भारत के लिए सभी विद्याओं में किसान विद्या श्रेष्ठ

मजदूरी के क्षेत्र में ब्रह्मविद्या का प्रवेश कराना युग की मांग: सुश्री चेनम्मा

शाहजहांपुर 25 अगस्त। इस देश के लिए सभी विद्याओं में किसान विद्या श्रेष्ठ है। उसके साथ दूसरी विद्या की तुलना नहीं हो सकती। इसलिए सभी को किसानी आना चाहिए। महाभारत में युद्धक्षेत्र में ब्रह्मविद्या दी गयी। आज मजदूरी के क्षेत्र में ब्रह्मविद्या का प्रवेश कराने की आवश्यकता है।विनोबा जी ने अपना जीवन मजदूर के समान व्यतीत किया और समाज को श्रेष्ठ आध्यात्मिक साहित्य प्रदान किया।
उक्त विचार ब्रह्मविद्या मंदिर की अंतेवासी श्री चेनम्मा बहन ने विनोबाजी की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विनोबा विचार प्रवाह कीफेसबुक माध्यम पर चल रही अंतर्राष्ट्रीय संगीति में व्यक्त किए।

सुश्री चेनम्मा बहन ने कहा कि भूदान आंदोलन के दौरान विनोबा जी ने कर्नाटक में घूमने का आदेश दिया। इस दौरान एक गांव में जाने का अवसर मिला। वहां कुछ लोगों के पास जमीन थी और अनेक लोग बेजमीन थे। वहां के मुखिया से चर्चा करके बेजमीनों को जमीन देने की बात कही। मुखिया ने एक निश्चित दिन और समय दे दिया। गांव में जाने का रास्ता भटक गए। तब मुखिया जी बीच में बैलगाड़ी लिए मिल गए। जब उनसे कहा कि बेजमीनों को जमीन आज मिलना चाहिए। तब मुखिया ने कहा कि उन्हें घर बनाने के लिए मिट्टी लेने जंगल में जाना है। तब चैनम्मा बहन और उनकी साथी लक्ष्मी बहन ने कहा कि जंगल से मिट्टी हम खोदकर लाएंगे। उनकी दो अन्य साथी महादेवी ताई और मीरा बहन को मुखिया के साथ भेज दिया। मुखिया ने बैलों की रस्सी चेनम्मा बहन को पकड़ा दी। जंगल से मिट्टी खोदकर बैलगाड़ी में रखकर मुखिया के घर पर ले आए। पूरा ग्रामीण समाज उन्हें देखने लगा। शाम तक बेजमीनों को जमीन देने का काम पूरा हो चुका था। मिट्टी खोदते समय भजन भी गाते थे और नार भी लगाते थे सबै भूमि गोपाल की नहीं किसी की मालकी। चेनम्मा बहन ने कहा कि विनोबा जी ने कर्नाटक में जयजगत और ग्रामस्वराज्य का मंत्र दिया।

जब विनोबा जी धूलिया जेल में थे, तब उन्होंने अपने लिए जेलर से काम मांगा। विनोबा जी ने जेल में आठ घंटे चक्की चलाकर गेहूं पीसने का काम किया। धूलिया जेल के कैदियों ने विनोबा जी से ज्ञान देने की बात कहीं। तब विनोबा ने रविवार का दिन चुना और गीता पर प्रवचन दिए। एक तरफ मजदूरी और दूसरी ओर ब्रह्मविद्या पर प्रवचन। इसे साने गुरुजी ने लिखा और अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ। इससे कई लोगों के जीवन में परिवर्तन आया।

इस देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार गाय और बैल हैं। विनोबा जी ने गोरक्षा के लिए उपवास किया। सुश्री चेनम्मा बहन ने भजन के साथ अपने वक्तव्य को समाप्त किया।

प्रेम सत्र के द्वितीय वक्ता हिमाचल प्रदेश के श्री अव्यक्त जी ने कहा कि तीन पीढ़ी तक विनोबा जी का विचार नहीं पहुंचने से राष्ट्र की क्षति हुई है। विनोबा जी को राजनीतिक संत कहकर बौद्धिक वर्ग ने उनकी उपेक्षा की है। यदि हमें महात्मा गांधी को समझना है तो विनोबा की दृष्टि से देखना होगा। गांधीजी के शेष कार्य को आजादी के बाद विनोबा ने ही जन-जन तक पहुंचाया। उनके शिक्षण विचार को किसी पाठ्यक्रम में स्थान नहीं दिया गया है। यदि आजादी के बाद उनके शिक्षण विचार को शिक्षा में शामिल करते तो परिदृश्य भिन्न होता।

विनोबा जी ने राजनीति और मजहब के गठजोड़ को विनाशकारी निरूपित किया है। उसके स्थान पर विज्ञान और अध्यात्म की समन्वय पर बल दिया। श्री अव्यक्त ने कहा कि विनोबा जी का जयजगत का विचार दुनिया को युद्ध की विभीषिका से बचा सकता
है। उनकी एक-एक बात सीधे हृदय का स्पर्श करती है। राजनीति के स्थान पर उन्होंने लोकनीति व्यवस्था प्रस्तुत की।

जब गांधीजी ने विनोबा जी को एकादश व्रतों की सूची भेजी थी, तब विनोबा ने यही विचार किया कि गांधीजी पूरी मनुष्य सभ्यता को अनेक प्रकार की गुलामियों से मुक्ति दिलाने आए हैं। महापुरुषों के बताए मार्ग पर नहीं चलने से समाज के विकास की गति रुक जाती है।

करुणा सत्र के वक्ता श्री रामकुमार मंडल ने कहा कि बिहार में विनोबा जी ने भूदान, ग्रामदान, बिहार दान जैसे सफल प्रयोग किए। संचालन
श्री संजय राय ने किया। आभार श्री रमेश भैया ने माना।

डाॅ.पुष्पेंद्र दुबे

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