CM के गृहक्षेत्र गोरखपुर के विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ चल रहा धरना-प्रदर्शन
सत्याग्रह के कुछ देर बाद ही कुलपति के आदेश पर प्रो कमलेश गुप्त को निलम्बित कर दिया गया और उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। प्रो गुप्त के समर्थन में धरना देने वाले सातों प्रोफेसरों को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। देर रात प्रो कमलेश कुमार गुप्त के समर्थन में छात्रों ने हास्टल से निकलकर विश्वविद्यालय गेट तक मार्च किया।
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 7 प्रोफेसरों को नोटिस, छात्रों का प्रदर्शन
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस घोषणा के बावजूद कि प्रदेश में किसी भी तरह का धरना-प्रदर्शन निषेध होगा, उनके अपने ही गृहक्षेत्र गोरखपुर में उनकी आज्ञा और नियमों की अवहेलना हो रही है। अब देखना यह है कि सीएम योगी के कान तक ये बातें कब तक पहुंचती है या फिर इस पर प्रशासनिक कार्रवाई कब तक हो पाती है!
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह की प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, अधिनियम, परिनियम, अध्यादेशों, शासनादेशों के लगातार उल्लंघन, कुलपति पद में निहित शक्तियों के घोर दुरुपयोग और गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली के खिलाफ कई महीनों से आवाज उठा रहे हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता ने मंगलवार को प्रशासनिक भवन स्थित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के समक्ष सत्याग्रह किया। प्रो गुप्त के समर्थन में विश्वविद्यालय के सात प्रोफेसरों ने भी धरना दिया। सत्याग्रह के कुछ देर बाद ही कुलपति के आदेश पर प्रो कमलेश गुप्त को निलम्बित कर दिया गया और उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। प्रो गुप्त के समर्थन में धरना देने वाले सातों प्रोफेसरों को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। देर रात प्रो कमलेश कुमार गुप्त के समर्थन में छात्रों ने हास्टल से निकलकर विश्वविद्यालय गेट तक मार्च किया।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय में धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाने की घोषणा करते हुए कहा है कि यदि कोई शिक्षक, विद्यार्थी, कर्मचारी इसका उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
प्रो कमलेश कुमार गुप्त ने कुलपति के खिलाफ राज्यपाल से शिकायत की थी। राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी ने प्रो गुप्त को पत्र भेजकर जानकारी दी कि कुलपति के खिलाफ की गई उनकी शिकायत की जांच कुलपति को ही दी गई। इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए प्रो गुप्त ने 21 दिसम्बर से सत्याग्रह की घोषणा की थी।
प्रो गुप्त 21 दिसम्बर को प्रशासनिक भवन स्थित दीनदयाल उपाध्याय प्रतिमा के समक्ष पहुंचे और सत्याग्रह प्रारम्भ करने के लिए चटाई बिछाने लगे। इसी समय प्राक्टर प्रो सतीश चन्द्र पांडेय और अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो अजय सिंह वहां पहुंच गए और सत्याग्रह न करने को कहा। इसको लेकर प्रो गुप्त की उनसे काफी देर तक बहस हुई। प्राक्टर और अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो गुप्त से विश्वविद्यालय परिसर में सत्याग्रह करने को कह रहे थे लेकिन प्रो गुप्त ने कहा कि वे प्रतिमा के समक्ष ही सत्याग्रह करेंगे। प्रो गुप्त को मनाने की कोशिश नाकाम रही। प्रो कमलेश करीब चार घंटे तक सत्याग्रह पर रहे।
इस दौरान विश्वविद्यालय के सात प्रोफेसर-प्रो चन्द्रभूषण अंकुर, प्रो उमेश नाथ तिवारी, प्रो अजेय कुमार गुप्ता, प्रो सुधीर कुमार श्रीवास्तव, प्रो वीएस वर्मा, प्रो विजय कुमार और प्रो अरविंद कुमार त्रिपाठी भी वहां पहुुचे और प्रो गुप्त के समर्थन में धरने पर बैठ गए।
इस दौरान तीन दिन मेस बंद होने के विरोध में नाथ चन्द्रावत छात्रावास के छात्राओं ने प्रशासनिक भवन पर जोरदार प्रदर्शन किया। विश्वविद्यालय के आउटसोर्स कर्मचारियों ने भी पांच महीने से मानदेय नहीं मिलने के खिलाफ प्रदर्शन किया।
देर शाम विश्वविद्यालय प्रशासन ने मीडिया में विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रो कमलेश कुमार गुप्त को निलंबित कर दिया गया है। उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जिसमें दो पूर्व कुलपति और कार्यपरिषद के एक सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा धरने पर बैठने वाले सातों प्रोफेसरों को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से प्रो कमलेश गुप्त पर विश्वविद्यालय के पठन पाठन के माहौल को खराब करने, बिना सूचना आवंटित कक्षाओं में न पढ़ाने, समय सारिणी के अनुसार न पढ़ाने, व असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी करने, विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलू कार्य कराने तथा उनका उत्पीड़न करने, बात नहीं सुनने वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में फेल करने की धमकी देने, महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही करने, छात्राओं के प्रति ठीक से व्यवहार नहीं करने, नई शिक्षा नीति, नये पाठ्यक्रम तथा सीबीसीएस प्रणाली के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने, अनुशासनहीनता, दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही तथा कर्तव्य विमुखता का आरोप लगाया गया है।
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विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रो गुप्त को कुलसचिव की ओर से समय-समय पर आठ नोटिस जारी किए गए हैं मगर उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है। उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है। इनका यह आचरण विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2, 3 तथा 4 तथा उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के विरुद्ध है।
अपने निलम्बन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रो कमलेश गुप्त ने कहा कि अपने विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय परिवार को बचाने के लिए मैं हर कीमत अदा करने को तैयार हूॅं। मेरा सत्याग्रह 22 दिसम्बर को अपराह्न दो से तीन बजे तक होगा।
उधर देर रात छात्रों ने प्रो कमलेश गुप्त के समर्थन में हॉस्टल से निकलकर गोरखपुर विश्वविद्यालय गेट तक मार्च किया। छात्र कुलपति के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। छात्रों ने बुधवार को भी प्रदर्शन करने की घोषणा की है।