यह कॉफिन फादर स्टेन सामी का नहीं, भारतीय न्याय व्यवस्था का है

स्टेन सामी की शहादत अंत नहीं हैं

यह कॉफिन फादर स्टेन सामी का नहीं, भारतीय न्याय व्यवस्था का है। सामी माकूल इलाज के अभाव में गुजर गए। फादर स्टेन स्वामी का अंतिम संस्कार पवित्र मिस्सा समारोह बांद्रा के संत पेत्रुस गिरजाघर में भारतीय समय शाम 4 बजे संपन्न किया गया। पवित्र मिस्सा को ऑनलाइन प्रसारित किया। समारोह के मुख्य याजक मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ओस्वाल्ड ग्रेसियस थे। मुम्बई में उनकी दाह संस्कार किया जाएगा और पवित्र अवशेष को राँची और जमशेदपूर लाया जाएगा। फादर की मौत पर सारी दुनिया में रोष है लेकिन हमारा तंत्र इससे बेपरवाह  असहम-स्वरो को कुचलने में कोई कोताही नहीं बरत रहा .

सनद रहे पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ था।एल्गार परिषद ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था इस दौरान कार्यक्रम में हिंसा भड़क उठी थी। इस मामले में माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें से एक स्टेन स्वामी भी थे।  हालांकि वास्तविकता तो यह है कि फादर स्टेन सामी कभी भीमाकोरे गांव गए ही नहीं थे।  इस मामले में फंसाए गए अधिकांश लोगों पर आरोप का आधार उनके कम्पयूटर में मिली ऐसी सामग्री है जिससे  इन सभी अभियुक्तों के नक्सली संबंध और  प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश उजागर होती है। इस मामले की जांच केंद्र सरकार की पालतू राजनीतिक एजेंसी एनआईए कर रही है। एन आई ए  द्स दावे की पोल खोल्ती एक रिपोर्ट ६ जुलाई के वाशिंग्टन पोस्ट में छपी है  जिसमे अमेरिका में मैसाचुसेट्स की डिजिटल फोरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग ने बताया है कि डिजिटल रिकॉर्डस और ईमेल की जांच करने के बाद पाया है कि किसी हैकर ने कंप्यूटर को हैक कर आपत्तिजनक सामग्री डाल दी थी। 

काफी पहले मैंने इस बारे में लंबी पोस्ट लिखी थी कि किस तरह आपकी कई निजी जानकारियों तक पहुंच रखने वाली सरकार आपके कंप्यूटर पर मैलवेयर डालकर फंसा सकती है।  इस मामले में डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल की यह तीसरी रिपोर्ट है। पिछली रिपोर्ट में भी यही सामने आया था कि रोना विल्सन के लैपटॉप में हैकर्स ने 30 आपत्तिजनक फाइलें डाल दी थीं। आर्सेनल की रिपोर्ट के मुताबिक गाडलिंग के कंप्यूटर में नेटवायर नाम का मैलवेयर 2 साल से था। इसमें यह भी कहा गया है कि हैकर ने एक ही सर्वर का इस्तेमाल करते हुए ईमेल के ज़रिए मैलवेयर पहुंचाए और आपत्तिजनक सामग्रियां डालीं। जाहिर है कि कुछ बुद्धिजिवियो को फांसने की चाल भारतिय एजेंसी लम्बे समय से कर रही थी.ऐसे फर्ज़ी मामले में देश ने एक सम्वेदंशील  जनाधिकार कार्य्कर्ता खो दिया. 

स्टेन सामी की शहादत  अंत नहीं हैं ‌— भीमा कोरेगांव केस में वरवर राव का इलाज चल रहा है। गौतम नवलखा को चश्मा मिलने में दिक्कत हुई। सुधा भारद्वाज का स्वास्थ्य बहुत खराब है। जब सुप्रीम कोर्ट कहती है कि जमानत , अभियुक्त का अधिकार है लेकिन जिला अदालत तो दूर , एपेक्स कोर्ट यू ए पी ए की चार्ज शीट को पढ़े बगैर जमानत नकार रहे हैं। दिल्ली में यू ए पी ए की हाई कोर्ट के दो जजों ने समीक्षा कर दी तो सारी सरकार पीछे लग गयी।

स्टेन सामी की शहादत  अंत नहीं हैं ‌— भीमा कोरेगांव केस में वरवर राव का इलाज चल रहा है। गौतम नवलखा को चश्मा मिलने में दिक्कत हुई। सुधा भारद्वाज का स्वास्थ्य बहुत खराब है। जब सुप्रीम कोर्ट कहती है कि जमानत , अभियुक्त का अधिकार है लेकिन जिला अदालत तो दूर , एपेक्स कोर्ट यू ए पी ए की चार्ज शीट को पढ़े बगैर जमानत नकार रहे हैं। दिल्ली में यू ए पी ए की हाई कोर्ट के दो जजों ने समीक्षा कर दी तो सारी सरकार पीछे लग गयी।

आखिर जब जॉच हो गयी तो न्यायिक हिरासत का अर्थ क्या है? क्षमता से कई गुना अधिक कैदियों से भरे जेल जहां शौच या भोजन या मेडिकल जैसी न्यूनतम सुविधा नहीं, जहां कभी कोई न्यायिक अधिकारी जा कर नहीं देखता कि उसकी हिरासत में बन्द लोग मानव होने के न्यूनतम हक़ से भी महरूम हैं।

स्टेन सामी न ख़ुद खा पाते थे, न बोल पा रहे थे न चल पाते थे। वे अदालत को कहते रहे कि वे इस कारावास की अव्यवस्था में मर जायेंगे लेकिन अदालत को इस 84 साल के अशक्त को जमानत देने पर समाज के लिए खतरा दिख रहा था।

स्टेन सामी न ख़ुद खा पाते थे, न बोल पा रहे थे न चल पाते थे। वे अदालत को कहते रहे कि वे इस कारावास की अव्यवस्था में मर जायेंगे लेकिन अदालत को इस 84 साल के अशक्त को जमानत देने पर समाज के लिए खतरा दिख रहा था।

फादर स्टेन सामी की न्यायिक अभिरक्षा में हत्या ने यू ए पी ए मामलों में समयबद्ध जांच, चार्जशीट व ट्रायल का समय सीमा निर्धारित करने, जमानत प्रावधान और निर्दोष होने पर जॉच अधिकारी को व्यक्तिगत दोषी मान कर जुर्माना जैसे मसलों पर देश व्यापी बहस का अवसर दिया है।

पंकज चतुर्वेदी,

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