस्ती में विज्ञान शिक्षिका के पद के लिए आवेदन किया था. किंतु व्यक्तिगत कारणों से वह कहीं भी कॉउंसलिंग के लिए नही पहुँच पाई थी. उसने सभी प्रमाणपत्र और दस्तावेज इन जिलों में भेज दिए थे, किंतु नौकरी नही करने की स्थिति में वापस नही मंगाए. शायद उसके इन्हीं कागजों के बल पर इन जिलों में अन्य लोगों को नौकरी दे दी गयी. उसने दावा किया कि 25 तो दूर की बात है, उसने एक भी विद्यालय में कभी काम नही किया, वह आज भी बेरोजगार है.
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में कुल 746 कस्तूरबा गांधी विद्यालय हैं जो शिक्षकों को सालाना तौर पर अनुबंधित करते हैं. इस साल मार्च के महीने से ही इस मामले को लेकर तरह तरह के सवाल उठने शुरू हो गए थे किंतु संबंधित विभागों की नींद तब टूटी जब पिछले एक सप्ताह से विभिन्न समाचार पत्रों ने प्रमुखता से इस गोरखधंधे को उजागर करना शुरू किया.
गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी इंद्रजीत प्रजापति, उक्त महिला के उनके समक्ष उपस्थित होने और ओरिजिनल दस्तावेज व उनकी फोटोकॉपी दिखाए जाने की तस्दीक करते हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि प्रस्तुत किये गए प्रमाणपत्रों के आधार पर यही लगता है कि अनामिका शुक्ला विवाहित और घरेलू महिला हैं जो कहीं भी किसी तरह के रोजगार में लिप्त नहीं है. “कागजों के साथ हुई धोखाधड़ी के उनके आरोपों और शिकायत को संज्ञान में लेते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी गईं हैं”
अनामिका के अकादमिक रिकॉर्ड बताते हैं कि उनकी सारी शिक्षा दीक्षा गोंडा जिले में ही हुई है। हाई स्कूल से लेकर स्नातक और बीएड की परीक्षा तक वह टॉपर रहीं हैं। अच्छे नंबरों वाले सर्टिफिकेटों ने ही शिक्षा माफिया को आकर्षित किया. उनके प्रमाणपत्रों के आधार पर जाली दस्तावेज बना कर, विभिन्न जिलों में अलग अलग लोग अनामिका शुक्ला बन कर नौकरी करने लग गए. जबकि असली अनामिका आजतक बेरोजगार हैं.
स्कूली शिक्षा के महानिदेशक विजय करन आनंद ने भरोसा दिलाया कि प्रशासन मामले को गंभीरता से ले रहा है अनामिका के स्टेटमेंट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी और जल्द ही वास्तविक अपराधी पकड़े जायेंगे. उन्होंने यह भी बताया कि मामले के संज्ञान में आते ही उन्होंने खुद 11 मार्च को विभिन्न जनपदों के सहायक शिक्षा निदेशकों को इसकी सूचना दी थी और कहा था कि शीघ्रता से इसकी जांच की जाए किंतु लॉक डाउन की वजह से जांच पूरी न हो सकी थी.
कल हुई एक प्रेस ब्रीफिंग में अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह सचिव अवनीश अवस्थी ने इस गलती को स्वीकारते हुए कहा कि “इस मामले में एक चूक यह हुई है कि कार्यवाही मार्च में पूरी हो जानी चाहिए थी”. उन्होंने आश्वस्त किया कि मामले में एक भी अपराधी बच नही पायेगा.
प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने जानकारी दी कि कुल 9 जिलों में फर्जी अनामिका शुक्ला चिन्हित की गई हैं. अपनी सरकार की प्रशंसा में, और विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने दावा किया कि योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद ही इस तरह के फर्जीवाड़े उजागर हो पाए हैं.