अरुणाचल प्रदेश-लद्दाख में महसूस किए गए भूकंप के झटके

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग में आज भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 3.4 मापी गई. नैशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, चांगलांग में ये झटके सुबह 8.01 बजे महसूस किए गए. इसके साथ ही लद्दाख में शनिवार रात भूंकप के झटके महसूस किए गए, हालांकि किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है.

शनिवार रात भूकंप के झटके किए गए महसूस

लद्दाख में शनिवार देक रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का पहला झटका रात करीब 10:29 बजे और दूसरा रात 11:36 बजे आया. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 4.1 और 3.8 की तीव्रता मापी गई.

देश में लगातार महसूस किए जा रहे हैं भूकंप

देश में बीते कुछ महिनों से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर लग रहे ये झटके किसी बड़ी हलचल का भी संकेत हो सकते हैं. वैज्ञानिक भी लगातार अपनी स्टडी में किसी बड़े भूकंप की आशंका जाहिर कर चुके हैं. ऐसा माना जा रहा है कि निकट भविष्य में ये भूकंप किसी बड़े हादसों का कारण बन सकते हैं.

हिमालय पर्वत श्रृंखला बड़ा भूकंप आने की आशंका

बता दें कि एक स्टडी में हिमालय पर्वत श्रृंखला में बड़ा भूकंप  आने की आशंका जाहिर की गई है. ऐसा माना जा रहा है कि इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर आठ या उससे भी अधिक हो सकती है. इसके साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि इन झटकों के कारण घनी आबादी वाले देशों में बड़ी तादात में जानमाल का नुकसान हो सकता है. हालांकि ये भूकंप कब आएंगे इस बात को लेकर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है.

एक स्टडी में कही गई ये बात

दरअसल, हिमालय में आने वाले बड़े भूकंप की बात एक हालिया स्टडी में की गई है. इस अध्ययन में जिओलॉजिकल, हिस्टोरिकल और जियोफीजिकल डेटा की समीक्षा कर भविष्यवाणी की गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी अगर ये भीषण भूकंप हमारे जीवनकाल में ही आ जाए. इस अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में हिमालय क्षेत्र में आने वाले भूकंप की सीक्वेंस की भी 20वीं सदी में एलेयूटियन जोन में आए भूकंप जितनी हो सकती है.

सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में कही गई ये बात

सिस्मोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में आई इस स्टडी में चट्टानों के सतहों के विश्लेषण, स्ट्रक्चरल ऐलानिलिस, मिट्टी के विश्लेषण और रेडियोकार्बन ऐनालिसिस जैसे बेसिक जिओलॉजिकल सिद्धांतों का प्रयोग किया गया है. इसके आधार पर प्रागैतिहासिक काल में आए भूकंपों का समय और तीव्रता का अनुमान लगाया जाता है. इसी आधार पर ही भविष्य में आने वाले भूकंप के जोखिम का आकलन भी किया जाता है.

संपूर्ण हिमालय आ सकता है भूकंप की जद में

अध्ययन के लेखक और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नवादा में जिऑलजी और सिस्मोलॉजी के प्रोफेसर स्टीवन जी. वोस्नोस्की का कहना है कि ‘इसकी जद में संपूर्ण हिमालयन क्षेत्र पूरब में भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में पाकिस्तान तक अतीत में बड़े भूकंप का केंद्र रह चुका है। उन्होंने कहा, इन भूकंपों के फिर से आने का अनुमान है. उन्होंने कहा ये हमारे ही जीवनकाल के दौरान देखे जाएं तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी.

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