कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का दिल्ली मार्च

किसान नेताओं के साथ एक चर्चा

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों  और प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी बिल, 2020 के खिलाफ किसानों का आंदोलन तेज हो गया है। 

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के हजारों किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए कूच कर दिया है। 

किसान संगठनों की अगुवाई करने वाले ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) की ओर से जारी ताजा बयान में कहा गया है कि करीब 2 लाख से ज्यादा किसान समूचे भारत से दिल्ली चलो नारे के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 

किसान नेताओं ने कहा है कि वे अनिश्चितकालीन धरने की तैयारी कर रहे हैं, हालांकि अगला निर्णय 3 दिसंबर, 2020 को लिया जाएगा। इसी तारीख को पंजाब के करीब 32 किसान समूह संगठनों के अगुवाकार केंद्र सरकार के आला अधिकारियों व अन्य से बातचीत करेंगे।

यह सभी 32 किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े हुए हैं, जिससे पूरे भारत में 470 किसान संगठन जुड़े हुए हैं। 

क्रांतिकारी किसान संघ के अध्यक्ष दर्शन पाल सिंह ने कहा कि हम 2 दिसंबर, 2020 तक धरना देते रहेंगे। कई इलाकों से किसान ट्रैक्टर व अन्य साधनों के जरिए दिल्ली की तरफ आ रहे हैं। राशन, ईंधन और बैठने के लिए गद्दों का इंतजाम भी किसानों के साथ है। हमें हर कोने से सहयोग मिल रहा है। कई चिकित्सकों ने भी कहा है कि वे किसानों के लिए मेडिकल कैंप लगाएंगे।

24 नवंबर, 2020 को भी पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली की तरफ डेरा डालने के लिए कूच किया था लेकिन हरियाणा में पुलिस ने इन किसानों के साथ चल रहे नेताओं को हिरासत में ले लिया था। 

हरियाणा पुलिस ने किसान रैली को देखते हुए 25 नवंबर को बॉर्डर इलाकों में कई जगह बैरीकेडिंग की है। वहीं वाटर कैनन भी रखे गए हैं ताकि किसानों को तितर-बितर किया जा सके। हाई-वे पर धारा 144 भी लगाई गई है। 

दिल्ली पुलिस ने भी किसानों को जंतर-मंतर पर एकत्र होने के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया है। 

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