मेरे हिस्से की दिवाली

मेरे हिस्से की दिवाली

हिमांशु जोशी, उत्तराखंड.

धनतेरस पर अमेज़न बाबा से कुछ घर भेज आज मैंने खुद से पूछा है,

क्या मना ली मैंने अपने हिस्से की दिवाली.

लगे हैं चारों तरफ़ झालर और फूट रहे पटाख़े, 

कैसे फोन से कहूं अपने घर में कि मना लो तुम मेरे हिस्से की

दीवाली.

शोर मचा है बच्चों का, जगमगा रहा है भारत.

तनख्वाह का हिस्सा भेज मैंने भी बोला है अपने बच्चों से फुलझड़ी

जला मना लो तुम मेरे हिस्से की दीवाली.

कसी बेल्ट और टोपी में खड़ा हूं सड़क पर, फ़िर भी उलझते जाते हो तुम मुझसे.

शाम ढली है, अस्त-व्यस्त भीड़ को तरतीब से घर भेजना है मुझे.

मन ही मन सोच रहा हूं, 

सुरक्षित घर पहुँचो तुम और मना लो मेरे हिस्से की दिवाली.

कसी बेल्ट और टोपी में खड़ा हूं सड़क पर, फ़िर भी उलझते जाते हो

तुम मुझसे.

चुप हूं मैं क्योंकि मन ही मन सोच रहा हूं.

जाओ तुम घर और मना लो परिवार संग मेरे हिस्से की दिवाली.

गुज़ारिश है मेरी तुमसे सड़क पर मिले तुम्हें कोई ख़ाकी में, 

तो एक टुकड़ा मिठाई का उसे दे तुम कह दो

‘लो जी आप भी मना लो अपने हिस्से की दिवाली’

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