गंगा में पड़े शव दूर तक संक्रमण फैलायेंगे


गंगा नदी में जगह – जगह बहते शवों को लेकर काशी हिन्दू विश्व विद्यालय बीएचयू के डाक्टरों ने चिंता जाहिर की है। बीबीसी के पूर्व संवाददाता से रामदत्त त्रिपाठी के साथ संयुक्त संवाद में विद्वानों ने इसकी निंदा करते हुए जनजीवन के लिए खतरा बताया है।
विद्वानो ने एकमत से कहा कि यह सोचना गलत है कि शव को गंगा में बहा देने से संक्रमण समाप्त हो जायेगा.

क्षमता से अधिक गंदगी डालने पर शुद्धिकरण की प्रक्रिया बैक्टीरियोफाज भी रुक जायेगी . गंगा में पड़ा शव संक्रमण को दूर – दूर तक फैलाने का माध्यम बन जायेगा। कोई आचमन करेगा सिर पर पानी झिड़केगा तो भी संक्रमित हो जायेगा। गंगा जी में जो हम अनसाइंटिफिक तरीके से हम काम कर रहे हैं इससे बहुत सी बीमारियां फैल रहीं हैं।

हमारे मन में जो गंगा जी के प्रति श्रद्धा है उसको बनाये रखने के लिए काम करें। हमारी हिंदू संस्कृति में स्वच्छता की बात कही गयी है। इसका ध्यान रखें तो गंगा स्वत: स्वच्छ हो जायेगी।

याद दिला दें हाल ही में उन्नाव से लेकर बक्सर तक बड़ी संख्या में कोविड-19 से मरने वालों के शव गंगा में उतराते पाये गये थे . चर्चा है कि बहुत से शव एम्बुलेंस से लाकर गंगा में फेंके गये . बड़ी संख्या में शव गंगा किनारे रेत में दफना दिये गये .

अंतिम संस्कार में स्वच्छता का महत्व

गंगा के बहाने भारतीय संस्कृति में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में स्वच्छता पर प्रकाश डालते हुए वैद्य सुशील कुमार दूबे ने भारतीय संस्कृति और क्वारंटाइन विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में परिवार में मृत्यु होने पर दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति और उसके परिवार को 12 दिन क्वारंटाइन किया जाता है। बच्चा पैदा होने पर भी 12 दिन अलग किया जाता है। दाह संस्कार करते समय हमारे बाल भी क्लीन किया जाता है जिससे संक्रमण की सभी संभावनाओं पर रोक लग जाती है।

गंगा पर चर्चा में बीबीसी के पूर्व संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी ने कहा कि गंगोत्री का जल अब बनारस तक नहीं आ रहा है। वह पानी नरौरा तक खत्म हो जाता है। यह पानी दिल्ली और अन्य जगहों पर सिंचाई के लिए भेज दिया जाता है। इसलिए गंगा अब यूपी में न के बराबर बची रह गई हैं। इसमें यमुना सहायक नदियों और शहरों के सीवर का पानी ही बचा हे।

डॉ आर अचल ने संवाद के समापन में कहा कि जो लोग नदी को केवल नदी मानते हैं उनकी नदियां साफ हैं और गंगा को मां मानने वाले गंगा को गंदा कर रहे हैं।

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