कोरोना लॉक डाउन थर्ड फेज “चुनौतियां

इंदु भूषण पांडेय, पत्रकार, अयोध्या से 
देश में लॉक डाउन का पीरियड अब बढ़ा दिया गया। इसका तीसरा फेज 14 दिन का होगा। कोरोना और उसके प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए देश के अलग-अलग इलाकों को लाल, नारंगी और हरा रंग में बांट दिया गया है। एक तरह से यह कोरोना जोन है।
#अब_जरा_कुछ_आंकड़े _देखिए
अपने देश में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को आया। पहला लॉक डाउन 24 मार्च को घोषित किया गया। 30 जनवरी से 24 मार्च के बीच देश में कोरोना के कुल 571 मरीज थे। 21 दिन का पहला लॉक डाउन 25 मार्च से शुरू होकर 14 अप्रैल को जब खत्म हुआ तो देश में कोरोना के कुल पॉजिटिव मामले 10919 हो गए। फिर शुरू हुआ दूसरा फेज 19 दिन का। 15 अप्रैल से शुरू हुआ यह दूसरा फेज पूरा होने में अभी 2 दिन बाकी है, लेकिन आज देश में कुल कोरोना पॉजिटिव मामले 1 मई तक 35,665 हो गए हैं।
#तीसरा_फेज 2 सप्ताह का घोषित करने के साथ ही जो और कुछ होने जा रहा है इसमें जो सबसे अहम होगा वह यह की लाल नारंगी और हरे इलाके से लोग बड़े पैमाने पर एक दूसरे इलाके में पहुंचाए जाएंगे। इनकी संख्या करोड़ों में है। अब हरे वाला बड़ी तादाद  में लाल इलाके में पहुंच जाएगा और लाल वाला हरे और नारंगी इलाके में पहुंच सकता है। कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या अभी रोज बढ़ ही रही है। किसी और को हो ना हो लेकिन मुझे यह अंदेशा है कि अब लॉकडाउन के तीसरे फेज में  कोरोना इलाकों के रंग बहुत तेजी से बदलेंगे। लॉकडाउन का यह तीसरा और अंतिम फेज होगा यह भी कम से कम मुझे भरोसा नहीं है।
अब मैं जोकहने जा रहा हूं यह कुछ  लोगों को बुरा लग सकता है। लगे तो लगे.. लेकिन सच बात यह है की चूक हो गई है, बहुत बड़ी चूक हुई या की गई है।
दरअसल होना यह चाहिए था कि 10 मार्च से 24 मार्च तक मध्यप्रदेश के विधायकों को जिस तरह से सुरक्षित करने के लिए एक जगह से दूसरे जगह ले जाया और टिकाया जा रहा था, उसी तरह का काम और इंतजाम लॉक डाउन लागू करने के पहले देश के उन करोड़ों करोड़ मजदूरों परदेसियों के लिए किया जाना चाहिए था जो अपना घर बार छोड़कर रोजी रोटी के लिए बाहर थे। वही मजदूर जिनको अब लॉक डाउन के तीसरे फेज में यहां से वहां किए जाने का महाप्रबंध किया जा रहा है। लेकिन कौन करता यह.?  इससे कहीं कोई सरकार थोड़े ना बन जाती.! सरकार तो मध्यप्रदेश के विधायकों के बूते बननी थी। पक्के तौर पर इसी का खामियाजा आज देश भुगत रहा है। बीते एक महीने भी देश भुगता है और अभी आगे भी भुगतेगा। इसके लिए मैं किसी को और को दोष नहीं दूंगा। मैं तो सिर्फ मानस की एक लाइन उद्धृत  करके अपने को मुक्त कर रहा हूं कि..
होइहैं सोई जो राम रचि राखा.!

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