किसान आंदोलन : 22 को मुंबई में अंबानी,अडानी के दफ्तर पर प्रदर्शन
नए कृषि कानून पर सरकार और किसानों के बीच अब आर-पार की लड़ाई होती दिख रही है। किसान संगठन जहां कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर कायम है वहीं आज सरकार की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तरह से साफ कर दिया हैं कि तीनों कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए लाए गए है और सरकार इनको किसी भी सूरत में वापस नहीं लेगी।
मध्यप्रदेश के किसानों को दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों के विरोध के पीछे विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया है। पूरे किसान आंदोलन के पीछे विपक्ष की भूमिका बताने के बाद अब किसान संगठन और आक्रामक हो गए हैं।
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किसान आंदोलन की अगुवाई कर रही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने प्रधानमंत्री के किसान आंदोलन को विपक्ष से जोड़ने को देश के किसानों के खिलाफ खुला हमला बताया है।
किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाली किसान संघर्ष समन्वय समिति ने प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद एक बयान जारी कर कहा कि खेती के तीन नये कानून जो किसानों की जमीन व खेती पर पकड़ समाप्त कर देंगे और विदेशी कम्पनियों व बड़े व्यवसायियों को बढ़ावा देंगे,की समस्या को सम्बोधित करने की जगह प्रधानमंत्री ने अपनी हैसियत एक पार्टी नेता की बना दी है और देश के जिम्मेदार कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका का अपमान किया है।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री के समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद होने की बात कहने पर एआईकेएससीसी ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को जानकारी होनी चाहिए कि जहां धान का एमएसपी 1870 रुपये है वहां किसान उसे 900 रुपये पर बेचने के लिए मजबूर हैं।
एआईकएससीसी ने किसान आंदोलन और तेज करने का एलान करते हुए कहा कि 22 दिसंबर को मुंबई में अंबानी और अडानी के कार्यालय पर किसान प्रदर्शन करेंगे।
इसके समिति किसान आंदोलन में अब तक मारे गए किसानों को याद करने के लिए 20 दिसम्बर को श्रद्धांजलि दिवस की तैयारी कर रही हैं जो एक लाख से ज्यादा गावों में मनाया जाएगा।